हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। रविवार की रात को हिजबुल्लाह ने इजरायल के एक महत्वपूर्ण मिलिट्री बेस पर घातक ड्रोन हमला किया। इस इजरायली मिलिट्री बेस पर घातक हमला (Deadly attack on Israeli military base) में चार इजरायली सैनिकों की मौत हो गई और लगभग 70 अन्य घायल हो गए। यह हिजबुल्लाह का ड्रोन हमला, इजरायल पर आक्रमण (Hezbollah drone attack, Israel attack) अब तक के सबसे खतरनाक हमलों में से एक माना जा रहा है।
हमले का विवरण और प्रभाव
इजरायली सेना के अनुसार, यह इजरायली मिलिट्री बेस पर घातक हमला रविवार की देर रात बिनयामीना मिलिट्री बेस पर किया गया। हिजबुल्लाह ने दो आत्मघाती ड्रोन का इस्तेमाल किया, जो समुद्र के रास्ते इजरायल में घुसे। ये ड्रोन हिजबुल्लाह के प्रमुख मिरसाद ड्रोन थे, जिन्हें ईरान में अबाबिल-टी के नाम से भी जाना जाता है। इजरायली शोध संस्थान अल्मा सेंटर के अनुसार, ये ड्रोन बेहद खतरनाक हैं। वे 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमला कर सकते हैं और 370 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से उड़ सकते हैं। इतना ही नहीं, ये 40 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम हैं और 3,000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं।
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हमले की रणनीति और इजरायल की प्रतिक्रिया
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि इजरायली रडार ने दोनों ड्रोनों को ट्रैक कर लिया था। इनमें से एक को हाइफा के पास मार गिराया गया, जबकि दूसरा ड्रोन थोड़े ही समय में रडार से गायब हो गया। माना जा रहा है कि यह विमान जमीन के बेहद करीब उड़ रहा था, जिस कारण इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम इसे पकड़ने में असफल रहा। इस हिजबुल्लाह का ड्रोन हमला, इजरायल पर आक्रमण (Hezbollah drone attack, Israel attack) में चार इजरायली सैनिकों की मौत हो गई और लगभग 70 अन्य घायल हो गए। सात सैनिकों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। घायलों को हेलीकॉप्टर की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया है। इजरायली सेना ने सैनिकों के परिवारों को घटना की सूचना दे दी है।
हिजबुल्लाह का दावा और बदले की कार्रवाई
हिजबुल्लाह ने एक बयान में इस इजरायली मिलिट्री बेस पर घातक हमला की जिम्मेदारी ली है। उसने कहा कि “यह हमला गुरुवार को बेरूत में हुए दो इजरायली हमलों के जवाब में किया गया है।” चरमपंथी संगठन ने दावा किया कि इस हमले में 22 लोग मारे गए हैं, हालांकि इजरायल ने इस दावे का खंडन किया है। यह हिजबुल्लाह का ड्रोन हमला, इजरायल पर आक्रमण (Hezbollah drone attack, Israel attack) दो दिन में इजरायल पर हुआ दूसरा ड्रोन हमला है। इससे पहले शनिवार को तेल अवीव के एक उपनगर में भी ड्रोन से हमला किया गया था, लेकिन उसमें कोई हताहत नहीं हुआ था। इस हमले के बाद, इजरायल ने भी जवाबी कार्रवाई की है। रविवार को गाजा पट्टी के नुसेरात में विस्थापित परिवारों को आश्रय देने वाले एक स्कूल पर इजरायली टैंक ने हमला किया। इस हमले में कम से कम 13 फिलिस्तीनी लोगों के मारे जाने की खबर है, जिसमें एक परिवार के माता-पिता और उनके छह बच्चे शामिल हैं।
क्षेत्रीय तनाव और बहुआयामी संघर्ष
यह इजरायली मिलिट्री बेस पर घातक हमला (Deadly attack on Israeli military base) इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव का एक और संकेत है। पिछले एक साल से इजरायल कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है। दक्षिण-पश्चिम में हमास और उत्तर में हिजबुल्लाह ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उत्तर-पूर्व में सीरिया और इराक के चरमपंथी गुट इजरायल को निशाना बना रहे हैं। यहां तक कि यमन से हूती विद्रोही भी मिसाइल दागने में जुटे हैं। इन सभी संगठनों को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जो इजरायल का कट्टर दुश्मन है। यह स्थिति मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा रही है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा है। इस घटना ने एक बार फिर इजरायल की सुरक्षा चुनौतियों को उजागर किया है। हालांकि इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया के सबसे उन्नत सिस्टमों में से एक माना जाता है, फिर भी हिजबुल्लाह के ड्रोन इसे भेदने में सफल रहे। यह इजरायल के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है और संभवतः आने वाले दिनों में वह अपनी रक्षा प्रणालियों को और मजबूत करने पर ध्यान देगा।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया और शांति के प्रयास
इस हिजबुल्लाह का ड्रोन हमला, इजरायल पर आक्रमण (Hezbollah drone attack, Israel attack) ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता पैदा कर दी है। संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और तनाव कम करने का आह्वान किया है। कूटनीतिक प्रयासों को तेज किया जा रहा है ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके। हालांकि, इस तरह के हमले शांति प्रक्रिया में एक बड़ी बाधा हैं। दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी और लगातार हिंसा के चक्र ने स्थायी समाधान की संभावनाओं को कमजोर कर दिया है। फिर भी, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के प्रयास जारी हैं, जिनका उद्देश्य दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाना है।
इस इजरायली मिलिट्री बेस पर घातक हमला (Deadly attack on Israeli military base) ने एक बार फिर इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवश्यकता को रेखांकित किया है। यह स्पष्ट है कि केवल सैन्य कार्रवाई से इस जटिल संघर्ष का समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए व्यापक राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता होगी, जिसमें सभी संबंधित पक्षों के हितों को ध्यान में रखा जाए।
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