श्मशान की राख और भभूत के साधक: अघोरी और नागा साधु का रहस्यमयी संसार 

"Mystic World of Aghori & Naga Sadhus"

श्मशान की राख और भभूत के रहस्यमयी साधकs

भारतीय साधु-संतों की परंपरा में अघोरी और नागा साधु का अपना-अपना विशिष्ट स्थान है। दोनों ही गहन साधना और तपस्या के प्रतीक हैं, लेकिन इनकी साधना की विधि, जीवनशैली और उद्देश्यों में कई अंतर हैं। अघोरी और नागा साधु के रहस्यमयी जीवन और उनके तौर-तरीकों ने हमेशा ही आमजन को आकर्षित और चकित किया है। आइए, इन दोनों साधु संप्रदायों के बीच के प्रमुख अंतर को समझें।

अघोरी: शिव के उग्र साधक

अघोरी साधु शिव के रौद्र और उग्र रूप के उपासक माने जाते हैं। ये साधु श्मशान घाट में साधना करते हैं और मृत्यु के रहस्य को समझने का प्रयास करते हैं। अघोरी साधुओं का जीवन पूरी तरह से निर्भीकता और सामाजिक बंधनों से परे होता है।

अघोरी साधुओं की विशेषताएं:

  1. श्मशान की राख: अघोरी अपने शरीर पर श्मशान की राख का लेप करते हैं, जिसे वे पवित्र और दिव्य मानते हैं। यह राख मृत्यु और जीवन के बीच के भेद को मिटाने का प्रतीक है।
  2. मृत्यु की साधना: अघोरी मृत्यु को जीवन का अंतिम सत्य मानते हैं और श्मशान में रहकर इसी पर चिंतन करते हैं।
  3. भोजन का तरीका: अघोरी किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण कर सकते हैं, चाहे वह साधारण हो या अप्राकृतिक। यह उनकी साधना का हिस्सा है, जिससे वे संसार के प्रति आसक्ति को समाप्त करते हैं।
  4. सामाजिक बंधनों से मुक्त: अघोरी सामाजिक रीति-रिवाजों और मान्यताओं से खुद को अलग रखते हैं। उनका उद्देश्य जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझना और आत्मा को शुद्ध करना होता है।

नागा साधु: धर्म और रक्षा के योद्धा

नागा साधु हिंदू धर्म के योद्धा माने जाते हैं। वे शिव के वैरागी रूप के अनुयायी होते हैं और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहते हैं। नागा साधुओं का जीवन कठिन तपस्या, अनुशासन और समर्पण पर आधारित होता है।

नागा साधुओं की विशेषताएं:

  1. भभूत का लेप: नागा साधु अपने शरीर पर भभूत (पवित्र राख) का लेप करते हैं, जो वे विशेष रीति-रिवाजों के अनुसार तैयार करते हैं। यह भभूत उनकी साधना का प्रतीक होती है और उन्हें सांसारिक ताप से बचाती है।
  2. निर्वस्त्र जीवन: नागा साधु सामान्यतः निर्वस्त्र रहते हैं, जो संसार के मोह-माया से उनकी पूर्ण मुक्ति को दर्शाता है।
  3. अखाड़ों का हिस्सा: नागा साधु विभिन्न अखाड़ों से जुड़े होते हैं, जो धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुट रहते हैं।
  4. कुंभ के प्रमुख आकर्षण: नागा साधु महाकुंभ में विशेष रूप से स्नान करते हैं और अपनी भव्यता और अनुशासन से लोगों को आकर्षित करते हैं।

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मुख्य अंतर:

  1. उपासना का स्वरूप: अघोरी शिव के उग्र रूप के उपासक हैं, जबकि नागा साधु शिव के वैरागी और योगी रूप की साधना करते हैं।
  2. राख और भभूत: अघोरी श्मशान की राख का उपयोग करते हैं, जबकि नागा साधु पवित्र भभूत तैयार करके उसका उपयोग करते हैं।
  3. साधना का स्थान: अघोरी साधना के लिए श्मशान को चुनते हैं, वहीं नागा साधु अखाड़ों और तीर्थ स्थलों पर रहते हैं।
  4. जीवनशैली: अघोरी का जीवन पूरी तरह से सामाजिक बंधनों से मुक्त और उग्र साधना पर केंद्रित होता है, जबकि नागा साधु का जीवन अनुशासन और धर्म की रक्षा पर आधारित होता है।

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