पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारत को एक नया चैंपियन मिला है। पुणे के एक साधारण टिकट चेकर स्वप्निल कुसाले ने शूटिंग में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। आइए जानें इस अनोखे टैलेंट की कहानी।
Swapnil Kusale को बचपन से निशानेबाजी का है क्रेज
स्वप्निल कुसाले के दिल में शूटिंग का जुनून छोटी उम्र से ही था। 14 साल की उम्र में उन्हें महाराष्ट्र गवर्नमेंट की एक स्पोर्ट्स स्कीम में मौका मिला। यहीं से शुरू हुआ उनका सफर जो उन्हें ओलंपिक मेडल तक ले गया।
फाइनेंशियल स्ट्रगल और फैमिली सपोर्ट
स्वप्निल कुसाले का परिवार आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था। शूटिंग एक महंगा स्पोर्ट है। हर बुलेट की कीमत 120-130 रुपये थी। लेकिन स्वप्निल और उनके परिवार ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की।
जॉब और प्रैक्टिस का जुगाड़:
2015 में स्वप्निल को रेलवे में टिकट चेकर की नौकरी मिली। दिन में जॉब और बाकी टाइम में प्रैक्टिस – यह था उनका डेली रूटीन। इस नौकरी से मिले पैसों से उन्होंने अपनी पहली राइफल खरीदी।
हार्ड वर्क का रिजल्ट:
कुसाले ने नेशनल और इंटरनेशनल दोनों लेवल पर अपना टैलेंट दिखाया। उन्होंने कई बड़े चैंपियंस को हराया। उनके कोच दीपाली देशपांडे कहती हैं कि स्वप्निल की फिटनेस और फोकस ने उन्हें सक्सेसफुल बनाया।
पेरिस ओलंपिक्स में शानदार परफॉर्मेंस:
पेरिस ओलंपिक्स 2024 में स्वप्निल ने 50 मीटर थ्री पोजिशन इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह सिर्फ एक मेडल नहीं था, बल्कि उनकी सालों की मेहनत का रिजल्ट था।
सोशल इम्पैक्ट:
स्वप्निल अब अपने विलेज के यूथ के लिए रोल मॉडल हैं। वे न सिर्फ शूटिंग के बारे में बताते हैं, बल्कि एल्कोहल बैन और ऑर्गेनिक फार्मिंग जैसे सोशल इश्यूज पर भी बात करते हैं।
स्वप्निल कुसाले की जर्नी हर इंडियन को इंस्पायर करती है। यह दिखाती है कि अगर आप अपने ड्रीम्स के पीछे डेडिकेटेड रहें, तो कोई भी अचीवमेंट हासिल की जा सकती है।