बांग्लादेश (Bangladesh) में 15 साल से शासन कर रही शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भागना पड़ा है। सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम के विरोध में शुरू हुआ छात्र आंदोलन जब अपने चरम पर पहुंचा तो ढाका की सड़कें खून से लाल हो गई। आगजनी, हिंसा और सैकड़ों लोगों की मौत से दहल रहा बांग्लादेश (Bangladesh) तब शांत हुआ जब शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही देश छोड़ दिया। शेख हसीना ने अब भारत में शरण ले रखी है।
पड़ोसी देश में फैली राजनीतिक अफरा-तफरी (Crisis in Bangladesh) पर अब भारत में भी राजनीतिक बयानबाजी सामने आने लगी है। बांग्लादेश (Bangladesh) की इस आपदा में विपक्षी दलों के नेता अपने लिए भारत में अवसर की तलाश करते हुए केंद्र सरकार को नसीहत देने में जुट गए हैं। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत और कांग्रेस नेता उदित राज ने तो भारत की विदेशी नीति को विफल बताते हुए इससे भारत को सबक लेने की सीख तक दे डाली।
तानाशाही करने वालों को जनता माफ नहीं करती-संजय राउत
शिवसेना नेता संजय राउत ने एक प्रेसवर्ता में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि, “बांग्लादेश में भी भारत जैसी स्थिति पैदा हो गई थी, वहां पर विपक्ष की आवाज दबाई गई, चुनाव में घोटाले हुए, विरोध करने वालों को जेल में डाला गया, कई लोगों की हत्या हुई, संसद में अवैध कानून पारित हुए, लोगों पर महंगाई थोपी गई। शेख हसीना ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों की आड़ में बांग्लादेश को तानाशाही तरीके से चलाया, जिसके कारण वो प्रधामंत्री के रूप में विफल रहीं। बांग्लादेश की इस घटना से भारत के शासकों को भी सबक लेना चाहिए। क्योंकि लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही करने वालों को जनता माफ नहीं करती है।”
मोदी सरकार की विदेश नीति रही विफल-उदित राज
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने भी बांग्लादेश के संकट पर भाजपा को घेरने की कोशिश की। उदित राज ने कहा, “ये मामला सिर्फ बांग्लादेश का नहीं, बल्कि अब पूरे विश्व का मामला बन चुका है। भाजपा के नेता कह रहे हैं कि बांग्लादेश में हिंदू असुरक्षित है। इस घटना के पीछे आईएसआई और चीन का हाथ है। भाजपा के नेता जो कह रहे हैं, अगर उसमें जरा भी सच्चाई है तो ये हमारी विदेशी नीति और इंटेलिजेंस की फेलियर है।”