Vinesh Phogat के इस नए सपने से चाचा नाखुश?

Vinesh Phogat

हरियाणा की मिट्टी से निकली एक और खिलाड़ी राजनीति के अखाड़े में कूद पड़ी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) की, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है। विनेश फोगाट को पार्टी ने जुलाना विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फैसले से विनेश के चाचा और दिग्गज पहलवान महावीर फोगाट खुश नहीं हैं? 

विनेश का राजनीतिक सफर: एक अनपेक्षित मोड़

दरअसल, विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) का नाम सुनते ही हमारे जेहन में एक चैंपियन पहलवान की तस्वीर उभरती है। ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली विनेश ने कई बार भारत का नाम रोशन किया है। लेकिन अब वे एक नए मुकाबले के लिए तैयार हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में विनेश फोगाट कांग्रेस के टिकट पर जुलाना सीट से चुनाव लड़ेंगी। यह फैसला कई लोगों के लिए हैरान करने वाला रहा है। खासकर उनके चाचा महावीर फोगाट के लिए, जिन्होंने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। महावीर फोगाट का कहना है कि विनेश का यह कदम उनके लिए अप्रत्याशित था। उन्होंने कहा, “न तो विनेश का और न ही बजरंग (पूनिया) का ऐसा कोई इरादा था। मुझे नहीं पता कि कांग्रेस ने यह कैसे किया।”

ओलंपिक का सपना बनाम राजनीतिक महत्वाकांक्षा

महावीर फोगाट की नाराजगी का एक बड़ा कारण है विनेश का ओलंपिक में प्रदर्शन। उन्होंने कहा, “विनेश ने ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन फाइनल में अयोग्य हो गईं। मेरी निजी राय है कि उन्हें 2028 ओलंपिक में हिस्सा लेना चाहिए था।” महावीर का मानना है कि विनेश अभी भी एक स्वर्ण पदक जीत सकती हैं, जो उनका और पूरे देश का सपना है। महावीर फोगाट ने आगे कहा, “मुझे और सबको उम्मीद थी कि अगर इस बार नहीं, तो 2028 में विनेश स्वर्ण पदक लाएगी। उनका राजनीति में आने का फैसला मुझे दुखी करता है। अगर वह यह फैसला 2028 ओलंपिक के बाद लेती, तो बेहतर होता।”

खेल और राजनीति: एक जटिल रिश्ता

विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) का यह फैसला एक बार फिर खेल और राजनीति के बीच के जटिल रिश्ते को सामने लाता है। भारत में कई खिलाड़ी राजनीति में आए हैं, जैसे नवजोत सिंह सिद्धू, गौतम गंभीर, और बाबा रामदेव। लेकिन क्या एक सक्रिय खिलाड़ी का राजनीति में आना उसके खेल करियर को प्रभावित करेगा? यह एक बड़ा सवाल है जो कई लोगों के मन में है। दूसरी ओर, खिलाड़ियों का तर्क है कि वे राजनीति के माध्यम से खेल के विकास में योगदान दे सकते हैं। वे अपने अनुभव का इस्तेमाल करके खेल नीतियों को बेहतर बना सकते हैं और युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

परिवार में राजनीतिक मतभेद?

इस पूरे घटनाक्रम में एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि महावीर फोगाट की बेटी बबीता फोगाट भी राजनीति में हैं, लेकिन वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़ी हैं। जब उनसे पूछा गया कि बबीता को इस बार बीजेपी से टिकट क्यों नहीं मिला, तो महावीर ने कहा, “हर किसी को टिकट नहीं मिलता। पार्टी ने जो फैसला लिया है, वह सोच-समझकर लिया है। पार्टी जो तय करेगी, वही स्वीकृत होना चाहिए।” यह स्थिति फोगाट परिवार के अंदर के राजनीतिक मतभेदों को भी उजागर करती है। एक ही परिवार के सदस्य अलग-अलग राजनीतिक दलों में हैं, जो आने वाले समय में दिलचस्प स्थितियां पैदा कर सकता है।

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