Sakat Chauth 2025: 17 जनवरी को मनाई जाएगी सकट चौथ, जानिए क्या है सकट चौथ की पूजा विधि

Sakat Chauth 2025

सकट चौथ (Sakat Chauth) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है। इस साल सकट चौथ 17 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। यह विशेष दिन खासतौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और अन्य उत्तरी भारतीय राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को सकट चौथ (Sakat Chauth) के नाम से जाना जाता है और यह विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति, संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति के लिए मनाया जाता है।

सकट चौथ की पूजा विधि का अत्यधिक महत्व है और इसे बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, मान्यताएँ और उसके पीछे की धार्मिक मान्यताएँ।

सकट चौथ का शुभ मुहूर्त  

माघ माह की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी 2025 को सुबह 4:06 बजे से शुरू होकर 18 जनवरी को सुबह 5:30 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के आधार पर, सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी, शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दिन व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। चन्द्रोदय का समय इस दिन रात 9:09 बजे होगा।  

सकट चौथ का महत्व

सकट चौथ को विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति और संतान की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है। इसे माघी चौथ (Sakat Chauth) भी कहा जाता है। इस दिन की पूजा का संबंध भगवान गणेश और उनके वाहन मूषक से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान गणेश (Lord Ganesha) ने इस दिन अपने भक्तों को संतान सुख की प्राप्ति और सभी विघ्नों को दूर करने का आशीर्वाद दिया था। इसलिए, इस दिन गणेश जी की पूजा विशेष रूप से संतान सुख और घर-परिवार की सुख-शांति के लिए की जाती है।

सकट चौथ को महिलाएँ विशेष रूप से व्रत करती हैं और संतान सुख की कामना करती हैं। साथ ही, इसे घर की समृद्धि और खुशहाली के लिए भी मनाया जाता है। यह व्रत संतान की दीर्घायु, सुखी जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।

सकट चौथ की पूजा विधि

सकट चौथ की पूजा विधि बहुत ही सरल और श्रद्धापूर्वक की जाती है। इस दिन का व्रत सूर्योदय से पूर्व प्रारंभ होता है और सूर्योस्त तक चलता है। पूजा की विधि निम्नलिखित है:

  1. स्नान और शुद्धता:
    व्रति इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान करके पवित्र हो जाते हैं। स्नान करने के बाद सफेद वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
  2. गणेश जी की पूजा:
    पूजा की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है। गणेश जी की तस्वीर या मूर्ति को स्वच्छ करके उस पर रोली, चंदन, हल्दी और फूल चढ़ाएं। इसके साथ ही, मोदक का भोग अर्पित करें, क्योंकि गणेश जी को मोदक बहुत प्रिय है।
  3. सामग्री:
    सकट चौथ की पूजा में विशेष रूप से मूषक (गणेश जी के वाहन) की पूजा की जाती है। इसके अलावा, व्रति को संतान सुख की प्राप्ति के लिए बिचुए और तंत्र-मंत्र का जाप करना होता है।
  4. कच्ची हल्दी और पानी:
    व्रति को हल्दी की 4 गांठें एक कपड़े में बांधकर घर के आंगन में रखना चाहिए। पूजा के दौरान इसे घर के कोने-कोने में रखकर घर के वातावरण को पवित्र किया जाता है।
  5. व्रत का संकल्प:
    व्रति इस दिन दिनभर का उपवासी रहते हैं, केवल फल और पानी का सेवन करते हैं। इस दौरान संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से गणेश जी की पूजा करते हैं और संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं।
  6. कथा सुनना:
    पूजा के बाद व्रति सकट चौथ की कथा सुनते हैं। यह कथा भगवान गणेश और उनके भक्तों से जुड़ी हुई होती है, जो इस दिन की महिमा और महत्व को उजागर करती है।
  7. पुण्य और दान:
    पूजा के बाद किसी ब्राह्मण या गरीब को भोजन का दान करना चाहिए, ताकि व्रत का पुण्य पूरा हो सके।

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सकट चौथ की मान्यताएँ

सकट चौथ के दिन कुछ विशेष मान्यताएँ प्रचलित हैं, जिनके अनुसार इस दिन को व्रत और पूजा विधि के अनुसार सही ढंग से किया जाता है तो विशेष लाभ मिलता है:

  1. संतान सुख:
    यह व्रत संतान सुख के लिए सबसे अधिक महत्व रखता है। इस दिन संतान की दीर्घायु और सुख-शांति की कामना की जाती है।
  2. घर में समृद्धि:
    यह पूजा घर की समृद्धि, शांति और खुशहाली को बनाए रखने में मदद करती है।
  3. विघ्नों का नाश:
    सकट चौथ के दिन व्रति गणेश जी से अपने सभी विघ्नों और संकटों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

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