भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। 16 अगस्त, 2024 को सुबह 9:19 बजे, इसरो ने अपने सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D3 से EOS-08 उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की गई।
क्या है EOS-08 और इसका क्या काम है?
EOS-08 एक पृथ्वी अवलोकन (अध्ययन) उपग्रह है। इसका वजन लगभग 175.5 किलोग्राम है और यह 420 वाट बिजली पैदा कर सकता है। इस उपग्रह का मुख्य काम है:
- आपदाओं की निगरानी करना
- पर्यावरण की निगरानी करना
- आग का पता लगाना
- ज्वालामुखी की गतिविधियों पर नजर रखना
- बाढ़ का पता लगाना
यह उपग्रह दिन और रात दोनों समय तस्वीरें ले सकता है। इसके लिए यह मिड-वेव IR (MIR) और लॉन्ग-वेव IR (LWIR) तकनीक का इस्तेमाल करता है।
SSLV-D3 रॉकेट: इसरो का सबसे छोटा लॉन्चर
SSLV-D3 इसरो का सबसे छोटा रॉकेट है। इसकी ऊंचाई लगभग 34 मीटर है। यह रॉकेट 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को धरती से 500 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में स्थापित कर सकता है। इस मिशन के साथ, इसरो ने इस छोटे रॉकेट की विकास यात्रा पूरी कर ली है।
इस मिशन का महत्व
- यह मिशन इसरो के लिए 2024 में तीसरा सफल मिशन है।
- इससे छोटे उपग्रहों को लॉन्च करना आसान और सस्ता हो जाएगा।
- यह इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को बढ़ावा देगा।
- इससे भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं में वृद्धि होगी।
इस सफल मिशन के साथ, भारत ने एक बार फिर अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाई है। EOS-08 उपग्रह से मिलने वाली जानकारी से हमें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और पर्यावरण की रक्षा करने में मदद मिलेगी। यह भारत के विकास और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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