एक स्टडी के मुताबिक देश में बिकने वाले हर ब्रांड के नमक और शक्कर के पैकेट में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद होने का दावा किया गया है। वो ब्रांड चाहे छोटे हों या बड़े, पैक्ड और या अनपैक्ड सबमें माइक्रोप्लास्टिक मिले हैं। दरअसल,पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक द्वारा किए गए एक अध्ययन में 10 विभिन्न नमक ब्रांडों और चीनी ब्रांडों, दोनों पैकेज्ड और अनपैकेज्ड का विश्लेषण किया गया। ताज्जुब की बात यह कि सभी में सूक्ष्म प्लास्टिक पाए गए।
सभी सैंपल में बिना किसी अपवाद के सूक्ष्म प्लास्टिक पाए गए। ये सभी सूक्ष्म प्लास्टिक, 5 मिलीमीटर से कम आकार के थे। जोकि चिंता का सबब बना हुआ है।
आयोडीन युक्त नमक सबसे अधिक दूषित पाया गया
महत्वपूर्ण बात यह कि इसमें फाइबर, पैलेट, फिल्में और टुकड़े शामिल थे, जिनका आकार 0.1 से 5 मिलीमीटर तक था। आयोडीन युक्त नमक सबसे अधिक दूषित पाया गया, जिसमें प्रति किलोग्राम 89.15 सूक्ष्म प्लास्टिक कण थे। जबकि जैविक रॉक नमक में प्रति किलोग्राम 6.70 कणों के साथ थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन इस कथित शुद्ध रूप में नमक में सूक्ष्म प्लास्टिक की उपस्थिति भी बड़ी परेशान करने वाली है। चीनी के लिए, सूक्ष्म प्लास्टिक संदूषण की सीमा 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम के बीच थी, जिसमें गैर-जैविक चीनी में उच्च स्तर देखा गया। एक किलो नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स के 90 टुकड़े मिलने की बात सामने आयी है। स्टडी कराने वाली संस्था क कहना है कि सभी सैंपल्स में माइक्रोप्लास्टिक मिलना बड़ी चिंताजनक बात है।
इससे स्वास्थ्य पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव
एक स्टडी के अनुसार औसत भारतीय प्रतिदिन लगभग 11 ग्राम नमक और 40 ग्राम चीनी का सेवन करते हैं। जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तय सीमा से कहीं ज्यादा अधिक है। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि इसके निरंतर उपयोग से स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इन सूक्ष्म कणों के शरीर में जमा होने से हार्मोनल संतुलन में खलल पड़ सकता है। कुछ अध्ययनों ने तो सूक्ष्म प्लास्टिक के संपर्क को प्रजनन संबंधी समस्याओं, प्रतिरक्षा प्रणाली की शिथिलता और यहां तक कि कैंसर से तक जोड़ा है। ऐसे में प्लास्टिक के सूक्ष्म (Microplastics) कण का मिलना चिंताजनक हो सकता है।
इसके रोकथाम के लिए उठाने होंगे व्यापक कदम
नमक और चीनी में सूक्ष्म प्लास्टिक का मिलना यह एक गंभीर विषय है। इसपर रोक लगाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे, जैसे कि
- कच्चे माल से लेकर अंतिम उत्पाद तक, संपूर्ण खाद्य उत्पादन और पैकेजिंग प्रक्रिया की निगरानी के लिए कड़े नियमों की आवश्यकता है।
- खाद्य उद्योग को आपूर्ति श्रृंखला से सूक्ष्म प्लास्टिक को खत्म करने के लिए नए तरीकों को खोजने के लिए अनुसंधान और विकास पर अधिक जोर देना होगा।
- जनता को सूक्ष्म प्लास्टिक के खतरों के बारे में जागरूक करना होगा।
- इस वैश्विक समस्या से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी होगा आवश्यक।
सूक्ष्म प्लास्टिक मुक्त खाद्य आपूर्ति की राह निस्संदेह चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए बेहद जरूरी है। इस अध्ययन के निष्कर्ष को गंभीरता से लेना होगा।
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