कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला ट्रेनी डॉक्टरों के साथ हुई वीभत्स घटना ने समस्त देशवासियों को झकझोर कर रख दिया था। यहां तक महामहिम द्रौपती मुर्मू ने भी, “अब कुछ करना होगा”, कहा कर अपनी चिंता व्यक्त की थी। राष्ट्रपति की इस टिपण्णी के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने महिलाओं की सुरक्षा को और मजबूत बनाने की बात कही।
देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं
जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने कहा कि “महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा आज हमारे समाज की गंभीर चिंता का विषय है। देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं लेकिन हमें इसे और सक्रिय करने की जरूरत है। पीएम मोदी ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा कि “महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे, उतनी ही तेजी से आधी आबादी की सुरक्षा उतनी ही मजबूत होगी। साथ ही महिलाओं को उतना ही भरोसा होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है। नए आपराधिक कानून का फोकस महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और अधिकार को मजबूत करने पर है।
सुप्रीम कोर्ट ने हमारे मौलिक अधिकारों को सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने कहा कि यह एक संस्था की महज यात्रा भर नहीं है। यह भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की यात्रा है। यह यात्रा एक लोकतंत्र के रूप में भारत के और परिपक्व होने की है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी संस्था पर हमारे भरोसे और विश्वास को हमेशा बरकरार रखा है। आपातकाल के दौर में भी, सुप्रीम कोर्ट ने हमारे मौलिक अधिकारों को सुरक्षित रखा। और जब भी राष्ट्रीय हित का सवाल खड़ा हुआ, सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा की। समस्त भारतीयों ने हमारी सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर हमेशा विश्वास किया है।
बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुए हैं
प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने कहा कि “न्याय में देरी को खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुए हैं। पिछले दस सालों में देश ने न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए करीब 8 हजार करोड़ रुपए खर्च किया है। पिछले 25 साल में जितनी राशि इस मद में खर्च की गई है, उसका 75 फीसदी पिछले दस सालों में ही हुआ है।
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