आयुर्वेद जीवन का एक प्राचीन विज्ञान है, जिसका 5000 वर्षों से अधिक का इतिहास होने के बावजूद इसे आधुनिक जीवनशैली में सफलतापूर्वक अपनाया गया है। इसलिए, आजकल बहुत से लोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य व देखभाल के लिए आयुर्वेदिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ (Vata, Pitta and Kapha) को सामूहिक रूप से दोष के रूप में जाना जाता है। यह आयुर्वेद की परंपरा में सबसे फंडामेंटल कॉन्सेप्ट्स में से एक हैं। वात, पित्त और कफ इन तीनों दोषों के अपने खास गुण हैं और इनमें से किसी भी दोष में असंतुलन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। आइए जानें क्या है वात, पित्त और कफ (Vata, Pitta and Kapha)? यह भी जानें कि इनका स्वास्थ्य से क्या संबंध है?
क्या है वात, पित्त और कफ (Vata, Pitta and Kapha)?
हेल्थलाइन (Healthline) के अनुसार सदियों की आयुर्वेदिक प्रैक्टिस के आधार पर, आयुर्वेदिक चिकित्सक शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और व्यवहारिक विशेषताओं के अनुसार किसी व्यक्ति के दोषों को निर्धारित कर सकते हैं। यह दोष इस प्रकार हैं:
वात दोष
वात दोष में दो मुख्य एलिमेंट्स होते हैं, एक वायु और दूसरा अंतरिक्ष, जिन्हें ईथर भी कहा जाता है। इस दोष को हल्का, ठंडा, खुरदरा, सूखा, बहने वाला और विशाल के रूप में वर्णित किया गया है। वात प्रधान दोष वाले लोग आमतौर पर ऊर्जावान, दुबले-पतले और रचनात्मक होते हैं, जो लीक से हटकर सोचने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन आसानी से विचलित हो जाते हैं। वात दोष को दोषों की शरद ऋतु माना जाता है। ऐसे लोगों का व्यवहार और मूड उस भोजन पर निर्भर करता है जिसे वो खाते हैं। इसके अलावा उनका व्यवहार मौसम और आसपास के लोगों पर भी यह निर्भर करता है।
वात दोष का स्वास्थ्य पर क्या पड़ता है प्रभाव?
जब किसी का वात दोष संतुलित होता है, तो शरीर में ऊर्जा प्रवाहित होती है और ऐसे लोग हमेशा एक्टिव रहते हैं। लेकिन, जब वात असंतुलित होता है, तो व्यक्ति को कब्ज, हाय ब्लड प्रेशर, कमजोरी, गठिया, बेचैनी और पेट या पाचन से संबंधित अन्य शारीरिक समस्याओं का अनुभव हो सकता है। अब जानते हैं वात, पित्त और कफ (Vata, Pitta and Kapha) में से पित्त दोष के बारे में।
पित्त दोष
वात, पित्त और कफ (Vata, Pitta and Kapha) में पित्त दोष में अग्नि और जल दो मुख्य एलिमेंट्स होते हैं और जिन लोगों में पित्त प्रकार का दोष प्रबल होता है, उन्हें भी स्ट्रांग माना जाता है। ये लोग एथलेटिक और हृष्ट-पुष्ट होते हैं व अत्यधिक प्रेरित, प्रतिस्पर्धी और लक्ष्यात्मक होने के कारण मजबूत नेता बनते हैं। पित्त को दोषों की ग्रीष्म ऋतु माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पित्त दोष वाले लोगों को शांत भोजन और अनुभवों के साथ संतुलन बनाने की आवश्यकता होती है।
पित्त दोष का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
पित्त दोष हीट, पाचन और परिवर्तन के साथ जोड़ा जाता है। प्रमुख पित्त दोष वाले लोग अक्सर मजबूत मेटाबॉलिज्म, तेज बुद्धि और नेतृत्व की प्रवृत्ति जैसी विशेषताओं का प्रदर्शन करते हैं। शारीरिक रूप से, उनका कद मध्यम, शरीर का तापमान गर्म और त्वचा तैलीय हो सकती है।
कफ दोष
वात, पित्त और कफ (Vata, Pitta and Kapha) में कफ दोष में पृथ्वी और पानी शामिल हैं और इसे स्थिर, धीमा, भारी, ठंडा और नरम बताया गया है। कफ दोष वाले लोगों को देखभाल करने वाला और दूसरों के लिए सपोर्ट सिस्टम के रूप में पहचाना जाता है। वे शायद ही कभी परेशान होते हैं और धीमे और कोई भी कार्य करने से पहले हमेशा सोचते हैं। इसे दोषों के वसंत के रूप में पहचाना जाता है।
कफ दोष का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कफ दोष से प्रभावित व्यक्ति मजबूत शरीर और स्टेमिना के धनी होते हैं। इनका पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। हलांकि यह लोग मजबूत होते हैं, लेकिन कफ दोष के असंतुलित होने पर यह वजन का बढ़ना, फ्लूइड रिटेंशन, एलर्जी या थकावट जैसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
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