पंचतत्व में विलीन हुए रतन टाटा, नम आंखों से देश के रत्न को राजकीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

ratan tata tribute

86 साल की उम्र में देश के सबसे मशहूर उद्योगपति और टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा के निधन की खबर से समूचे देश में शोक की लहर है। बुधवार की रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर मुंबई के एनसीपीए में रखा गया है। आपको बता दें कि आज सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 3.30 बजे तक लोग उनका अंतिम दर्शन कर सकेंगे। उसके बाद शाम को वर्ली में उनके पार्थिव देह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जायेगा। रतन टाटा पारसी थे, फिर भी उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति रिवाजों से न होकर इलेक्ट्रिक अग्निदाह से होगा। इस बीच महाराष्ट्र और झारखंड सरकार ने राजकीय शोक की घोषणा की है।

 रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने थे

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Ratan Tata

28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा ने टाटा ग्रुप में अपना कैरियर साल 1961 में 24 साल की उम्र में शुरू किया था। उनका पहला काम टाटा स्टील में शॉप फ्लोर का ऑपरेशन को मैनेज करना था। वहां से बिजनेस के गुर सीखते हुए रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने थे। टाटा ग्रुप के लिए उनका सबसे अहम योगदान यह रहा कि उन्होंने ग्रुप को ग्लोबल बना दिया। जिस समय रतन टाटा ने ग्रुप की कमान संभाली और 21 साल बाद साल 2012 में जब ग्रुप की कमान छोड़ी उस समय ग्रुप का रेवेन्यू 12 गुना बढ़ चुका था। 75 साल की उम्र में वह टाटा ग्रुप के चेयरमैनशिप से रिटायर हुए थे। 

 उनका पशु प्रेम भी जगजाहिर है

रतन टाटा देश के उन चुनिंदा उद्योगपतियों में से एक थे, जिन्होंने 80 और 90 के दशक में उदारीकण का पुरजोर समर्थन किया था। यही नहीं, भारत सरकार ने पद्म विभूषण और पद्म भूषण से भी नवाजा है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर उनके 10 मिलियन और  X पर 12.6 मिलियन फॉलोअर्स है। भारत में रतन टाटा एक ऐसा नाम है जिन्होंने आम आदमी को कार मालिक बनने का सपना दिखाया था। यही नहीं उनका पशु प्रेम भी जगजाहिर रहा है।

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जानिए क्या होता है राजकीय शोक?  

जब भी किसी बड़ी हस्ती की मृत्यु के बाद उनके लिए राजकीय शोक की घोषणा की जाती है। ऐसे में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। इस दौरान मृतक के पार्थिव शरीर वाले ताबूत को तिरंगे में लपेटा जाता है और राष्ट्र ध्वज तिरंगा को आधा झुका दिया जाता है। यही नहीं अंतिम संस्कार के समय गन सेल्यूट की रस्म अदायगी की जाती है। राजकीय शोक के समय सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है। और देश में जब राजकीय शोक की घोषणा की जाती है, तो उस अवधि तक राज्य की विधानसभा, सचिवालयों और महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे तिरंगे को आधा झुका दिया जाता है। 

पहले राजकीय शोक की घोषणा प्रधानमंत्रियों और मंत्रियों के निधन पर ही की जाती थी

बड़ी बात यह कि राजकीय शोक की घोषणा के बाद राज्य में कोई भी सरकारी कार्यक्रम या समारोह का आयोजन नहीं किया जाता। ध्यान देने वाली बात यह कि राजकीय शोक के दौरान सार्वजनिक छुट्टी होना जरूरी नहीं है। आपको बता दें कि पहले राजकीय शोक की घोषणा प्रधानमंत्रियों, राज्य के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों के निधन पर ही की जाती थी। लेकिन अब यह सम्मान उन सभी व्यक्तित्वों को दिया जाता है, जिन्होंने देशहित के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सरकार उनके कद और काम को देखते हुए राजकीय अवकाश का फैसला लेती है। 

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