Mahakumbh 2025: इंजीनियरंग छोड़कर सनातन से जुड़े अभय
महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025), जो अपनी धार्मिक भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है, इस बार एक अनोखी कहानी का गवाह बना है। इस मेले में श्रद्धालुओं का ध्यान खींचने वाले ‘इंजीनियर बाबा’ उर्फ अभय सिंह अपनी अनूठी सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण सुर्खियों में हैं।
कौन हैं ‘इंजीनियर बाबा’?
अभय सिंह हरियाणा के एक छोटे से गांव से आते हैं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-B) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। लेकिन उनकी यात्रा यहीं समाप्त नहीं हुई। आध्यात्मिकता की ओर झुकाव और जिज्ञासा ने उन्हें अपनी पढ़ाई और पारंपरिक करियर छोड़कर संन्यास के मार्ग पर ले जाने के लिए प्रेरित किया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आध्यात्मिकता का संगम
‘इंजीनियर बाबा’ का अनोखा अंदाज और उनके प्रवचन लोगों को आधुनिक और पारंपरिक मूल्यों के बीच एक सेतु प्रदान करते हैं। वे जटिल आध्यात्मिक विषयों को डायग्राम और विजुअल प्रेजेंटेशन की मदद से समझाते हैं, जिससे ये आधुनिक युवाओं के लिए भी सहज और प्रासंगिक बन जाते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विज्ञान भौतिक जगत को समझने में मदद करता है, लेकिन इसका गहन अध्ययन अनिवार्य रूप से आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है। जीवन की सच्ची समझ अंततः हमें आध्यात्मिकता के करीब लाती है।”
इंजीनियरिंग से संन्यास तक का सफर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंजीनियर बाबा हरियाणा से हैं। उन्होंने IIT से पढ़ाई की, फिर इंजीनियरिंग से आर्ट्स में शिफ्ट हो गए। लेकिन वह भी नहीं चला, फिर बदलाव करते हुए अंततः सत्य की खोज की।”
उन्होंने आगे कहा, “फिर मैंने यह जानने की कोशिश की कि संस्कृत कैसे लिखी और रची गई, और इसे विशेष बनाने वाली बातें क्या हैं। ज्ञान की इस खोज ने मुझे यह समझने की ओर मोड़ दिया कि हमारा मन कैसे काम करता है और अवांछित विचारों से छुटकारा कैसे पाया जा सकता है।”
महाकुंभ में आध्यात्म और आधुनिकता का संगम
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) के संदर्भ में एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया, “महाकुंभ न केवल सनातन धर्म की महानता को दर्शाता है, बल्कि पेशेवरों और युवाओं के जीवन में आध्यात्मिकता की आवश्यकता को भी उजागर करता है। यह आयोजन आधुनिक और पारंपरिक मूल्यों के संगम का प्रतीक बनता जा रहा है।”
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जुना अखाड़े से जुड़े ‘इंजीनियर बाबा’
‘इंजीनियर बाबा’ जुना अखाड़ा से जुड़े हुए हैं। उनका उद्देश्य है कि आधुनिक विज्ञान और प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान को जोड़कर युवाओं और पेशेवरों को जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित किया जाए।
“प्रश्नों से शुरू हुई ज्ञान की यात्रा”
उन्होंने बताया कि उनकी आध्यात्मिक यात्रा सवालों से शुरू हुई। उन्होंने संस्कृत के रहस्यों और इसकी रचना शैली को समझने की कोशिश की। इसके बाद, उनका ध्यान यह जानने पर गया कि मन कैसे काम करता है और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए क्या किया जा सकता है।
श्रद्धालुओं को नई दिशा दे रहे हैं ‘इंजीनियर बाबा’
‘इंजीनियर बाबा’ के अनूठे दृष्टिकोण और उनकी प्रस्तुतियों ने महाकुंभ में युवाओं और पेशेवरों के बीच एक नई चेतना जगाई है। वे अपने व्याख्यानों के जरिए बताते हैं कि कैसे विज्ञान और आध्यात्मिकता मिलकर जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।
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