क्या युद्ध में AI का इस्तेमाल परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है?

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आज की दुनिया में तकनीक बहुत तेजी से बदल रही है। हमारे फोन से लेकर घर के उपकरणों तक, हर जगह AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब युद्ध में AI का इस्तेमाल (Use of AI in War) भी होने लगा है? यह बात थोड़ी डरावनी लग सकती है, लेकिन यह सच है।

AI का युद्ध में बढ़ता इस्तेमाल

पिछले कुछ सालों में, दुनिया के कई बड़े देश जैसे अमेरिका और चीन, अपनी सेना में AI का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में, इजरायल और गाजा के बीच हुए युद्ध में भी AI का इस्तेमाल किया गया था। इजरायल ने ‘हबसोरा’ नाम की एक AI तकनीक का इस्तेमाल किया, जो बमबारी के लिए सही जगह चुनने और दुश्मन के ठिकानों का पता लगाने में मदद करती थी। अब तो बात यहां तक पहुंच गई है कि कुछ लोग सोच रहे हैं कि युद्ध में AI का इस्तेमाल (Use of AI in War) परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। सोचिए, अगर कोई मशीन यह तय करने लगे कि किसे मारना है और किसे नहीं, तो कितना खतरनाक हो सकता है।

REAIM सम्मेलन: AI पर लगाम लगाने की कोशिश

इस खतरे को समझते हुए, दुनिया के कई देश मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। हाल ही में, साउथ कोरिया में REAIM नाम का एक बड़ा सम्मेलन हुआ। इसमें 60 से ज्यादा देशों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का मकसद था कि युद्ध में AI का इस्तेमाल (Use of AI in War) कैसे सही तरीके से किया जाए, ताकि ज्यादा नुकसान न हो। इस सम्मेलन में एक बड़ी बात यह तय हुई कि परमाणु हथियारों का कंट्रोल हमेशा इंसानों के हाथ में ही रहना चाहिए, AI के हाथ में नहीं। यह एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

AI से जुड़े खतरे

युद्ध में AI का इस्तेमाल (Use of AI in War) कई तरह से खतरनाक हो सकता है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि AI गलत फैसले ले सकती है। मान लीजिए, एक AI मशीन को लगता है कि कोई जगह दुश्मन का ठिकाना है, लेकिन वहां आम लोग रहते हैं। अगर वह उस जगह पर हमला कर दे, तो कितने बेकसूर लोग मारे जाएंगे।

दूसरा बड़ा खतरा यह है कि AI बहुत तेजी से फैसले लेती है। युद्ध में कभी-कभी थोड़ा रुककर सोचने की जरूरत होती है, लेकिन AI ऐसा नहीं करती। इससे युद्ध और भी खतरनाक हो सकता है। एक और चिंता की बात यह है कि अगर कोई दुश्मन AI सिस्टम को हैक कर ले, तो वह उसका गलत इस्तेमाल कर सकता है। सोचिए, अगर एक देश की सारी सेना का कंट्रोल किसी दूसरे के हाथ में चला जाए, तो क्या होगा।

दुनिया के देशों का रुख

इस मुद्दे पर दुनिया के अलग-अलग देशों का अलग-अलग रुख है। अमेरिका जैसे देश चाहते हैं कि युद्ध में AI का इस्तेमाल (Use of AI in War) पर कुछ नियम बन जाएं। वहीं चीन जैसे देश इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं बोल रहे हैं। भारत की बात करें तो वह अभी ‘देखो और इंतजार करो’ वाली नीति अपना रहा है। भारत इस पूरे मामले को समझने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी कोई बड़ा कदम नहीं उठा रहा है। आने वाले समय में युद्ध में AI का इस्तेमाल (Use of AI in War) एक बड़ा मुद्दा बनने वाला है। यह जरूरी है कि दुनिया के सभी देश मिलकर इस पर काम करें, ताकि इसके फायदे तो लिए जा सकें, लेकिन नुकसान कम से कम हो।

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