उत्तर प्रदेश में योगी सरकार (Yogi government) ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने उन राज्य कर्मचारियों की अगस्त महीने की सैलरी रोक दी है, जिन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा समय पर नहीं दिया। यह फैसला 2.44 लाख कर्मचारियों को प्रभावित करेगा। आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझें।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, योगी सरकार (Yogi government) ने सभी राज्य कर्मचारियों को 31 अगस्त तक अपनी संपत्ति का पूरा ब्यौरा मानव संपदा पोर्टल पर देने को कहा था। इसमें उन्हें अपनी चल और अचल संपत्ति की जानकारी देनी थी। लेकिन कई कर्मचारियों ने इस निर्देश का पालन नहीं किया। नतीजतन, सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए ऐसे कर्मचारियों की सैलरी रोकने का फैसला किया।
सरकार का रुख क्यों इतना सख्त?
योगी सरकार (Yogi government) का मानना है कि संपत्ति का ब्यौरा देना पारदर्शिता के लिए जरूरी है। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह कदम ईमानदार कर्मचारियों को प्रोत्साहित करेगा। मुख्य सचिव ने 17 अगस्त को ही इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि सभी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का खुलासा करना होगा।
कितने कर्मचारियों ने दिया संपत्ति का ब्यौरा?
उत्तर प्रदेश में कुल 846640 राज्य कर्मचारी हैं। इनमें से केवल 602075 कर्मचारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है। यानी, लगभग 71% कर्मचारियों ने ही सरकार के निर्देश का पालन किया। बाकी 29% कर्मचारियों की सैलरी अब रोक दी गई है।
किन विभागों के कर्मचारी रहे आगे-पीछे?
संपत्ति का ब्यौरा देने में कुछ विभाग आगे रहे, जबकि कुछ पीछे। सैनिक कल्याण, कृषि, महिला कल्याण, खेल और ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों ने सबसे ज्यादा जानकारी दी। वहीं, शिक्षा विभाग के कर्मचारी इस मामले में पिछड़ गए। उनमें से कई ने अभी तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है।
जब तक संपत्ति का ब्यौरा नहीं, तब तक सैलरी नहीं
योगी सरकार (Yogi government) का रुख साफ है, जब तक कर्मचारी अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं देंगे, तब तक उनकी सैलरी नहीं मिलेगी। हालांकि, कुछ विभागों ने और समय मांगा है। खासकर पुलिस विभाग ने त्योहारों और भर्ती परीक्षा के चलते अतिरिक्त समय की मांग की है। संभव है कि सरकार इस पर विचार करे और समय सीमा बढ़ाए।
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