बीते दिनों गृहमंत्री अमित शाह के बाबा साहेब आंबेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar’s legacy) पर दिए एक बयान को लेकर कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने खूब हंगामा किया था। यहां तक कि उन्होंने अमित शाह को बर्खास्त तक करने की मांग कर डाली थी। खुद को बैकफुट पर जाता देख बीजेपी ने भी अपने सभी मुख्यमंत्रियों को मोर्चे पर उतार दिया था। बीजेपी के मुख्यमंत्रियों ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए लोगों को बताया कि किस तरह कांग्रेस ने बाबासाहेब का अपमान किया और उन्हें चुनाव तक नहीं जीतने दिया था। इससे हुआ यह कि कांग्रेस के न चाहते हुए भी वो सारी बातें जनता तक पहुंच गई जिसे कांग्रेस छुपाना चाहती थी। यही नहीं, बीच एनडीए ने एक बैठक कर राहुल गांधी पर पलटवार करने की रणनीति बनाई है। इस बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी शामिल थे। मिली जानकारी के मुताबिक दोनों ने अपनी मुक सहमति दे दी है। इस तरह अब पूरा का पूरा एनडीए कुनबा अमित शाह के पीछे खड़ा दिख रहा है।
संविधान और डॉ. बी.आर. अंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस के दुष्प्रचार को रोकना होगा – Dr. Babasaheb Ambedkar’s legacy
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर एनडीए के नेताओं ने बैठक की। इस बैठक में बाबा साहेब आंबेडकर पर गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर चर्चा हुई। बीजेपी नेताओं ने कहा कि “विपक्ष झूठा नरेटिव सेट करने की कोशिश कर रहा है।” इसके बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने कहा कि “संविधान और डॉ. बी.आर. अंबेडकर के मुद्दे पर हमें कांग्रेस के दुष्प्रचार का मिलकर मुकाबला करना होगा। हमें उनकी साजिश को सफल नहीं होने देना है।” बीजेपी इस मुद्दे पर लंबी मुहिम छेड़ने का प्लान बना चुकी है और इसी मकसद से मुख्यमंत्रियों की प्रेस कांफ्रेंस भी कराई गई है।
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कांग्रेस ने वर्षों तक जो अपमान किया, उसकी एक-एक बात लोगों के बीच पहुंचाई जाए
एनडीए की इस बैठक में चंद्र बाबू नायडू के अलावा, जेडीएस से एचडी कुमारस्वामी, टीडीपी से राममोहन नायडू, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाह, नीतीश कुमार की पार्टी से केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, शिवसेना से प्रतापराव गणपतराव जाधव, अनुप्रिया पटेल के अलावा जीतन राम मांझी और संजय निषाद शामिल हुए। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मौजूद नहीं थे। बता दें कि बीजेपी इस मौके को छोड़ना नहीं चाहती। वह चाहती है कि आंबेडकर का कांग्रेस ने वर्षों तक जो अपमान किया, उसकी एक-एक बात लोगों के बीच पहुंचाई जाए।
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