Praveen Kumar ने रचा इतिहास: पैरालिंपिक में भारत का रिकॉर्ड छठा स्वर्ण पदक

Praveen Kumar

शुक्रवार को पैरिस पैरालिंपिक के मेन्स हाई जंप T64 फाइनल में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। 21 साल के नोएडा के लड़के प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) ने अपने दिमाग में सिर्फ एक चीज रखी थी – अपना पर्सनल बेस्ट तोड़ना। मेडल की चिंता किए बिना, उन्होंने अपने कोच की सलाह पर ध्यान दिया और बस अपने आप से बेहतर करने की कोशिश की। और क्या होता है? इस मंत्र के साथ प्रवीण ने न सिर्फ अपना पर्सनल बेस्ट तोड़ा, बल्कि भारत को पैरालिंपिक में छठा स्वर्ण पदक भी दिला दिया। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि इससे भारत ने टोक्यो पैरालिंपिक के पांच गोल्ड के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

चोट से वापसी: एक चैंपियन की कहानी

प्रवीण की यह जीत और भी शानदार इसलिए है क्योंकि कुछ महीने पहले तक उनकी स्थिति बहुत अलग थी। मई 2024 में कोबे पैरा एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में वे चौथे स्थान पर रहे थे। वहां उन्होंने सिर्फ 1.94 मीटर की ऊंचाई पार की थी। बाद में पता चला कि उन्हें करीब तीन महीने पहले चोट लगी थी, जिसके कारण वे अपना 100% नहीं दे पाए। लेकिन प्रवीण ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने कोच के साथ मिलकर चोट का इलाज कराया और फिर से तैयारी शुरू की। उन्होंने बताया, “वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद हमने MRI करवाया और पता चला कि एंकल में 1mm का गैप है। हमने तुरंत इसका इलाज करवाया और 15 दिनों में ठीक हो गए।”

पैरिस में शानदार प्रदर्शन: एक-एक सेंटीमीटर की जंग

पैरिस में प्रवीण का प्रदर्शन देखकर लगा ही नहीं कि कुछ महीने पहले वे चोट से जूझ रहे थे। उन्होंने शुरुआत से ही अपना दबदबा बनाया। 1.89 मीटर से शुरू करके वे लगातार पहले ही प्रयास में हर ऊंचाई को पार करते गए। जब बार 2.06 मीटर पर पहुंची, तब प्रवीण ने पहली बार अपनी खुशी जाहिर की। फिर आया 2.08 मीटर का जंप, जो उनका नया पर्सनल बेस्ट और एशियाई रिकॉर्ड था। इस जंप के बारे में प्रवीण ने कहा, “मैंने बस अपनी आंखें बंद कर लीं और मेरे सामने मेरे माता-पिता और कोच की तस्वीरें आ गईं।”

स्वर्ण पदक की राह: मेहनत और समर्पण

प्रवीण की इस जीत के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण है। उन्होंने बताया कि पैरालिंपिक से पहले उन्होंने प्रैक्टिस सेशन में 2.08 और 2.10 मीटर की जंप लगाई थी। उनका लक्ष्य था कि 2.00-2.05 मीटर तक की सभी जंप परफेक्ट हों, एक भी मिस न हो। हालांकि 2.10 मीटर का लक्ष्य वे पूरा नहीं कर पाए, लेकिन उनका प्रदर्शन फिर भी शानदार था। तीन बार कोशिश करने के बाद जब वे 2.10 मीटर पार नहीं कर पाए, तो कुछ देर के लिए निराश दिखे। लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने क्या हासिल किया है – एक ओलंपिक स्वर्ण पदक और एक नया पर्सनल बेस्ट।

भारतीय पैरा एथलेटिक्स का नया सितारा

प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) की यह जीत सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे भारतीय पैरा एथलेटिक्स की जीत है। उन्होंने साबित कर दिया है कि मेहनत और दृढ़ संकल्प से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो चुनौतियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहता है। प्रवीण की इस उपलब्धि से भारत का पैरालिंपिक में प्रदर्शन और मजबूत हुआ है। यह छठा स्वर्ण पदक भारत के लिए एक नया कीर्तिमान है, जो आने वाले समय में और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जगाता है। अब जबकि प्रवीण ने यह ऊंचाई हासिल कर ली है, तो उनका अगला लक्ष्य क्या होगा? क्या वे 2.10 मीटर का अपना सपना पूरा कर पाएंगे? भारतीय खेल प्रेमी बेसब्री से उनके अगले प्रदर्शन का इंतजार करेंगे।

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