पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi), जो 16 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी, संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष मानी जाती है। जानिए इस पवित्र दिन की तिथि, महत्त्व, और व्रत करने की विधि।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्त्व है और पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) इनमें से एक है। वर्ष 2024 में पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और संतान प्राप्ति की कामना से यह व्रत विशेष रूप से किया जाता है। पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्त्व केवल संतान प्राप्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह व्रत संतान के अच्छे स्वास्थ्य और उन्नति के लिए भी रखा जाता है।
जानिए क्या है पूजा की तिथि
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अगस्त, बुधवार की सुबह 10:27 बजे शुरू होकर 16 अगस्त, गुरुवार की सुबह 09:39 बजे तक रहेगी। सस्त्रो के अनुसार, चूंकि 16 अगस्त, गुरुवार को एकादशी तिथि का सूर्योदय होगा, इसलिए पुत्रदा एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा।
पुत्रदा एकादशी का पौराणिक महत्व
पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) के बारे में कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। पुराणों में इस एकादशी व्रत का विशेष महत्त्व बताया गया है। एक कथा के अनुसार, भद्रावती नामक नगर में सुकेतुमान नाम के राजा और उनकी पत्नी शैव्या रहते थे। उन्हें कोई संतान नहीं थी, जिससे वे दोनों अत्यंत दुखी रहते थे। एक दिन राजा वन में चले गए और वहाँ उन्हें ऋषियों का दर्शन हुआ। ऋषियों ने उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने का सुझाव दिया। राजा ने इस व्रत को विधिपूर्वक रखा, जिसके फलस्वरूप उन्हें योग्य और वीर पुत्र की प्राप्ति हुई। इस कथा के माध्यम से पुत्रदा एकादशी के व्रत की महिमा और संतान प्राप्ति के लिए इसका महत्त्व बताया गया है।
ये है पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) का धार्मिक महत्त्व
पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान प्राप्ति की कामना करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और उनसे संतान सुख की प्रार्थना की जाती है। माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन व्रत करने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि संतान की रक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए भी यह व्रत अत्यंत लाभकारी होता है।
पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) व्रत विधि
पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) का व्रत रखने के लिए भक्तों को निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:
1. व्रत का संकल्प: पुत्रदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनसे व्रत को सफलतापूर्वक संपन्न करने की प्रार्थना करें।
2. भगवान विष्णु की पूजा: स्नान के बाद घर के पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीप जलाएं। फिर उन्हें पुष्प, धूप, चंदन, अक्षत, और ताजे फल अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और उनसे संतान सुख की कामना करें।
3. विष्णु सहस्रनाम का पाठ: पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और संतान सुख का आशीर्वाद मिलता है।
4. रात को जागरण: पुत्रदा एकादशी के व्रत में रात को जागरण करने का भी विशेष महत्त्व है। इस दौरान भगवान विष्णु की कहानियाँ और भजन-कीर्तन करें। जागरण करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
5. द्वादशी के दिन पारण: व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें और व्रत को संपन्न करें।
पुत्रदा एकादशी व्रत के लाभ
पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) का व्रत रखने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है बल्कि यह व्रत व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करता है। इस व्रत के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जो संतान की रक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक होती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है।
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