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Stock market crash : Sensex 2222 अंक और Nifty 660 अंक लुढ़के, क्या है इस मंदी की असली वजह?

भारत का शेयर बाजार हाल ही में एक बड़े झटके से गुजरा है। सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) में जबरदस्त गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। इस लेख में हम इस गिरावट (stock market crash) के पीछे की असली वजहों को समझने की कोशिश करेंगे और यह भी देखेंगे कि निवेशकों को आगे क्या करना चाहिए। वैश्विक मंदी की छाया (global recession) इस बड़ी गिरावट की सबसे बड़ी वजह वैश्विक स्तर पर मंदी (global recession) की आशंका है। अमेरिका में अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं चल रही है। वहां मंदी के संकेत मिल रहे हैं। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसलिए वहां की स्थिति का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था डगमगाती है तो पूरा विश्व डर जाता है। इस डर की वजह से ही शेयर बाजारों में गिरावट (stock market crash) आई है। भू-राजनीतिक तनाव का असर दूसरी बड़ी वजह है दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे तनाव। ईरान और इजराइल के बीच की लड़ाई, यूक्रेन और रूस का युद्ध, ये सब चीजें बाजार को डरा रही हैं। जब देशों के बीच लड़ाई-झगड़े होते हैं तो लोग पैसों को सुरक्षित जगह पर लगाना चाहते हैं। इसीलिए शेयर बाजार से पैसा निकालकर सोने या दूसरे सुरक्षित जगहों पर लगा रहे हैं। सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) में भारी गिरावट  बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स (Sensex) आज 2.74 प्रतिशत या 2222 अंक की गिरावट के साथ 78,759 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह अपने न्यूनतम स्तर 78,295 अंक तक गिरा। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का प्रमुख सूचकांक निफ्टी आज 2.68 प्रतिशत या 662 अंक गिरकर 24,055 पर बंद हुआ। यह अपने न्यूनतम स्तर 23,893 अंक तक गिरा। प्रमुख शेयरों का प्रदर्शन बाजार में आई इस गिरावट (stock market crash) में लगभग सभी सेक्टर के शेयर प्रभावित हुए। बैंकिंग, आईटी, ऑटो और मेटल सेक्टर के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई। HDFC बैंक, ICICI बैंक, Reliance Industries, Infosys और TCS जैसे बड़े शेयरों में 3-5% तक की गिरावट आई। विदेशी निवेशकों का रुख विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भी भारतीय बाजार से पैसे निकालना शुरू कर दिया है। पिछले हफ्ते FIIs ने लगभग 15,000 करोड़ रुपये की निकासी की, जो इस साल की सबसे बड़ी साप्ताहिक निकासी है। भारत की स्थिति क्या है? भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी ठीक चल रही है, लेकिन वैश्विक मंदी (global recession) का असर भारत पर भी पड़ रहा है। भारत से भी कई कंपनियां अमेरिका और यूरोप में अपना सामान बेचती हैं। अगर वहां की अर्थव्यवस्था खराब हुई तो इन कंपनियों को भी नुकसान होगा। इसीलिए भारतीय शेयर बाजार भी प्रभावित हुआ है। निवेशकों के लिए क्या करें? अगर आपने शेयर बाजार में पैसा लगाया है तो घबराने की जरूरत नहीं है। बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। लंबे समय के लिए निवेश करने वाले लोगों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर आपने हाल ही में पैसा लगाया है तो सावधान रहने की जरूरत है। घबराएं नहीं: बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। लंबे समय का प्लान बनाएं: शेयर बाजार में लंबे समय के लिए निवेश करना फायदेमंद होता है। विभिन्न सेक्टर में निवेश (investment) करें: अपने पैसे को एक ही जगह पर न लगाएं। सलाहकार की मदद लें: अगर आपको समझ नहीं आ रहा है कि क्या करना है तो किसी अच्छे सलाहकार से बात करें। शेयर बाजार में आई गिरावट (stock market crash) ने सभी को चौंका दिया है। लेकिन यह एक अस्थायी स्थिति हो सकती है। लंबे समय के नजरिए से देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है। इसलिए निवेशकों को धैर्य रखना चाहिए और समझदारी से फैसले लेने चाहिए।

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Seat Sharing

Seat Sharing: सीट बंटवारे पर उद्धव ठाकरे और शरद पवार गुट में खींचतान 

महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। शिवसेना (UBT) ने जब से नासिक मध्य के लिए वसंत गिते और नासिक पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र के लिए सुधाकर बडगुजर को चुनावी मैदान में उतार है, तभी से गठबंधन के अंदर सीट बंटवारें (Seat Sharing) पर बहस छिड़ गई है। अब राष्ट्रवादी शरद पवार गुट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उद्धव ठाकरे की शिवसेना पर तंज कसते हुए कहा है कि ठाकरे गुट चाहे तो जिले की सभी 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दे, हम उनका झंडा हाथ में लेकर प्रचार करेंगे। दरअसल, राष्ट्रवादी शरद पवार गुट नासिक पश्चिम और नासिक मध्य को अपनी सीट मानता है और यहां से अपने उम्‍मीदवार उतारने की तैयारी कर रखी थी, लेकिन उद्धव ठाकरे की पार्टी द्वारा उम्‍मीदवार उतारे जाने के बाद से ही शरद पवार गुट में भारी नाराजगी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन दोनों सीटों के लिए गठबंधन के बीच खींचतान शुरू हो गई है।  सीटों के बंटवारें (Seat Sharing) पर अभी तक नहीं हुआ कोई फैसला  शरद पवार गुट के नेताओं ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया कि, महाविकास अघाड़ी में अभी तक सीटों के बंटवारें (Seat Sharing) पर कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन इसके बाद भी ठाकरे समूह शिवसेना के स्थानीय नेता एकतरफा फैसला लेकर नासिक मध्य और नासिक पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। दो सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद शरद पवार गुट के नेता तंज कस रहे हैं कि ठाकरे गुट को यहां की सभी 15 विधानसभा सीटों पर अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा कर चुनाव लड़ना चाहिए। शिवसेना ने बदली वफादारी की परिभाषा  प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ग्रुप ओबीसी सेल के छब्बू नागरे और नासिक शहर जिला महासचिव मुन्नाभाई अंसारी कहा कि ठाकरे समूह ने उम्मीदवार उतार वफादारी की परिभाषा ही बदल दी है। जिन उम्‍मीदवारों को मैदान में उतारा गया है, वे कांग्रेस, मनसे, भाजपा जैसी पार्टियों से होते हुए शिवसेना में पहुंचे हैं। ऐसे लोग कैसे महाविकास अघाड़ी के उम्‍मीदवार बन सकते हैं। शरद पवार गुट के नेताओं ने बैठककर आगे की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि पवार गुट भी जल्‍द ही चुनावी मैदान में अपने उम्‍मीदवार उतार सकता है। 

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image editing

AI की मदद से फोटो एडिटिंग हुई अब और भी आसान: जानिए Android और iOS के हेतु इन 5 मुफ्त ऐप्स के बारे में

आज के डिजिटल युग में, AI इमेज एडिटिंग टूल्स (Editing tools) ने फोटोग्राफी की दुनिया में एक नई क्रांति ला दी है। ये एप्स हमारे स्मार्टफोन को एक पावरफुल फोटो स्टूडियो में बदल देते हैं। आइए जानें कैसे ये AI-पावर्ड एप्स हमारी रोजमर्रा की तस्वीरों को अनोखा बना रहे हैं। AI इमेज एडिटिंग (Image editing): आपकी तस्वीरों का नया सफर टेक्नोलॉजी के इस दौर में, हमारे स्मार्टफोन सिर्फ कॉल करने के लिए नहीं रह गए हैं। अब वे हमारे क्रिएटिव companion बन गए हैं, खासकर फोटोग्राफी के मामले में। AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से, अब हर कोई अपनी amateur फोटोज़ को प्रोफेशनल मास्टरपीस में बदल सकता है। आइए जानें ऐसे पांच अद्भुत एप्स के बारे में जो आपकी फोटोज़ को एक नया अवतार देंगे। फोटोमैजिक: एक क्लिक में जादू फोटोमैजिक एक ऐसा एप है जो आपकी साधारण फोटोज़ को एक क्लिक में ट्रांसफॉर्म कर देता है। इसके AI-पावर्ड फिल्टर्स आपकी फोटो को किसी प्रोफेशनल फोटोशूट जैसा बना देते हैं। चाहे आप अपनी सेल्फी को ग्लैमरस लुक देना चाहें या लैंडस्केप फोटो को ब्रेथटेकिंग बनाना चाहें, फोटोमैजिक आपका नया बेस्ट फ्रेंड है। स्काईचेंजर: नए आसमान की कल्पना स्काईचेंजर एक यूनीक एप है जो आपकी फोटोज़ के बैकग्राउंड को पूरी तरह बदल देता है। बोरिंग ग्रे स्काई को शानदार सनसेट में या सादे आसमान को स्टारी नाइट में बदलें। इसका AI सिस्टम लाइटिंग और शैडोज़ को भी ऑटोमैटिकली एडजस्ट करता है ताकि नया स्काई बिल्कुल नेचुरल लगे। पोर्ट्रेटप्रो: हर सेल्फी एक आर्टवर्क पोर्ट्रेटप्रो आपकी सेल्फी को प्रोफेशनल पोर्ट्रेट में बदल देता है। इसके AI फीचर्स चेहरे के फीचर्स को एन्हांस करते हैं, बैकग्राउंड को ब्लर करते हैं और लाइटिंग को परफेक्ट करते हैं। अब हर सेल्फी में आप सेलेब्रिटी की तरह दिखेंगे, वो भी बिना किसी मेकअप के! टाइमवार्प: इतिहास को रंगीन बनाएं टाइमवार्प एक ऐसा एप है जो पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फोटोज़ में जान डाल देता है। इसका AI सिस्टम पुरानी तस्वीरों को इतनी सटीकता से कलराइज़ करता है कि वे आज ही ली गई लगती हैं। इस एप से अब अपने फैमिली एल्बम की यादों को नए रंगों में देखें और इतिहास को फिर से जीवंत करें। आर्टिस्टो: हर फोटो एक पेंटिंग आर्टिस्टो आपकी फोटोज़ को कलाकारों के स्टाइल में बदल देता है। चाहे आप वैन गॉग की तरह स्टारी नाइट चाहते हों या पिकासो की तरह क्यूबिज्म, आर्टिस्टो आपकी फोटो को चुने हुए आर्ट स्टाइल में ट्रांसफॉर्म कर देगा। अब आप अपनी खुद की आर्ट गैलरी बना सकते हैं। इन एप्स की मदद से, अब हर कोई अपनी फोटोज़ को एक नया डायमेंशन दे सकता है। याद रखें, असली कला आपकी आंखों और दिमाग में है, ये एप्स सिर्फ टूल्स हैं जो आपकी विज़न को रियलिटी में बदलने में मदद करते हैं। तो अपनी क्रिएटिविटी को नए पंख दें और इन AI-पावर्ड एप्स के साथ अपनी फोटोग्राफी स्किल्स को नई हाइट्स तक ले जाएं!

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Eye Problem in monsoon

Eye Problems in monsoon: कैसे करें बारिश में अपनी आँखों का बचाव

बारिश का मौसम हर किसी का पसंदीदा होता है। मानसून आने पर जहां एक तरफ हमें गर्मी से राहत मिलती है तो वहीं कई बीमारियों जैसे, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि का जोखिम भी बढ़ जाता है। इस मौसम में नमी में बढ़ोतरी के कारण वायरस, बैक्टीरिया और कवक आदि ज्यादा पनपते हैं और बीमारियों की मुख्य वजह बनते हैं। मानसून में आंखों की परेशानियां (Eye problems in monsoon) होने का रिस्क भी अधिक हो जाता है। इन दिनों आंखों की देखभाल बहुत आवश्यक है, ताकि आंखों से जुड़ी समस्याओं से बचा जा सके। आइये जानें मानसून में होने वाली आंखों की परेशानियों और उनके लक्षणों के बारे में। इसके साथ ही मानसून में आंखों की समस्याओं से बचाव (Prevention of eye problems in monsoon) के बारे में भी जानें। मानसून में आंखों की परेशानियां (Eye problems in monsoon) मानसून हमारे सबसे नाजुक अंग यानी आंखों की समस्याओं का कारण भी बन सकता है। इस मौसम में होने वाले कुछ आंखों के रोग इस प्रकार हैं: कंजंक्टिवाइटिस यानी आँख आना कंजंक्टिवाइटिस आंखों की कंजंक्टिवा में होने वाली सूजन को कहा जाता है। यह परेशानी वायरस, बैक्टीरिया आदि के कारण हो सकती है। बारिश के दौरान हवा में नमी बढ़ने से यह संक्रमण फैलता है। कंजक्टिवाइटिस के सामान्य लक्षणों में आंखों का लाल होना, सूजन, पीला चिपचिपा स्राव, खुजली, दर्द आदि शामिल हैं। स्टाईज या गुहेरी स्टाईज या गुहेरी आंखों में पलकों के किनारे होने वाली दर्दभरी लाल गांठों को कहा जाता है। यह समस्या पलकों के फॉलिकल में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती है । इस समस्या के लक्षणों में पलकों के चारों ओर पपड़ी जमना, आंखों के आसपास में जख्म, खुजली, दर्दभरे लाल फोड़े आदि शामिल हैं। कई रोगी इसमें बुखार का भी अनुभव कर सकते हैं। ड्राई आईज यह वो कंडीशन है, जिसमें आंसू आंखों को पर्याप्त रूप से चिकनाई देने में असमर्थ होते हैं। ड्राई आईज की स्थिति में अक्सर आंखों में जलन या चुभन हो सकती है। इस रोग के सामान्य लक्षण हैं, आंखों का लाल होना, फोटोसेंस्टिविटी, खुजली और जलन होना, आंखों में पानी आना आदि। कॉर्नियल अल्सर मानसून के कारण आंखों से जुड़ी एक गंभीर स्थिति को कॉर्नियल अल्सर कहा जाता है। कॉर्नियल अल्सर की वजह गंदे पानी के कारण होने वाला बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन हो सकता है इसके लक्षणों में आंखों में दर्द, रेडनेस, आंखों का धुंधला होना, डिस्चार्ज आदि शामिल हैं। मानसून में आंखों की समस्याओं से बचाव के उपाय  मानसून में आंखों की परेशानियां (Eye problems in monsoon) चिंताजनक हो सकती हैं। कुछ आसान उपायों को अपनाकर मानसून में आंखों की समस्याओं से बचाव (Prevention of eye problems in monsoon) संभव है। ये उपाय इस प्रकार हैं: बार- बार अपने हाथों को धोएं और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें। अपनी निजी चीज़ों को दूसरों के साथ शेयर करने से बचें। अपनी आंखों को रब करने यानी मलने की कोशिश न करें। आंखों के बचाव के लिए सही चश्मों का इस्तेमाल करें। हमेशा अपने कांटेक्ट लैंसों को साफ रखें।  बारिश में बेवजह बाहर जाने से बचें। नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाएं।

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Moonsoon gadget Protection

Monsoon gadget Protection : बारिश में अपने गैजेट्स  को सुरक्षित रखने के 6 आसान उपाय

मानसून (Monsoon) का मौसम जहां एक ओर राहत देता है, वहीं दूसरी ओर हमारे गैजेट्स (gadgets) के लिए खतरा भी बन जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बारिश के मौसम में सुरक्षित रख सकते हैं। मानसून का मौसम: आपके गैजेट्स के लिए एक चुनौती मानसून की पहली बूंद के साथ ही हमारे दिलों में खुशी के साथ-साथ अपने गैजेट्स की चिंता भी जाग उठती है। वो समय है जब हमारे स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सबसे ज्यादा खतरे में होते हैं। लेकिन चिंता न करें! कुछ smart टिप्स और tricks के साथ आप अपने डिजिटल साथियों को इस मौसम में भी सुरक्षित रख सकते हैं। स्मार्टफोन (Smart phone): आपका पॉकेट साथी स्मार्टफोन (Smart phone) हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। इसे बारिश से बचाने के लिए: वाटरप्रूफ केस (Waterproof case) का इस्तेमाल करें: एक अच्छा वाटरप्रूफ केस आपके फोन को पानी से बचाने में मदद करेगा। ज़िप-लॉक बैग का जादू: एक सस्ता लेकिन प्रभावी तरीका है अपने फोन को ज़िप-लॉक बैग में रखना। यह न सिर्फ पानी से बचाता है बल्कि आप इसके अंदर से भी फोन इस्तेमाल कर सकते हैं। स्क्रीन प्रोटेक्टर लगाएं: एक अच्छा स्क्रीन प्रोटेक्टर न केवल स्क्रैच से बचाता है बल्कि पानी से भी कुछ हद तक सुरक्षा देता है। लैपटॉप: आपका पोर्टेबल ऑफिस लैपटॉप को बारिश से बचाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं: वाटरप्रूफ लैपटॉप बैग: एक अच्छा वाटरप्रूफ लैपटॉप बैग आपके लैपटॉप को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। सिलिका जेल का चमत्कार: अपने लैपटॉप बैग में कुछ सिलिका जेल पैकेट रखें। ये नमी को सोख लेते हैं और आपके लैपटॉप को सूखा रखते हैं। कीबोर्ड कवर का इस्तेमाल: एक सिलिकॉन कीबोर्ड कवर आपके लैपटॉप को छोटी-मोटी बूंदों से बचा सकता है। टैबलेट और अन्य गैजेट्स: छोटे लेकिन महत्वपूर्ण वाटरप्रूफ स्लीव्स: अपने टैबलेट के लिए एक वाटरप्रूफ स्लीव खरीदें। नैनो कोटिंग: कुछ कंपनियां नैनो कोटिंग की सेवा देती हैं जो आपके गैजेट को वाटर रेपेलेंट बना देती है। डिसिकेंट पैकेट्स: अपने गैजेट बैग में डिसिकेंट पैकेट्स रखें जो नमी को सोख लेते हैं। सामान्य सावधानियां गीले हाथों से न छुएं: कभी भी गीले हाथों से अपने गैजेट्स को न छुएं। बारिश में कॉल से बचें: जहां तक संभव हो, बारिश में कॉल करने से बचें। पावर बैंक रखें: एक वाटरप्रूफ पावर बैंक आपातकालीन स्थिति में बहुत काम आ सकता है। बैकअप लें: अपने डेटा का regular बैकअप लें ताकि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में आपका महत्वपूर्ण डेटा सुरक्षित रहे। इंश्योरेंस: अपने महंगे गैजेट्स का इंश्योरेंस करवाना एक smart निवेश हो सकता है। याद रखें, थोड़ी सी सावधानी आपके प्रिय गैजेट्स को लंबे समय तक चलाने में मदद कर सकती है। तो इस मानसून, अपने डिजिटल साथियों की देखभाल करें और बारिश का आनंद लें! मानसून (Monsoon) का मौसम जहां एक ओर राहत देता है, वहीं दूसरी ओर हमारे गैजेट्स (gadgets) के लिए खतरा भी बन जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बारिश के मौसम में सुरक्षित रख सकते हैं। मानसून का मौसम: आपके गैजेट्स के लिए एक चुनौती मानसून की पहली बूंद के साथ ही हमारे दिलों में खुशी के साथ-साथ अपने गैजेट्स की चिंता भी जाग उठती है। वो समय है जब हमारे स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सबसे ज्यादा खतरे में होते हैं। लेकिन चिंता न करें! कुछ smart टिप्स और tricks के साथ आप अपने डिजिटल साथियों को इस मौसम में भी सुरक्षित रख सकते हैं। स्मार्टफोन (Smart phone): आपका पॉकेट साथी स्मार्टफोन (Smart phone) हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। इसे बारिश से बचाने के लिए: वाटरप्रूफ केस (Waterproof case) का इस्तेमाल करें: एक अच्छा वाटरप्रूफ केस आपके फोन को पानी से बचाने में मदद करेगा। ज़िप-लॉक बैग का जादू: एक सस्ता लेकिन प्रभावी तरीका है अपने फोन को ज़िप-लॉक बैग में रखना। यह न सिर्फ पानी से बचाता है बल्कि आप इसके अंदर से भी फोन इस्तेमाल कर सकते हैं। स्क्रीन प्रोटेक्टर लगाएं: एक अच्छा स्क्रीन प्रोटेक्टर न केवल स्क्रैच से बचाता है बल्कि पानी से भी कुछ हद तक सुरक्षा देता है। लैपटॉप: आपका पोर्टेबल ऑफिस लैपटॉप को बारिश से बचाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं: वाटरप्रूफ लैपटॉप बैग: एक अच्छा वाटरप्रूफ लैपटॉप बैग आपके लैपटॉप को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। सिलिका जेल का चमत्कार: अपने लैपटॉप बैग में कुछ सिलिका जेल पैकेट रखें। ये नमी को सोख लेते हैं और आपके लैपटॉप को सूखा रखते हैं। कीबोर्ड कवर का इस्तेमाल: एक सिलिकॉन कीबोर्ड कवर आपके लैपटॉप को छोटी-मोटी बूंदों से बचा सकता है। टैबलेट और अन्य गैजेट्स: छोटे लेकिन महत्वपूर्ण वाटरप्रूफ स्लीव्स: अपने टैबलेट के लिए एक वाटरप्रूफ स्लीव खरीदें। नैनो कोटिंग: कुछ कंपनियां नैनो कोटिंग की सेवा देती हैं जो आपके गैजेट को वाटर रेपेलेंट बना देती है। डिसिकेंट पैकेट्स: अपने गैजेट बैग में डिसिकेंट पैकेट्स रखें जो नमी को सोख लेते हैं। सामान्य सावधानियां गीले हाथों से न छुएं: कभी भी गीले हाथों से अपने गैजेट्स को न छुएं। बारिश में कॉल से बचें: जहां तक संभव हो, बारिश में कॉल करने से बचें। पावर बैंक रखें: एक वाटरप्रूफ पावर बैंक आपातकालीन स्थिति में बहुत काम आ सकता है। बैकअप लें: अपने डेटा का regular बैकअप लें ताकि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में आपका महत्वपूर्ण डेटा सुरक्षित रहे। इंश्योरेंस: अपने महंगे गैजेट्स का इंश्योरेंस करवाना एक smart निवेश हो सकता है। याद रखें, थोड़ी सी सावधानी आपके प्रिय गैजेट्स को लंबे समय तक चलाने में मदद कर सकती है। तो इस मानसून, अपने डिजिटल साथियों की देखभाल करें और बारिश का आनंद लें!

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Sawan Somvar

05 अगस्त को सावन सोमवार (Sawan Somvar): क्या आप भी बेलपत्र चढ़ाने में कर रहे हैं गलती?

सावन का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। इस वर्ष सावन का तीसरा सोमवार 05 अगस्त को पड़ रहा है। सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, और इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा अत्यंत प्राचीन और महत्वपूर्ण है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेलपत्र चढ़ाने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना अत्यावश्यक है। आइए जानते हैं मान्यताओं के अनुसार सावन के तीसरे सोमवार पर बेलपत्र चढ़ाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन-कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए। बेलपत्र का महत्व बेलपत्र, भगवान शिव को अर्पित किए जाने वाले प्रमुख पूजन सामग्रियों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। बेलपत्र में त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसलिए, शिवलिंग पर सावन का तीसरा सोमवार हो या कभी भी बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं। बेलपत्र चढ़ाने के नियम 1. स्वच्छता का ध्यान रखें: बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लें। स्वच्छ और ताजे बेलपत्र ही भगवान शिव को अर्पित करें। सावन के तीसरे सोमवार पर शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करते समय सबसे पहले आप बेलपत्र पर चंदन से टीका कर सकते हैं या ॐ लिख सकते हैं। बेलपत्र को हमेशा उसकी चिकनी सतह को ऊपर रखकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।  2. तीन पत्तों वाला बेलपत्र: हमेशा तीन पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। यदि तीन पत्तों वाला बेलपत्र उपलब्ध न हो तो पाँच या सात पत्तों वाला बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं, लेकिन एक, दो या चार पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाना वर्जित है। 3. बेलपत्र पर कोई दोष न हो: बेलपत्र पर किसी भी प्रकार का छिद्र एवं कीड़े का निशान नहीं होना चाहिए। ऐसे बेलपत्र अशुद्ध माना जाते हैं और इसे भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए। 4. बेलपत्र को उल्टा न रखें: बेलपत्र को चढ़ाते समय उसकी पत्ती का चिकना भाग (चमकदार हिस्सा) शिवलिंग की ओर होना चाहिए। पत्ती का खुरदुरा भाग ऊपर की ओर नहीं होना चाहिए।  5. एक ही बेलपत्र को पुनः प्रयोग न करें: जो बेलपत्र एक बार शिवलिंग पर चढ़ चुका है, उसे पुनः प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। सावन का तीसरा सोमवार हो या जब कभी भी शिवजी की पूजा करें तो कोशिश करें की बाबा भोलेनाथ को ताजे बेलपत्र का ही अर्पण करें। सावन सोमवार (Sawan Somvar) का तीसरा सोमवार: बेलपत्र चढ़ाने के विशेष मंत्र बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करें। इसके अलावा, निम्नलिखित मंत्र का भी जाप कर सकते हैं: नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥ दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌। अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌॥ अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌। कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌॥ गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर। सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय॥

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India vs Sri Lanka ODI

India vs Sri Lanka ODI: रोहित की कप्तानी पारी पर पानी फेरता श्रीलंकाई तूफान, दूसरे वनडे में भारत की हार का दिलचस्प विश्लेषण

भारत vs श्रीलंका वनडे  (India vs Sri Lanka ODI) : भारत और श्रीलंका के बीच हुए दूसरे वनडे में भारतीय टीम की हार ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। इस लेख में हम इस मैच के हर पहलू को गहराई से समझेंगे और जानेंगे कि कैसे एक मजबूत शुरुआत के बावजूद भारतीय टीम हार का सामना करने को मजबूर हुई। भारत vs श्रीलंका वनडे (India vs Sri Lanka ODI), कोलंबो: भारत की अप्रत्याशित हार रविवार, 4 अगस्त को आर प्रेमदासा स्टेडियम, कोलंबो में खेले गए दूसरे वनडे में भारतीय टीम को श्रीलंका के हाथों 32 रनों से हार का सामना करना पड़ा। यह मैच क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक रोलर कोस्टर राइड से कम नहीं था, जहां उतार-चढ़ाव के बीच अंततः भारतीय टीम को निराशा हाथ लगी। मैच का दृश्य: टॉस से शुरुआत मैच की शुरुआत टॉस के साथ हुई, जिसमें श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। श्रीलंकाई टीम ने 50 ओवरों में 9 विकेट खोकर 240 रन बनाए। यह एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य था लेकिन असंभव नहीं था। भारतीय चेज: आशाजनक शुरुआत भारतीय पारी की शुरुआत आशाजनक रही। कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) ने अपनी कप्तानी पारी में 44 गेंदों में 64 रन बनाकर टीम को एक मजबूत नींव दी। शुभमन गिल (35) और अक्षर पटेल (44) ने भी अच्छा योगदान दिया। 97/1 के स्कोर पर भारतीय टीम मजबूत स्थिति में थी। ड्रामा का पहला मोड़: मध्य ओवरों का संकट लेकिन मध्य ओवरों में कहानी बदल गई। श्रीलंकाई गेंदबाज जेफ्री वेंडरसे ने अपने जादुई स्पेल से भारतीय बल्लेबाजी को तहस-नहस कर दिया। उन्होंने 10 ओवरों में महज 33 रन देकर 6 विकेट झटके, जिसने मैच का रुख ही बदल दिया। बल्लेबाजी का पतन: विकेटों की लगी झड़ी रोहित शर्मा (Rohit Sharma) के आउट होने के बाद भारतीय विकेटों का पतन शुरू हो गया। विराट कोहली (14), शिवम दुबे (0) और श्रेयस अय्यर (7) जल्दी पवेलियन लौट गए। टीम का स्कोर 133/5 हो गया और दबाव बढ़ता गया। अंतिम उम्मीद: अक्षर पटेल का प्रयास अक्षर पटेल ने संघर्षपूर्ण पारी खेलते हुए 44 रन बनाए, लेकिन 185/7 के स्कोर पर उनका आउट होना भारत के लिए सबसे बड़ा झटका था। इसके बाद लगा कि शायद tail-enders कुछ चमत्कार कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अंतिम परिणाम: निराशाजनक हार अंततः भारतीय टीम 42.2 ओवरों में 208 रनों पर ऑल आउट हो गई, जो लक्ष्य से 32 रन कम था। यह हार न सिर्फ टीम के लिए बल्कि करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए भी निराशाजनक थी। कप्तान की प्रतिक्रिया: रोहित शर्मा के विचार मैच के बाद, कप्तान रोहित शर्मा ने (Rohit Sharma)अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जब आप एक खेल हारते हैं, तो सब कुछ दर्द देता है। आपको लगातार अच्छा क्रिकेट खेलना होता है और आज हम इसमें असफल रहे।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनकी आक्रामक बल्लेबाजी में जोखिम था। आगे की राह: तीसरा वनडे इस हार के बाद, भारतीय टीम अब सीरीज को बराबर करने के लिए बुधवार, 7 अगस्त को तीसरा वनडे खेलेगी। यह मैच टीम के लिए करो या मरो का मुकाबला होगा।

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Zika Virus

Zika Virus: कैसे करें बचाव मच्छरों द्वारा फैलने वाले इस वायरस से?

पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र में जीका वायरस (Zika virus) का कहर बरपा रहा है। जिसके चलते पूरे राज्य में हेल्थ अलर्ट है। इस वायरस के कारण रोगी के दिमाग का पूरी तरह से विकास नहीं हो पाता है। ऐसा पाया गया है कि यह वायरस प्रेग्नेंट महिलाओं को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। इससे गर्भ में शिशु कई जन्मजात कंडिशंस का शिकार हो सकता है, जैसे आंखों संबंधी विकार या दिमाग का विकास सही से न हो पाना आदि। जीका वायरस से बचाव (Protection from zika virus) संभव है। इसके लक्षणों के बारे में पता होना आवश्यक है, ताकि रोगी का सही समय पर निदान और उपचार हो सके। यहां हम आपको जीका वायरस (Zika virus) से जुड़ी जानकारी विस्तार से देने जा रहे हैं। क्या है जीका वायरस? तो आपको बता दें कि जीका वो रोग है, जो एक वायरस की वजह से होता है। यह वायरस एडीज नामक मच्छरों की वजह से फैलता है। इसके अलावा संभोग से भी यह फैल सकता है। गर्भवती महिला के इस वायरस से संक्रमित होने पर गर्भ में पल रहा शिशु भी संक्रमित हो सकता है और उसे गंभीर जन्मजात बीमारियां हो सकती हैं। जीका वायरस (Zika virus) अधिकतर रोगियों में किसी तरह से लक्षण नजर नहीं आते हैं। पांच में से केवल एक रोगी को ही जीका वायरस के लक्षण नजर आ सकते हैं, जो इस प्रकार हैं: -बुखार-सिरदर्द-जोड़ों में दर्द-आंखों के सफेद भाग में रेडनेस-स्किन पर रैशेस, जिन में खुजली भी हो सकती है जीका वायरस का उपचार जीका वायरस (Zika virus) का निदान डॉक्टर रोगी के खून या पेशाब में वायरस के लक्षणों से कर सकते हैं। इस रोग के उपचार के लिए कोई खास दवाई उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर रोगी में इसके लक्षणों को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं और रोगी को यह भी बता सकते हैं कि इस वायरस को दूसरों तक फैलाने से कैसे बचा जा सकता है। जीका वायरस इंफेक्शन खुद ही ठीक हो जाता है। लेकिन अगर रोगी प्रेग्नेंट है, तो इससे गर्भ में शिशु को नुकसान हो सकता है। जीका वायरस से बचाव  (Protection from zika virus) जीका वायरस से बचाव  (Protection from zika virus) हेतु निम्नलिखित तरीके फायदेमंद साबित हो सकते हैं: मच्छर जीका वायरस (Zika virus) को फैलाते हैं, इसलिए मच्छरों से बचें। घर के आसपास सफाई रखें, मॉस्किटो रिपेलेंट का इस्तेमाल करें और सही कपड़े पहनें। अगर आप गर्भवती हैं, तो आप ऐसी जगह जाने से बचें जहां यह वायरस फैला हो। इसके साथ ही मच्छरों से भी अपना बचाव करें। अगर आप ऐसी जगह रहती हैं, जहां यह वायरस फैला है, तो तुरंत डॉक्टर से बात करें।

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Paris Olympic 2024: ग्रेट ब्रिटेन को हराकर भी भारतीय हॉकी टीम की खुशी रही अधूरी, अंपायरिंग विवाद ने खड़े किए सवाल

Paris Olympic 2024 ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की जीत के बावजूद, अंपायरिंग विवादों ने खेल की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। हॉकी इंडिया ने इन मुद्दों पर गंभीर चिंता जताई है और समीक्षा की मांग की है। पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की शानदार जीत पेरिस 2024 (Paris Olympic 2024) ओलंपिक खेलों में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया। ग्रेट ब्रिटेन को 1-1 (4-2 SO) से हराकर टीम ने क्वार्टरफाइनल में यादगार जीत हासिल की। कप्तान हरमनप्रीत सिंह (Captain Harmanpreet Singh) (22′) ने भारत के लिए गोल किया, जबकि ग्रेट ब्रिटेन के लिए ली मॉर्टन (27′) ने स्कोर किया। मैच नियमित समय में बराबरी पर रहा, लेकिन शूट-आउट में भारत ने बाजी मारी। अंपायरिंग विवाद ने उठाए सवाल इस जीत के बावजूद, मैच के दौरान हुए कुछ अंपायरिंग निर्णयों ने विवाद खड़ा कर दिया। हॉकी इंडिया ने इन निर्णयों पर गंभीर चिंता जताई है। खासतौर पर, वीडियो अंपायर रिव्यू की असंगतता, शूट-आउट के दौरान कोचिंग और गोलकीपर द्वारा वीडियो टैबलेट का उपयोग प्रमुख मुद्दे रहे। वीडियो रिव्यू पर उठे सवाल सबसे बड़ा विवाद भारतीय खिलाड़ी अमित रोहिदास (Amit Rohidas) को दिए गए रेड कार्ड को लेकर था। वीडियो अंपायर ने उन्हें जानबूझकर स्टिक उठाने और खिलाड़ी को चोट पहुंचाने हेतु प्रयास करने का दोषी पाया। लेकिन कई लोगों ने इसे उनकी सामान्य खेल गतिविधि का हिस्सा माना। हालाँकि इस फैसले ने वीडियो रिव्यू सिस्टम पर भरोसे को कम किया है। शूट-आउट में अनियमितता एक अन्य मुद्दा ग्रेट ब्रिटेन के गोलकीपर को शूट-आउट के दौरान गोलपोस्ट के पीछे से कोचिंग दिए जाने का था। इसके अलावा, गोलकीपर द्वारा वीडियो टैबलेट का उपयोग भी विवाद का विषय बना। हॉकी इंडिया ने इन्हें fair play के उल्लंघन के रूप में देखा है। हॉकी इंडिया की प्रतिक्रिया हॉकी इंडिया ने इन घटनाओं की गहन समीक्षा की मांग की है। उनका मानना है कि ऐसी असंगतताएं खेल की integrity को कमजोर करती हैं और भविष्य के मैचों में fairplay सुनिश्चित करने के लिए इनकी जांच जरूरी है। अमित रोहिदास का निलंबन रेड कार्ड मिलने के कारण अमित रोहिदास को जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल मैच से निलंबित कर दिया गया है। एक तरह से यह भारतीय टीम के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि अब उनके पास सिर्फ 15 खिलाड़ी ही उपलब्ध होंगे। चुनौतियां इन विवादों और चुनौतियों के बावजूद, भारतीय टीम के मनोबल में रत्तीमात्र भी फर्क नहीं पड़ा है। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की (Dilip Tirkey) ने टीम के प्रदर्शन की सराहना की है और उम्मीद जताई है कि टीम सेमीफाइनल में भी अच्छा प्रदर्शन करेगी। बेशक भारतीय टीम का लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना है और वे इस लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं।

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Akhand Bharat

Akhand Bharat: अखंड भारत संकल्प दिवस

भारत के करोड़ों लोग हर दिन अखण्ड भारत का सपना देखते हैं। यह सिर्फ एक सपना नहीं है बल्कि इन लोगों की श्रद्धा और निष्ठा है। ये वो लोग हैं, जो भारत भूमि को एक मां के रूप में देखते और पूजते हैं। प्रात: उठकर वन्देमातरम् राष्ट्रघोष के साथ इस भूमि की मिट्टी को माथे से लगाते हैं। ऐसे असंख्य भारतवासी अपने मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं, फिर से अखण्ड भारत के संकल्प को कैसे त्याग सकते हैं? ऐसे लोगों के लिए ही हर साल 14 अगस्‍त को अखंड भारत (Akhand Bharat) संकल्प दिवस मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 को हमें अंग्रेंजों की कैद से आजादी तो मिल गई, लेकिन इसके साथ ही हमारी प्यारी मातृभूमि को विभाजन का गहरा घाव भी मिला। विभाजन का यह दर्द आज भी भारतवासियों के दिल में नासूर बनकर हर दिन चुभता है। क्‍योंकि इस बंटवारे ने केवल भूमि ही नहीं बांटी, इसने हमारी मातृभूमि का हजारों साल पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को भी बांट दिया।     विभाजन और इसके परिणाम अंग्रेजों ने 15 अगस्‍त 1947 को भारत को आजाद करने से एक दिन पहले यानी 14 अगस्‍त को इस भूमि को तीन हिस्‍सों में बांट दिया। एक हिस्‍सा भारत, दूसरा पश्चि‍मी पाकिस्‍तान और तीसरा पूर्वी पाकिस्‍तान जो भारत की मदद से 26 मार्च 1971 में बांग्‍लादेश बना। इस विभाजन के दौरान लाखों लोग मारे गए और विस्थापित हुए। साथ ही हमने सिंधु नदी, कोट लखपत जेल, हिंगलाज माता, नानकाना साहिब जैसे कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत खो दिए। अखंड भारत (Akhand Bharat) की आवश्यकता क्‍यों? ऐतिहासिक और सांस्कृतिक एकता अखंड भारत के लिए आवश्यक है। हालांकि इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिये हमें यथार्थ के कंकरीले-पथरीले और कांटेदार रास्‍ते से होकर गुजरना होगा, क्‍योंकि आज कई धार्मिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय शक्तियां अखंड भारत के रास्‍ते में बांधा बनकर खड़ी हैं। इस सबके बाद भी आरएसएस जैसे कई हिन्‍दू संगठन अखंड भारत के लक्ष्य को पाने के लिए काम कर रहे हैं। अखंड भारत के लाभ भारत फिर से अखंड होगा, यह समय की बात है, लेकिन ऐसा होने पर कई लाभ मिल सकते हैं। अखंड भारत होने पर दुश्‍मनों की संख्‍या कम हो जाएगी, जिससे रक्षा बजट में लगने वाले धन का खर्च देश के विकास और सार्वजनिक जनकल्याण में किया जा सकता है। साथ ही अभी दूसरे देशों में मौजूद धार्मिक और ऐतिहासिक स्‍थलों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। एकता होने पर देश के विकास और प्रगति को भी गति मिलेगी।  खंडित भारत को अखंड बनाने के लिए सैन्य सामर्थ्य भारत के पास है। लेकिन क्या सैन्य कार्रवाई या आक्रमण से जीत के बाद अखंड भारत बन सकता है? शायद नहीं, क्‍योंकि  जब लोगों में मनोमिलन होता है, तभी राष्ट्र का निर्माण होता है। अखंडता का मार्ग सांस्कृतिक और धार्मिक है। भारत की अखंडता का आधार भी भूगोल से ज्यादा संस्कृति इतिहास में है। इसलिए, हमें धार्मिक और संस्कृति एकता के साथ ही अखंड भारत के तरफ बढ़ना होगा।  चलो कंधे से कंधा मिलाकर अखंड भारत के सपने को हकीकत में बदलने का काम करते हैं। – भारत माता की जय! 

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