कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई घटना पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने अपना दर्द बयां किया है। इस घटना से वो बड़ी आहत हैं। मीडिया ख़बरों के मुताबिक अपनी पहली टिप्पणी में उन्होंने कहा कि “वह निराश और भयभीत हैं।” उन्होंने ने कहा कि “बेटियों के खिलाफ अपराध बर्दाश्त नहीं। वहीं अब बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने कानून केंद्र सरकार पर तीखा रुख अख्तियार किया है और कहा है कि केंद्र के बनाए क़ानून में कड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। इसलिए वे आरोपियों को 10 दिन में फांसी की सजा हो ऐसे कानून की मांग करेंगी। उन्होंने ने देश की महिलाओं से भी 1 सितंबर को इस मांग को पूरा करने की सिफारिश की है। सीएम ममता बनर्जी ने ये भी कहा है कि वो इस आरोपियों के खिलाफ फांसी की सजा का बिल पास करेंगी और राज्यपाल से बिल पास करने की आग्रह करेंगी और अगर राज्यपाल बिल पास नहीं करते हैं तो राजभवन के बाहर धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
राष्ट्रपति अब क्यों बोल रही हैं?
टीएमसी नेता कुणाल घोष कड़ा रुख अपनाया और कहा है कि “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का बयान आरजी कर अस्पताल को लेकर आया है, जिसमें उन्होंने चिंता व्यक्त की है। हमारा कहना है कि हम और हमारी पार्टी पूरी तरह से न्याय के पक्ष में हैं और आरोपी को मौत की सजा मिलनी चाहिए। लेकिन राष्ट्रपति अब क्यों बोल रही हैं? उन्नाव, हाथरस, महाराष्ट्र, बदलापुर और उत्तराखंड में इसी तरह के मामले हुए, तब वे कहाँ थीं? गोल्ड मेडलिस्ट साक्षी मलिक के आरोप भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ थे, तब वे कहां थीं? अब बंगाल में हुआ तो यह सोशल क्राइम बन गया है। भाजपा शासित राज्यों में ऐसा होने पर वे कहां थीं? हम राष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, लेकिन ऐसा व्यवहार न करें।
जाहिर सी बात है इस मुद्दे पर अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां बयान दे रही हैं, लेकिन देश में बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं को पूरी तरह से कैसे रोका जाए यह सबसे बड़ा सवाल है।
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