भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की बात करते समय अक्सर महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं। उनका योगदान निस्संदेह ऐतिहासिक है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम इस संघर्ष को सिर्फ गांधी और नेहरू तक सीमित न रखें। भारतीय स्वतंत्रता (Indian independence) की गाथा को लिखने में कई अन्य नेताओं एवं क्रांतिकारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
भगत सिंह और उनके साथी
भगत सिंह, सुखदेव, और राजगुरु जैसे क्रांतिकारी नेताओं ने भारतीय युवाओं में आज़ादी के लिए जुनून और जोश भरा। भगत सिंह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (Indian Freedom Struggle) में हिंसक तरीकों का इस्तेमाल किया, लेकिन उनका उद्देश्य एक स्वतंत्र और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण करना था। साल 1929 में उन्होंने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। इन क्रांतिकारियों की कुर्बानी ने आजादी के आंदोलन को एक नई दिशा दी।
सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फौज
सुभाष चंद्र बोस ने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” के नारे के साथ भारतीयों में एक नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जर्मनी और जापान जैसे देशों से सहायता प्राप्त की और आज़ाद हिंद फौज का गठन किया। बोस का मानना था कि स्वतंत्रता अहिंसक आंदोलन से नहीं, बल्कि सशस्त्र संघर्ष से प्राप्त की जा सकती है। उनकी फौज ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी, जिसने ब्रिटिश हुकूमत को झकझोर कर रख दिया।
सरदार वल्लभभाई पटेल और रियासतों का विलय
स्वतंत्रता के बाद भारत को एकीकृत करना एक बड़ा कार्य था, जिसे सरदार वल्लभभाई पटेल ने बखूबी अंजाम दिया। उन्होंने 565 से अधिक रियासतों का भारतीय संघ में विलय करवाकर भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पटेल की राजनीतिक सूझबूझ और कड़ी मेहनत के बिना, भारत आज जिस रूप में है, वह संभव नहीं हो पाता।
महिलाओं की भागीदारी
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका को अक्सर कम आंका गया है। सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ़ अली, कस्तूरबा गांधी और उषा मेहता जैसी महिलाओं ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलनों में भाग लिया। उषा मेहता ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गुप्त रेडियो प्रसारण के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन को बढ़ावा दिया।
अन्य अनदेखे नायक
कई अन्य नायक, जैसे कि बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, और बिपिन चंद्र पाल ने भी स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके योगदान के बिना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन अधूरा है। तिलक के “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” के नारे ने भारतीयों के दिलों में स्वतंत्रता की भावना को और मजबूत किया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सिर्फ महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू का ही नहीं था, बल्कि यह संघर्ष लाखों नायकों का था जिन्होंने अपने बलिदान और संघर्ष से भारत को आज़ाद कराया। हमें इन सभी नायकों को याद रखना चाहिए और उनके योगदान को सराहना चाहिए। स्वतंत्रता संग्राम की इस संग्राम में हर एक व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण था, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। भारत माता की जय
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