आज के डिजिटल युग में, भारत का सर्वोच्च न्यायालय भी पीछे नहीं रह रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाते हुए AI यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टेक्नोलॉजी को अपनाया है। यह फैसला न्याय प्रणाली में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। इससे न्यायिक दस्तावेजों का अनुवाद और कानूनी शोध तेजी से होगा। यह कदम न्याय को सबके लिए आसान बनाने में मदद करेगा।
2023 से ही सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ एआई का इस्तेमाल
फरवरी 2023 से ही सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ के मामलों की मौखिक दलीलों को लिखने के लिए एआई का इस्तेमाल शुरू हो गया था। अब इसका दायरा और बढ़ा दिया गया है। एक माननीय जज की अगुवाई में एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी का काम है सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के अहम फैसलों को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करवाना। कमेटी हाई कोर्ट की उप-कमेटियों के साथ लगातार मीटिंग कर रही है, ताकि अनुवाद का काम जल्दी से जल्दी पूरा हो सके।
इससे आम लोग अपनी भाषा में कानून को पाएंगे समझ
इस नई व्यवस्था के तहत, 8 हाई कोर्ट ने पहले ही ई-हाई कोर्ट रिपोर्ट्स (e-HCR) शुरू कर दी हैं। बाकी हाई कोर्ट भी जल्द ही इसे शुरू करने वाले हैं। एआई ट्रांसलेशन कमेटियां इस पूरे काम पर नजर रख रही हैं, ताकि अनुवाद सही और अच्छी तरह से हो सके। एआई कमेटियों ने हाई कोर्ट को यह भी कहा है कि वे अपने राज्य की सरकारों से सभी केंद्र और राज्य के कानूनों, नियमों को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करवाएं और उन्हें राज्य की वेबसाइट पर डालें। इससे आम लोग अपनी भाषा में कानून को समझ पाएंगे। यह हमारे संविधान में दिए गए ‘न्याय तक पहुंच’ के सपने को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
5 अगस्त, 2024 तक, सुप्रीम कोर्ट के 36,271 फैसलों का हिंदी में अनुवाद हो चुका है। इसके अलावा, 17,142 फैसलों का अनुवाद 16 अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में किया गया है। ये सभी फैसले e-SCR पोर्टल पर मौजूद हैं, जहां से कोई भी इन्हें आसानी से देख सकता है।
न्याय को सबके लिए आसान बनाने की दिशा में है यह एक बड़ा कदम
यह नई एआई ट्रांसलेशन (AI Translation) तकनीक न्याय को सबके लिए आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल वकीलों और जजों को मदद मिलेगी, बल्कि आम लोग भी कानून और न्याय को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। एआई ट्रांसलेशन (AI Translation) के जरिए, न्याय की भाषा अब हर किसी की अपनी भाषा बनने जा रही है।
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