03 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्या यह ग्रहण नवरात्रि (Navratri) की घटस्थापना और पूजा-पाठ पर कोई प्रभाव डालेगा, जानें ज्योतिषीय मान्यताओं के आधार पर इस वर्ष नवरात्रि का पर्व 03 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है, लेकिन उसी दिन, सूर्य ग्रहण भी लगेगा। यह सूर्य ग्रहण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक खगोलीय घटना है, जबकि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में नवरात्रि के पहले पड़ने वाले इस ग्रहण का घटस्थापना और पूजा-पाठ पर क्या असर पड़ेगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
सूर्य ग्रहण का समय और प्रभाव:
इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर 2024 को लगेगा। भारतीय समयानुसार, यह सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर की रात 9:13 बजे शुरू होगा और 3 अक्टूबर की सुबह 3:17 बजे तक समाप्त होगा
नवरात्रि की घटस्थापना पर क्या होगा असर?
नवरात्रि (Navratri) में घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। घटस्थापना का समय शुभ मुहूर्त में किया जाता है, जो संपूर्ण नवरात्रि के लिए अत्यधिक फलदायी माना जाता है। आमतौर पर, ग्रहण के समय शुभ कार्यों को करने से मना किया जाता है, चाहे वह सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण। इसका कारण यह है कि ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी ग्रहण के समय किए गए पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान का फल उतना शुभ नहीं माना जाता जितना सामान्य समय में होता है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस सूर्य ग्रहण का चैत्र नवरात्रि (Navratri) पर कोई प्रभाव नहीं होगा। 3 अक्टूबर की सुबह भक्त बिना किसी चिंता के देवी की चौकी स्थापित कर सकते हैं और निर्धारित शुभ मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं।धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण समाप्त होने के बाद वातावरण को शुद्ध किया जाता है, जिसमें घर की सफाई, गंगाजल का छिड़काव और भगवान की मूर्तियों को शुद्ध जल से धोकर पुनः स्थापित करना शामिल होता है। इसलिए यदि कोई ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ से बचना चाहे, तो ग्रहण समाप्ति के बाद घर की शुद्धि करके पुनः धार्मिक कार्य शुरू कर सकता है।
क्या नवरात्रि की पूजा में बदलाव करना पड़ेगा?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ग्रहण के तुरंत बाद कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करना, घर की सफाई करना और पूजा स्थल को शुद्ध करना शुभ माना जाता है। 03 अक्टूबर की घटस्थापना पर इसका कोई सीधा असर नहीं होगा, क्योंकि ग्रहण का समय समाप्त हो जाएगा। लेकिन फिर भी नवरात्रि के दौरान पूजा करते समय ज्योतिषीय सलाह अवश्य लेनी चाहिए। इस ग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा दोनों ही ग्रह महत्वपूर्ण स्थान पर हैं। सूर्य, जो आत्मा का प्रतीक है, और चंद्रमा, जो मन का प्रतीक है, ग्रहण के समय अद्वितीय प्रभाव डालते हैं। इसलिए यह समय विशेष रूप से आत्मचिंतन और आध्यात्मिक जागरूकता के लिए उत्तम माना जा सकता है। नवरात्रि (Navratri) के समय माता दुर्गा की पूजा की जाती है, जो शक्ति और साधना का प्रतीक है। इसलिए यह ग्रहण साधकों के लिए आत्मविश्लेषण का समय भी हो सकता है।
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