हरियाणा में करारी हार के बाद अब कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र (Maharashtra) का किला फतह करना मुश्किल नजर आ रही है। हरियाणा चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस को यह एहसास करा दिया है कि उसे अभी लंबा रास्ता तय करना है। अगर वह महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल करना चाहती है तो उसे अपने चुनावी रणनीति में बदलाव करना होगा। साथ ही कांग्रेस को हरियाणा में हार के कारणों से सबक सीखने के साथ महाराष्ट्र चुनाव में इसे दोहराने से बचना होगा। आइये जानते हैं, वो 5 कारण, जिसकी वजह से कांग्रेस जीता हुआ चुनाव भी हार गई।
भाजपा के वोट बेस में लगना होगा सेंध
कांग्रेस ने हरियाणा में अपने वोट शेयर में बड़ा सुधार किया है। यहां पर कांग्रेस ने अपने वोट शेयर में 2019 के मुकाबले 2024 के विधानसभा चुनाव में 12% की बढ़ोतरी की है, लेकिन भाजपा ने भी अपने वोट शेयर में 3% की बढ़ोतरी की है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस अभी भी भाजपा के बेस वोटर को अपनी तरफ नहीं खींच पा रही। भाजपा महाराष्ट्र में भी अभी तक अपने वोट बेस को बनाए रखने में कामयाब रही है। ऐसे में कांग्रेस को अगर महाराष्ट्र (Maharashtra) चुनाव में जीत हासिल करना है तो उसे भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगानी होगी।
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गठबंधन सहयोगियों को साथ लेकर चलना जरूरी
हरियाणा में कांग्रेस के हार का एक बड़ा कारण आप पार्टी से गठबंधन न करना भी है। आप पार्टी ने कांग्रेस से 3 सीटें मांगी थी, लेकिन कांग्रेस ने नहीं दी। चुनाव में आप पार्टी अकेले मैदान में उतरी और 6 से 7 सीटों पर कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा उसे नुकसान पहुंचाया। महाराष्ट्र में भी कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ कुछ वैसा ही रवैया अपना रही है। कांग्रेस यहां पर कई ऐसे सीटों पर दावा कर रही है, जिन पर शिवसेना यूबीटी भी मजबूत दावेदारी कर रही है। ऐसे में कांग्रेस को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा।
लोकसभा की सफलता विधानसभा में नहीं दिलाएगी जीत
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा और महाराष्ट्र (Maharashtra) दोनों राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए भाजपा के वोट शेयर की लगभग बराबरी की थी। ऐसे में कांग्रेस नेताओं को लगने लगा था कि वो अकेले ही भाजपा को हरा सकते हैं, लेकिन हरियाणा ने यह साबित कर दिया कि लोकसभा के मुद्दे विधानसभा चुनावों में नहीं चलेंगे। कांग्रेस को स्थानीय मुद्दों पर काम करने की जरूरत पड़ेंगी। साथ ही नई रणनीित बनानी पड़ेंगी।
राज्य नेतृत्व में गुटबाजी रोकना
हरियाणा में हार का एक बड़ा कारण राज्य नेतृत्व के अंदर आपसी कलह भी रहा है। यहां पर चुनाव जीतने से पहले ही भूपेंद्र सिहं हुड्डा और शैलजा कुमारी मुख्यमंत्री पद के लिए आपस में लड़ते रहे। इसका असर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर पड़ा और वो दो गुट में बंट गए। महाराष्ट्र (Maharashtra) में कांग्रेस का यही हाल है। यहां पर कांग्रेस के पास अमित देशमुख, विजय वडेट्टीवार, नाना पटोले, सुनील केदार, यशोमति ठाकुर, सतेज पाटिल और बालासाहेब थोराट जैसे कई नेता मौजूद हैं, जो एकसाथ मिलकर चलने की जगह गुटबाजी करते रहते हैं।
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