हरतालिका तीज (Hartalika Teej) हिंदू धर्म की प्रमुख व्रतों में से एक है, जो हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष हरतालिका तीज 3 सितंबर 2024 को है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत खासकर उत्तर भारत में लोकप्रिय है। हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इस व्रत में महिलाएं निर्जल रहकर उपवास करती हैं और रात्रि जागरण करती हैं। पूजा की विधि में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो।
Hartalika Teej की पूजा में क्या जरूर शामिल करें:
शिव-पार्वती की प्रतिमा: पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी या धातु की प्रतिमा का उपयोग करें। इस प्रतिमा का पूजन करें और धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
- पंचामृत: पूजा के दौरान पंचामृत का प्रयोग करें। पंचामृत को शिवलिंग पर चढ़ाएं और भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित करें।
- सोलह श्रृंगार: इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। पूजा में सुहाग की वस्तुएं जैसे कि चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, महावर, इत्यादि का प्रयोग जरूर करें।
- जल और फल: शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ताजे फल अर्पित करें। फल में बेलपत्र, धतूरा और आक के फूल भी शामिल करें।
क्या करें दान:
- सुपारी और पान के पत्ते: पूजा के बाद सुपारी और पान के पत्ते दान करना शुभ माना जाता है।
- सुहाग की वस्तुएं: सुहाग की वस्तुएं जैसे कि चूड़ी, बिंदी, कुमकुम, मेहंदी आदि का दान करें।
- अन्न और वस्त्र: जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र का दान करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
क्या न करें:
- इस दिन व्रत का संकल्प लेकर इसे तोड़ें नहीं, चाहे कैसी भी परिस्थिति हो।
- व्रत के दिन मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।
- किसी भी प्रकार का झगड़ा या विवाद इस दिन नहीं करना चाहिए। शांति और संयम बनाए रखें।
- हरतालिका तीज (Hartalika Teej) का व्रत महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन की गई पूजा और व्रत से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे दांपत्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
भगवान शिव के इन मंत्रों का जप करें:
- ॐ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ॐ नमः
- नमामि ईशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं
- ॐ शं विश्वरूपाय अनादि अनामय शं ॐ
- ॐ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ॐ नमः शिवाय
- ॐ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ॐ