कनाडा-भारत विवाद पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ रहा है। इस विवाद की जड़ में है कनाडा में खालिस्तानी आंदोलन को मिल रहा कथित समर्थन। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में भारत पर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसने इस स्थिति को और भी जटिल बना दिया है।
ट्रूडो ने क्या कहा?
ट्रूडो ने कनाडा की संसद में एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय एजेंटों का हाथ कनाडा में एक सिख नेता की हत्या में हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की जांच चल रही है। हालांकि, बाद में उन्होंने माना कि जब उन्होंने ये आरोप लगाए थे, तब उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था। यह बयान कनाडा-भारत विवाद (Canada-India dispute) को एक नए स्तर पर ले गया। इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और भी खराब हो गए। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि ये आरोप बेबुनियाद हैं। भारत ने कनाडा पर खालिस्तानी आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया है। यह आरोप-प्रत्यारोप का दौर अब भी जारी है।
खालिस्तानी आंदोलन क्या है?
खालिस्तान आंदोलन एक अलगाववादी आंदोलन है। यह आंदोलन भारत के पंजाब राज्य में एक अलग सिख राष्ट्र की मांग करता है। 1980 के दशक में यह आंदोलन अपने चरम पर था। उस समय पंजाब में बहुत हिंसा हुई थी। हालांकि, भारत सरकार ने इस आंदोलन को सफलतापूर्वक दबा दिया। लेकिन कुछ समर्थक अभी भी विदेशों में सक्रिय हैं, खासकर कनाडा में जहां बड़ी संख्या में सिख समुदाय रहता है।
खालिस्तानी मुद्दा कनाडा में (Khalistan issue in Canada)
कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियां भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय रही हैं। भारत का आरोप है कि कनाडा इन गतिविधियों पर रोक लगाने में विफल रहा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रूडो अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए सिख मतदाताओं को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। कनाडा में सिख समुदाय की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक भूमिका है। जगमीत सिंह, जो एक प्रमुख सिख नेता हैं, की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ट्रूडो की लिबरल पार्टी को सत्ता में बनाए रखने में मदद कर रही है। इस राजनीतिक गठजोड़ के कारण ट्रूडो पर खालिस्तानी मुद्दे पर नरम रुख अपनाने का दबाव हो सकता है।
भारत की चिंताएं
भारत ने बार-बार अपनी चिंता जताई है कि कनाडा भारत के बाहर सिख उग्रवाद का केंद्र बन गया है। भारत का कहना है कि कनाडा में खालिस्तानी समर्थक न केवल धन जुटा रहे हैं, बल्कि भारत के खिलाफ प्रचार भी कर रहे हैं। भारत ने ट्रूडो पर आरोप लगाया है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए भारत विरोधी अलगाववादी गतिविधियों को पनपने दे रहे हैं।
कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों का असर
खालिस्तानी मुद्दा कनाडा में (Khalistan issue in Canada) न केवल भारत-कनाडा संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि कनाडा में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों पर भी इसका असर पड़ रहा है। कई भारतीय-कनाडाई नागरिकों, जिनमें पत्रकार और व्यवसायी शामिल हैं, को धमकियां मिल रही हैं। उन्हें खालिस्तान समर्थकों के विरोध में बोलने पर निशाना बनाया जा रहा है। इसके अलावा, कनाडा में ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गैरकानूनी गतिविधियों का एक मजबूत नेटवर्क फैल गया है। कई रिपोर्ट्स में इन गतिविधियों को खालिस्तानी समर्थकों से जोड़ा गया है। यह स्थिति कनाडा की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गई है।
इसे भी पढ़ें:- हमास चीफ याह्या सिनवार मौत से पहले था खौफ में, ड्रोन ने कैद की ‘गाजा के लादेन’ की आखिरी फुटेज
क्या कनाडा बन सकता है दूसरा पाकिस्तान?
कई विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर कनाडा खालिस्तानी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाता, तो उसकी स्थिति पाकिस्तान जैसी हो सकती है। पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और तालिबान जैसे आतंकवादी संगठनों का समर्थन किया था। इसका नतीजा यह हुआ कि अब ये संगठन पाकिस्तान की अपनी सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। इसी तरह, अगर कनाडा खालिस्तानी गतिविधियों पर रोक नहीं लगाता, तो यह आंदोलन उसके अपने लिए ही खतरा बन सकता है। इससे न केवल भारत के साथ उसके संबंध खराब होंगे, बल्कि उसकी अपनी आंतरिक स्थिरता भी खतरे में पड़ सकती है।
खालिस्तानी मुद्दा कनाडा में (Khalistan issue in Canada) कनाडा की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी असर डाल रहा है। भारत के साथ व्यापार संबंध खराब होने से कनाडा को आर्थिक नुकसान हो रहा है। साथ ही, अगर कनाडा आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में विफल रहता है, तो उसकी अंतरराष्ट्रीय साख को भी धक्का लग सकता है।
Latest News in Hindi Today Hindi news हिंदी समाचार
#CanadaIndiaDispute #KhalistanIssue #TrudeauControversy #InternationalDiplomacy #GeopoliticalTensions