सावन अमावस्या (Saavan Amavasya): पितरों का तर्पण और भगवान शिव की आराधना का पावन दिन
सावन मास, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस महीने भगवान शिव की आराधना के साथ-साथ पितृ पक्ष भी मनाया जाता है। सावन मास की अमावस्या, यानी सावन अमावस्या , इस पक्ष का अंतिम और की सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। यह दिन पितरों को समर्पित होता है। इस बार सावन अमावस्या 04 अगस्त 2024 दिन रविवार को है।
पितरों का आशीर्वाद पाने का दिन
सावन अमावस्या को पितरों का तर्पण करने का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितर लोक से पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण से प्रसन्न होते हैं। तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं।
भगवान शिव का आशीर्वाद
सावन मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाकर, बेलपत्र अर्पित करके और भजन-कीर्तन करके भगवान शिव की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गंगा स्नान का महत्व
सावन अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गंगा जल पवित्र होता है और गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है। गंगा स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण करने से उन्हें विशेष लाभ मिलता है।
दान का महत्व
सावन अमावस्या के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों को शांति मिलती है। इस दिन अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान किया जाता है।
सावन अमावस्या का महत्व
- पितरों का आशीर्वाद: सावन अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- भगवान शिव का आशीर्वाद: इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पापों का नाश: गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
- पुण्य की प्राप्ति: दान करने से पुण्य अर्जित होता है।
- शांति और सुख: श्रावण अमावस्या के दिन किए गए सभी शुभ कार्यों से घर में शांति और सुख का वास होता है।
नोट: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले अपने गुरु या पंडित से सलाह लें।