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World Tourism Day

World Tourism Day: जानिए 27 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

घूमना-फिरना कुछ लोगों के मुख्य शौकों में से एक होता है। लोग नई-नई जगहों को एक्सप्लोर करने हेतु एक जगह से दूसरी जगह के टूर पर भी जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्ल्ड टूरिज्म डे भी मनाया (World Tourism Day) जाता है? यानी विश्व पर्यटन दिवस। हर साल की तरह इस वर्ष भी 27 सितंबर के दिन विश्व पर्यटन दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन की शुरुआत साल 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के पहल के तहत हुई थी। आप सोच रहे होंगे, यह तो ठीक कि साल 1980 में इसकी शुरुआत हुई थी, लेकिन इसके लिए 27 सितंबर ही क्यों? तो आपको बता दें कि इसी दिन साल 1970 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन की स्थापना की गई थी। इसी वजह से 27 सितम्बर के दिन वर्ल्ड टूरिज्म डे (World Tourism Day) मनाया जाता है।  आज भी लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर्यटन पर ही निर्भर है दरअसल, ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन’ का उद्देश्य वर्ल्ड टूरिज्म को बढ़ावा देना था। कहने की जरूरत नहीं टूरिज्म न सिर्फ हमारे बल्कि कई देशों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बड़ी बात यह कि आज भी लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर्यटन पर ही निर्भर है। असल मायनों में देखा जाये तो टूरिज्म कई देशों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। यानि, पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था सिर्फ टूरिज्म पर निर्भर है। कारण यही जो पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर साल विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है।   टूरिज्म को बढ़ावा देना है बेहद जरूरी  विश्व पर्यटन दिवस मनाने के पीछे का एकमात्र उद्देश्य दुनिया भर में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देना है। न सिर्फ उद्योग को बढ़ावा देना है बल्कि इसके महत्व को समझने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाना है। क्योंकि पर्यटन को लेकर लोगों में जितनी जागरूकता होगी उतना ही सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक फायदा होगा। क्योंकि घूमने-फिरने से लोग नए-नए लोगों से रूबरू होते हैं। वे नई संस्कृति और सभ्यता से दो चार होते हैं। यही नहीं, वो नए रहन-सहन के बारे में भी जानते हैं। वजह यही जो टूरिज्म को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है। आइये जानते हैं क्या इस वर्ष की थीम? इस वर्ष की विश्व पर्यटन दिवस की थीम आपको बता दें कि प्रत्येक वर्ष पर्यटन दिवस के लिए एक अलग थीम चुनी जाती है। इस साल “शांति और पर्यटन”  विश्व पर्यटन दिवस की थीम का नाम है। दरअसल, थीम दुनिया बाहर में शांति बनाये रखने की अपील करती है। जब दुनिया में शांति बनी रहेगी तब न देश के लोगों के लिए पर्यटन के रस्ते खुलेंगे।   इसलिए इस दिन यह कोशिश की जाती है कि पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिले, ताकि लोग इससे जुड़े और इससे जुड़कर उन्हें काम करने का अवसर मिले। जाहिर सी बात है, काम के अवसर प्राप्त होने से उनकी अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। कुल-मिलाकर देखा जाए तो इससे लोगों का ही लाभ है। #GlobalTourismDay #TravelAwareness #TourismPromotion #CulturalTourism #SustainableTourism #TravelHistory #TourismCelebration

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SBI General Insurance

SBI General Insurance: बढ़ती चिकित्सा लागत की चुनौती से निपटने के लिए लॉन्च की एक नई पॉलिसी – ‘एसबीआईजी हेल्थ सुपर टॉप-अप’

भारत की अग्रणी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में से एक एसबीआई जनरल इंश्योरेंस (SBI General Insurance) ने एक नई पॉलिसी ‘एसबीआईजी हेल्थ सुपर टॉप-अप (SBIG Health Super Top-Up)’ लॉन्च करने की घोषणा की है। यह एक हेल्थ बीमा टॉप-अप प्लान है, जिसे बुनियादी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ किफायती विकल्प के रूप में डिजाइन किया गया है। यह प्रॉडक्ट बीमा चाहने वाले लोगों को अपनी मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को और बढ़ाने के लिए विकल्प प्रदान करता है, भले ही वह पॉलिसी कॉर्पोरेट हो या व्यक्तिगत। यह ग्राहकों को अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप कवरेज को अपने अनुकूल करने में सक्षम बनाता है, जिससे एक सुविधाजनक और परेशानी मुक्त अनुभव सुनिश्चित होता है। एसबीआईजी हेल्थ सुपर टॉप-अप (SBIG Health Super Top-Up): किसी भी कंपनी की बेस पॉलिसी में जोड़ने की सुविधा देश में जीवनशैली संबंधी बीमारियों के बढ़ने और चिकित्सा से संबंधित लागत में लगभग 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने के साथ, अप्रत्याशित चिकित्सा आपात स्थितियों को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए पर्याप्त कवरेज होना अनिवार्य है। आमतौर पर मानक स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के माध्यम से यह संभव नहीं हो पाता है। ‘एसबीआईजी हेल्थ सुपर टॉप-अप’ पॉलिसी के जरिये लोगों को यह भरोसा मिलता है कि वे किसी भी अप्रत्याशित चिकित्सा स्थिति का बड़ी आसानी के साथ सामना कर सकते हैं। इस योजना में कवरेज की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें 5 लाख से लेकर 4 करोड़ तक की बीमा राशि वाली दो योजनाएं शामिल हैं। पॉलिसी के तहत, दावा तब देय होता है जब आपका प्राथमिक स्वास्थ्य बीमा कवरेज समाप्त हो जाता है या जब खर्च कटौती योग्य राशि से अधिक हो जाता है। यह अतिरिक्त कवरेज की आवश्यकता वाले ग्रुप हेल्थ या रिटेल हेल्थ ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करता है, साथ ही अपर्याप्त या बिना बीमा वाले शहरी और अर्ध-शहरी आबादी को भी पूरा करता है। इसके अतिरिक्त, यह पॉलिसी उच्च-नेट-वर्थ व्यक्तियों (एचएनआई) या व्यापक बीमा कवरेज चाहने वाले परिवारों की आवश्यकताओं को पूरा करती है। एसबीआई जनरल इंश्योरेंस (SBI General Insurance) द्वारा शुरू की गई एसबीआई जनरल इंश्योरेंस (SBI General Insurance) में अनेक उल्लेखनीय लाभ दिए गए हैं, जिनमें ये शामिल हैं- एसबीआई जनरल इंश्योरेंस (SBI General Insurance) द्वारा शुरू की गई एसबीआई जनरल इंश्योरेंस (SBI General Insurance) में कई महत्वपूर्ण सुविधाएं प्रदान करती है, जिनमें वैश्विक कवरेज, असीमित रिस्टोर और एक संचयी बोनस शामिल है जो दावे के बाद भी बरकरार रहता है और जो आपको समय के साथ बढ़ता हुआ मूल्य प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, प्रतीक्षा अवधि में कमी से अन्य सुविधाओं के साथ-साथ दूसरे फायदों तक त्वरित पहुंच सुनिश्चित होती है। सभी पॉलिसियों पर 5 प्रतिशत की एकमुश्त स्वागत छूट लागू होगी, बशर्ते प्रस्तावक कंपनी से कोटेशन प्राप्त करने के 5 दिनों के भीतर एसबीआईजी हेल्थ सुपर टॉप-अप बीमा खरीद ले। नई पॉलिसी के बारे में और विस्तार से जानकारी देते हुए एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के चीफ प्रॉडक्ट और मार्केटिंग ऑफिसर श्री सुब्रमण्यम ब्रह्मजोसुला ने कहा, ‘‘चिकित्सा उपचारों की बढ़ती लागत और जीवनशैली से संबंधित बीमारियों के बढ़ते प्रचलन के साथ, व्यापक स्वास्थ्य कवरेज होना अब एक विलासिता नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। एसबीआई जनरल में, हम हमेशा ग्राहकों को ऐसे सरल और किफायती जोखिम सॉल्यूशंस उपलब्ध कराने में सबसे आगे रहे हैं जो ग्राहकों की बदलती जरूरतों को पूरा करते हैं। ‘एसबीआईजी हेल्थ सुपर टॉप-अप’ बीमा पॉलिसी, उन ग्राहकों के लाभ के लिए है जो अपनी मौजूदा बीमा योजना को उचित प्रीमियम दर पर टॉप-अप करना चाहते हैं। यह पॉलिसी व्यक्तियों और परिवारों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार की गई है, जो अप्रत्याशित चिकित्सा आपात स्थितियों के दौरान मन की शांति और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। इस सुपर टॉप-अप पॉलिसी में किसी भी प्रदाता की किसी भी मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को सहजता से जोड़ने का अनूठा लाभ मिलता है।’’ #SBIHealth #SBIGHealth #HealthPolicy #publichealth #healthcare #insurance #SBI #health #lifeinsurance #healthpromotion #insurancepolicy #medicine #lifeinsuranceagent #mediclaim #healthplan #mediclaiminsurance #एसबीआईजीहेल्थसुपरटॉपअप #एसबीआईजीहेल्थसुपरटॉपअप #एसबीआईजीहेल्थ #एसबीआई By: SBI General Insurance PR Team 

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Myopia

Myopia: क्या आप जानते हैं, तीन में से एक बच्चा है शॉर्ट-साइटेडनेस से परेशान

शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) को मायोपिया (Myopia) भी कहा जाता है। यह सामान्य आई कंडीशन है, जो बहुत से लोगों की आंखों को प्रभावित करती है। इसमें रोगी को दूर रखी चीज को देखने में समस्या होती है और उन्हें यह चीजें धुंधली नजर आती हैं। अधिकर मामलों में रोगी को यह पता भी नहीं होता कि उसे शॉर्ट-साइटेडनेस हैं। क्योंकि, इस रोग में रोगी की दृष्टि में धीरे-धीरे बदलाव होता है। एक स्टडी के अनुसार तीन में से एक बच्चे या किशोर को शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) या मायोपिया की परेशानी है। आइए जानें इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से। सबसे पहले शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) के बारे में जान लेते हैं। शॉर्ट-साइटेडनेस क्या है?  मायोक्लिनिक (Mayoclinic) के अनुसार शॉर्ट-साइटेडनेस में रोगी को दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) की समस्या बचपन और किशोरावस्था के दौरान विकसित होती है। आमतौर पर, यह रोग 20 से 40 वर्ष की उम्र के बीच अधिक स्थिर हो जाता है। सामान्य आंखों की जांच से शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) का निदान संभव है। इसके उपचार में आईग्लासेज, कॉन्टेक्ट लैंसेस और रिफ्रेक्टिव सर्जरी आदि शामिल हैं। क्या कहती है शॉर्ट-साइटेडनेस के बारे में की गयी स्टडी? चीन की एक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के द्वारा की गयी स्टडी में यह पाया गया है कि तीन में से एक बच्चे या किशोर में शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) या मायोपिया की समस्या होती है। इस स्टडी में  एशिया और अफ्रीका सहित 50 देशों के 5-19 वर्ष की आयु के 54 लाख से अधिक प्रतिभागियों और शॉर्ट-साइटेडनेस के 19 लाख मामलों का विश्लेषण किया गया। इसमें यह पाया गया कि कोविड लॉकडाउन का उन बच्चों की आंखों की रोशनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा, जिन्होंने स्क्रीन पर अधिक और बाहर कम समय बिताया। इसके साथ ही लोगों से इस बात का अनुरोध भी किया गया है कि वो स्क्रीन टाइम कम करें और फिजिकल एक्टिविटीज पर अधिक ध्यान दें।  बच्चों और किशोरों को शॉर्ट-साइटेडनेस से बचाने के तरीके अपने बच्चों और किशोरों को शॉर्ट-साइटेडनेस (Short-Sightedness) से बचाने के कुछ आसान तरीके इस प्रकार हैं: #PreventShortSightedness #EyeCareForKids #VisionHealth #EarlyDetection #ChildhoodMyopia #EyeHealthTips #KidsVisionTesting

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Turkey-India relations

Turkey-India relations: क्या एर्दोगन ने कश्मीर पर बदला अपना रुख, UN में क्यों नहीं बोला तुर्की?

नई दिल्ली से लेकर अंकारा तक की राजनीतिक गलियारों में इन दिनों एक नई हवा बह रही है। तुर्की-भारत रिश्ते (Turkey-India relations) अब नए मोड़ पर आ गए हैं। हाल ही में UN की बैठक में तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी साध ली जो कि पिछले कई सालों से नहीं देखा गया था। ये बदलाव कई लोगों को हैरान कर रहा है। आइए समझते हैं कि आखिर ये नया मोड़ क्यों आया और इसका क्या मतलब हो सकता है। तुर्की का नया रुख: UN में कश्मीर पर खामोशी तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इस बार UN में बोलते हुए कश्मीर का नाम तक नहीं लिया। ये बात इसलिए खास है क्योंकि पिछले पांच साल से वो लगातार इस मुद्दे को उठा रहे थे। 2019 में जब भारत ने कश्मीर में बड़ा बदलाव किया था तब से तुर्की पाकिस्तान के साथ खड़ा था। लेकिन इस बार उन्होंने चुप रहकर सबको चौंका दिया। ये बदलाव कई वजहों से हो सकता है। सबसे बड़ी वजह ये हो सकती है कि तुर्की अब BRICS ग्रुप में शामिल होना चाहता है। BRICS एक ऐसा ग्रुप है जिसमें बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं जैसे भारत चीन और रूस। तुर्की को लगता है कि अगर वो इस ग्रुप का हिस्सा बन जाता है तो उसे बहुत फायदा होगा। BRICS की चाहत: तुर्की की नई रणनीति तुर्की के लिए BRICS में शामिल होना बहुत बड़ी बात होगी। इससे उसकी अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी और दुनिया में उसकी ताकत बढ़ेगी। लेकिन BRICS में शामिल होने के लिए उसे सभी मौजूदा सदस्यों का समर्थन चाहिए जिनमें भारत भी एक अहम सदस्य है। शायद इसीलिए तुर्की ने अपना रुख बदला है और कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चुप रहने का फैसला किया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी कहा है कि वो चाहते हैं कि एर्दोगन अगले महीने होने वाली BRICS मीटिंग में आएं। ये बताता है कि तुर्की को BRICS में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अगर तुर्की BRICS का सदस्य बन जाता है तो वो इस ग्रुप का पहला NATO देश सदस्य होगा जो कि एक बड़ी बात होगी। भारत-तुर्की संबंधों का नया अध्याय तुर्की का ये नया रुख भारत और तुर्की के रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच तनाव था खासकर कश्मीर के मुद्दे पर। लेकिन अब लगता है कि दोनों देश एक-दूसरे से नजदीकियां बढ़ाना चाहते हैं। इस बदलाव से भारत को भी फायदा हो सकता है। तुर्की एक अहम देश है जो यूरोप और एशिया के बीच एक पुल की तरह है। अगर भारत और तुर्की के रिश्ते अच्छे होंगे तो दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ सकता है। इससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। Turkey-India relations में ये नया मोड़ कई मायनों में महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच पुराने मतभेदों को दूर करने और नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का ये एक सुनहरा मौका हो सकता है। व्यापार तकनीकी सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं। आगे की राह: चुनौतियां और अवसर हालांकि ये बदलाव सकारात्मक लग रहा है लेकिन इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं। तुर्की अभी भी पाकिस्तान का करीबी दोस्त है और उसके साथ उसके पुराने रिश्ते हैं। ऐसे में भारत के साथ संतुलन बनाना तुर्की के लिए मुश्किल हो सकता है। दूसरी तरफ ये एक बड़ा मौका भी है। अगर दोनों देश मिलकर काम करें तो वो कई वैश्विक चुनौतियों से निपट सकते हैं। जलवायु परिवर्तन आतंकवाद और आर्थिक विकास जैसे मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने से दोनों देशों को फायदा होगा। #TurkeyIndiaTies #UNGAKashmirSilence #ErdoganDiplomacy #IndiaTurkeyRelations #BRICSExpansion

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लाडली बहना योजना

महाराष्ट्र की महिलाओं को लाडली बहना योजना की किश्त का इंतजार, विपक्ष ने उठाए शिंदे सरकार पर सवाल 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अगले महीने होने की संभावना है। इस चुनाव में जीत हासिल करने और मतदाताओं को लुभाने के लिए राज्य की शिंदे सरकार ने कई लोक लुभावन घोषणाएं की हैं। इनमें से ही एक लाडली बहना योजना है। महिलाओं की शिकायत है कि इस योजना के तहत अभी तक सितंबर माह का पैसा नहीं आया है। अब महिलाएं शिंदे सरकार से पूछ रही हैं कि क्या एकनाथ शिंदे हम बहनों को भूल गए? जो उम्मीद जगाकर पैसे नहीं भेजे।  लाभार्थी महिलाओं के अकाउंट में हर महीने की 15 तारीख तक पैसा पहुंच जाएगा दरअसल, शिंदे सरकार ने अगस्त माह में लाडली बहना योजना शुरू करने की घोषणा की थी। साथ ही अगस्त माह कि किस्त भी भेज दी गई थी और कहा गया था कि, लाभार्थी महिलाओं के अकाउंट में हर महीने की 15 तारीख तक पैसा पहुंच जाएगा, लेकिन सितंबर माह का पैसा अभी तक लाभार्थियों के अकाउंट में नहीं आया। जिसकी वजह से महिलाएं अब इस योजना पर सवाल उठा रही हैं और पूछ रही…कहीं शिंदे भाऊ हमें भूल तो नहीं गए? सितंबर माह की किस्त जल्द होगी जारी महिला एवं बाल विकास विभाग के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि, इस महीने के पैसे भेजने में थोड़ी देर जरूर हुई है, लेकिन इसे जल्द ही जारी किया जाएगा। सभी पात्र लाभार्थियों को उनके अकाउंट में जल्द पैसे मिल जाएंगे। वहीं, योजना का पैसा भेजने में हो रही देरी पर विपक्ष ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेसी सासंद वर्षा गायकवाड ने इस मुद्दे पर शिंदे सरकार को घेरते हुए कहा कि, यह सरकार सिर्फ खोखले वादे करती है, उसे पूरा नहीं करती। महिलाओं को पैसे देने का जो वादा किया है, उसे तत्काल प्रभाव से पूरा करना चाहिए। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां पर जनता से किए गए सभी वादे पूरे किए जा रहे हैं।  क्या है लाडली बहन योजना बता दें कि, मध्यप्रदेश की तरह महाराष्ट्र सरकार ने भी अगस्त माह में लाडली बहन योजना शुरू की थी। योजना के तहत सालाना 2.50 लाख रुपये तक आय वाले परिवारों की 21 वर्ष से 65 वर्ष तक की महिलाओं को हर माह 1500 रुपये मिलने हैं। इस योजना के लॉन्च होते ही राज्य की लाखों महिलाओं ने इसमें रजिस्ट्रेशन कराया है। योजना के तहत अगस्त माह में राज्य सरकार ने 1.5 करोड़ से अधिक महिलाओं के खातों में 1500 रुपये की क़िश्त जमा की थी।  #WomenEmpowerment #OppositionQuestions #GovernmentSchemes #SocialWelfare #MaharashtraPolitics #WomenSupport #YojanaUpdate

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Mahalaya 2024

Mahalaya 2024: दुर्गा पूजा से पहले महालया, बंगाल में क्यों है यह दिन बेहद खास

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का महोत्सव विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस उत्सव की शुरुआत ‘महालया’ (Mahalaya) से होती है, जिसे बंगालियों के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। महालया वह दिन है जब देवी दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन की आधिकारिक घोषणा होती है। यह अश्विन माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है और इसी दिन से दुर्गा पूजा की तैयारियों का आरंभ माना जाता है।  देवी दुर्गा की प्रतिमा पर चढ़ाया जाता है रंग इस दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा पर रंग चढ़ाया जाता है, उनकी आंखों का निर्माण किया जाता है, और मंडप को सजाया जाता है। मां दुर्गा की मूर्ति बनाने वाले कारीगर पहले से ही अपने काम में जुट जाते हैं, लेकिन महालया के दिन मूर्ति को अंतिम रूप दिया जाता है। महालया के दिन पितृपक्ष समाप्त होता है और इसी दिन से देवी पक्ष की शुरुआत होती है। देवी पक्ष भी पितृपक्ष की तरह 15 दिन का होता है, जिसमें से 10 दिन नवरात्रि के होते हैं, और 15वें दिन लक्ष्मी पूजा के साथ देवी पक्ष समाप्त होता है, जो शरद पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है। महालया (Mahalaya) का धार्मिक महत्व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महालया के दिन मां दुर्गा अपने परिवार के साथ धरती पर आती हैं और अपने भक्तों के दुखों का निवारण करती हैं। इस दिन देवी दुर्गा को पृथ्वी पर आह्वान किया जाता है, जो उनके विजय दशमी के दिन महिषासुर का वध करने की कथा से जुड़ा है। महालया के दिन सुबह-सुबह लोग ‘महिषासुर मर्दिनी’ का पारंपरिक पाठ सुनते हैं, जिसमें देवी दुर्गा की वीरता और महिषासुर का अंत करने की गाथा का वर्णन होता है। तर्पण की परंपरा महालया का एक और महत्वपूर्ण पहलू है तर्पण, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को जल अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। यह अनुष्ठान गंगा नदी के तट पर बड़ी संख्या में लोगों द्वारा संपन्न किया जाता है। इस दिन को ‘पितृ पक्ष’ के अंत के रूप में भी देखा जाता है, जिसके बाद ‘देवी पक्ष’ का शुभारंभ होता है। बंगाल में महालया (Mahalaya) का सांस्कृतिक महत्व महालया का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। इस दिन से दुर्गा पूजा की भव्य तैयारियों की शुरुआत होती है। पंडाल सजने लगते हैं, मूर्तिकार मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुट जाते हैं, और चारों ओर उत्सव का माहौल बनने लगता है। बंगाली समाज में महालया के दिन का इंतजार हर व्यक्ति करता है, क्योंकि यह दिन दुर्गा पूजा के आगमन का प्रतीक है। महालया पर विशेष कार्यक्रम पश्चिम बंगाल में इस दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। टीवी और रेडियो पर ‘महिषासुर मर्दिनी’ का प्रसारण होता है, जिसे सुनने के लिए लाखों लोग सुबह जल्दी उठते हैं। इस दिन को खास बनाने के लिए लोग नए वस्त्र पहनते हैं और घरों में विशेष भोजन पकाते हैं। #MahalayaSignificance #DurgaArrival #BengalFestivals #DurgaPujaPreparations #CulturalCelebration #SpiritualBengal #GoddessDurga

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Sarva Pitru Amavasya 2024

Sarva Pitru Amavasya 2024: जानें पितरों को शांति देने के इस महत्वपूर्ण दिन के खास नियम

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है, और इसका समापन सर्व पितृ अमावस्या के दिन होता है। यह दिन उन सभी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है, जिनका तर्पण किसी कारणवश पितृपक्ष के दौरान नहीं हो पाया। 2024 में सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2024) 2 अक्टूबर को पड़ रही है, और इस दिन पूर्वजों के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाता है। इसे महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, जो पितरों को विदाई देने का अंतिम दिन होता है।  पितृपक्ष और अमावस्या का महत्व पितृपक्ष 15 दिन की वह अवधि होती है, जिसमें व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ और दान करते हैं। पितृपक्ष के आखिरी दिन, सर्व पितृ अमावस्या, उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनका विशेष दिन ज्ञात नहीं होता। यह दिन पूरे परिवार के पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन किए गए तर्पण और पिंडदान से पितरों की आत्मा को संतोष मिलता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। सर्व पितृ अमावस्या 2024 (Sarva Pitru Amavasya 2024) के दिन क्या करें? सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2024) के दिन घर के सदस्य अपने पूर्वजों को याद करके विशेष पूजा करते हैं। इस दिन श्राद्ध कर्म में तर्पण, पिंडदान और दान का विशेष महत्व होता है। तर्पण के दौरान पवित्र जल, दूध और तिल से पूजा की जाती है। इसके साथ ही भोजन बनाकर ब्राह्मणों या गरीबों को खिलाया जाता है। इस दिन सफेद रंग की वस्तुएं, जैसे कि खीर, चावल और दही का भोग लगाया जाता है।  आश्विन मास की अमावस्या आश्विन मास की अमावस्या, जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है, उन पूर्वजों के श्राद्ध के लिए सबसे उपयुक्त दिन माना जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है। इस दिन विशेष रूप से उन पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तारीख नहीं मालूम। भाद्रपद मास की अमावस्या: मातमह अमावस्या का महत्व भाद्रपद मास की अमावस्या, जिसे मातमह अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती। यह अवसर विशेष रूप से उन पितरों के लिए महत्वपूर्ण है जिनकी यादें तो जीवित हैं, लेकिन उनकी मृत्यु की तारीख अस्पष्ट है। इस दिन श्राद्ध करना धार्मिक कर्म माना जाता है, जिसमें पिंडदान और तर्पण के माध्यम से पितरों को सम्मान दिया जाता है। मातमह अमावस्या, पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर है, ताकि परिवार में सुख और शांति बनी रहे। दान का महत्व सर्व पितृ अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तांबा, और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं दान की जाती हैं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए गाय, कुत्ते और कौवे को भी भोजन कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान पितरों तक सीधा पहुंचता है।  पितृ दोष से मुक्ति सर्व पितृ अमावस्या का दिन उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है। पितृ दोष तब उत्पन्न होता है, जब पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट रहती है। इस दोष के निवारण के लिए इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। #SarvaPitruAmavasya #PitruPaksha2024 #AncestralRituals #Tarpan #PindDaan #HinduRituals #PitruDosha #MahalayaAmavasya #Spirituality #HinduTraditions #ShradhCeremony #PitruBlessings

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राहुल गांधी

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, राहुल गांधी भारत के नागरिक हैं या नहीं?

एक बार फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर मामला गरमा गया है। दरअसल, राहुल गांधी की नागरिकता पर प्रश्न चिन्ह निर्माण करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। दायर की गई युक्त याचिका में न सिर्फ उनके विदेश नागरिक होने का दावा किया गया था बल्कि मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग भी की गई थी। इसके अलावा याचिका में यह भी पूछा गया था कि राहुल गांधी किस अधिकार के तहत लोकसभी सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं? गृह मंत्रालय से इसपर मांगा स्पष्टीकरण  दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने गृह मंत्रालय से इसपर स्पष्टीकरण मांगा है। बता दें कि बुधवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि “क्या केंद्र ने ‘नागरिकता अधिनियम 1955’ के तहत दायर उक्त तथ्य कथन पर कोई निर्णय लिया है, जिसमें राहुल गांधी के पास ‘ब्रिटिश नागरिकता’ होने के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया गया था?” सीबीआई जांच की मांग की है खबर के मुताबिक़ न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ, कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसने गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने के मुद्दे पर विस्तृत जांच की है और उसे कई नई जानकारियां मिली हैं। जिसके चलते याचिकाकर्ता ने गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की है। बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई अब 30 सितंबर को होगी। पहले भी दायर हो चुकी हैं याचिकाएं राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर पहले भी इस तरह की याचिकाएं अदालत में दायर की गई थी। दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह कह कर ख़ारिज कर दिया कि “याचिकाकर्ता को पहले सक्षम प्राधिकारी के पास शिकायत करनी चाहिए।” खैर, यह मामला लोकसभा स्पीकर ओम बिडला तक भी पहुंचा। अदालत में दाखिल याचिका का हवाला देते हुए ओम बिडला से मांग की गई कि राहुल गांधी को बतौर सांसद तबतक कार्य करने की अनुमति न दी जाए जबतक गृह मंत्रालय की तरफ से मामले का निपटारा न हो जाए।  #AllahabadHighCourt #RahulGandhiCase #IndianGovernment #IndianPolitics #RahulGandhiCitizenship #CourtVerdict #LegalNews

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Mark Zuckerberg's Roman T-shirt

Mark Zuckerberg’s Roman T-shirt: जूलियस सीज़र से प्रेरणा ले रहे हैं मार्क जुकरबर्ग? यह टी-शर्ट है सबूत!

कैलिफोर्निया के मेनलो पार्क में मेटा कंपनी ने अपना सालाना कनेक्ट इवेंट रखा। इस इवेंट में कंपनी ने अपने नए प्रोडक्ट्स दिखाए जैसे ओरियन AR चश्मा और मेटा क्वेस्ट 3S। लेकिन सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान खींचा मेटा के बॉस मार्क जुकरबर्ग का रोमन टी-शर्ट। जुकरबर्ग ने पहनी खास टी-शर्ट जुकरबर्ग ने एक सफेद रंग की टी-शर्ट पहनी थी जिस पर लैटिन भाषा में कुछ लिखा था। उस पर लिखा था “aut Zuck aut nihil”। ये लैटिन शब्द हैं जिनका मतलब होता है “या तो जुकरबर्ग या कुछ नहीं”। मतलब साफ है कि जुकरबर्ग का लक्ष्य बहुत बड़ा है और वो पूरी ताकत से उसे पाना चाहते हैं। रोमन इतिहास से जुड़ाव जुकरबर्ग को रोमन इतिहास बहुत पसंद है। उन्होंने अपनी हनीमून रोम में मनाई थी। उनके दो बच्चों के नाम भी रोमन सम्राटों के नाम पर रखे गए हैं – ऑगस्ट और ऑरेलिया। जुकरबर्ग ने एक बार कहा था कि उन्हें स्कूल में लैटिन पढ़ना अच्छा लगता था। उन्होंने इसकी तुलना कोडिंग से की थी। टी-शर्ट का इतिहास जुकरबर्ग की टी-शर्ट पर लिखे वाक्य का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि ये वाक्य सबसे पहले जूलियस सीज़र ने कहा था। बाद में इटली के राजकुमार सेसरे बोर्जिया ने इसे अपना मोटो बना लिया। असल में ये वाक्य था “aut Caesar aut nihil” जिसका मतलब होता है “या तो सीज़र या कुछ नहीं”। जुकरबर्ग ने इसमें सीज़र की जगह अपना नाम डाल दिया। लोगों की प्रतिक्रिया इंटरनेट पर लोगों ने जुकरबर्ग की टी-शर्ट पर खूब कमेंट किए। एक यूजर ने लिखा, “जुकरबर्ग ने इस टी-शर्ट को पहनकर अपनी छवि को नई ऊंचाई दी है।” दूसरे ने पूछा, “क्या जुकरबर्ग मजाक कर रहे हैं या फिर वो सच में इतने महत्वाकांक्षी हैं ही?” एक तीसरे ने लिखा, “अगर आप सोच रहे थे कि जुकरबर्ग की टी-शर्ट पर क्या लिखा है तो इसका मतलब है – या तो जुकरबर्ग या कुछ नहीं।” Mark Zuckerberg’s Roman T-shirt ने सबका ध्यान खींचा मेटा कनेक्ट इवेंट में जुकरबर्ग ने कई नए प्रोडक्ट्स लॉन्च किए। उन्होंने ओरियन नाम का एक नया AR चश्मा दिखाया जिसे उन्होंने दुनिया का सबसे अच्छा चश्मा बताया। लेकिन लोगों का ध्यान उनके प्रोडक्ट्स से ज्यादा उनकी टी-शर्ट पर गया। जुकरबर्ग का रोमन कनेक्शन ये पहली बार नहीं है जब जुकरबर्ग ने रोमन इतिहास से जुड़ी कोई चीज पहनी है। इस साल अपने 40वें जन्मदिन पर भी उन्होंने एक खास टी-शर्ट पहनी थी। उस पर लिखा था “Carthago delenda est”। इसका मतलब होता है “कार्थेज को नष्ट किया जाना चाहिए”। कार्थेज रोम का सबसे बड़ा दुश्मन था। जुकरबर्ग की बहन डोना ने प्रिंसटन से क्लासिक्स में PhD की है। वो अक्सर लिखती हैं कि कैसे कुछ ऑनलाइन समुदाय प्राचीन इतिहास का गलत इस्तेमाल करते हैं। शायद जुकरबर्ग अपनी बहन से भी प्रेरणा लेते हैं। इस तरह Mark Zuckerberg’s Roman T-shirt सिर्फ एक कपड़ा नहीं बल्कि उनकी सोच का प्रतीक बन गया। ये दिखाता है कि वो किस तरह अपने काम और जीवन को देखते हैं। क्या आपको लगता है कि जुकरबर्ग सच में इतने महत्वाकांक्षी हैं या फिर ये सिर्फ एक मार्केटिंग ट्रिक है? अपने विचार कमेंट में जरूर बताएं। #ZuckShirt #MetaConnect2024 #MarkZuckerberg #RomanEmpire #TechFashion #jeffbezos #billgates #entrepreneur #entrepreneurship #money #millionaire #quotes #zuckerberg #entrepreneurquotes #entrepreneurlife

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ICBM

China’s dangerous ICBM DF-41: क्या इस एक मिसाइल ने दुनिया के सभी देशों की नींद उड़ा दी है?

चीन ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है जो पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है। बुधवार को चीन ने अपने नए अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) DF-41 का परीक्षण किया। यह घटना इसलिए खास है क्योंकि चीन ने पिछले 44 सालों में पहली बार खुलेआम ऐसा टेस्ट किया है। आइए जानते हैं इस मिसाइल के बारे में और समझते हैं कि यह इतना खतरनाक क्यों माना जा रहा है। DF-41: एक शक्तिशाली हथियार DF-41 एक बहुत ही ताकतवर मिसाइल है। इसकी खास बात यह है कि यह 12,000 से 15,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है। इसका मतलब है कि यह मिसाइल चीन से छोड़े जाने पर अमेरिका तक पहुंच सकती है। यह बात अमेरिका के लिए बड़ी चिंता का विषय है। इस मिसाइल को परमाणु हथियार ले जाने के लिए बनाया गया है। इसका मतलब है कि अगर इसमें परमाणु बम लगा दिया जाए तो यह बहुत बड़े इलाके में तबाही मचा सकता है। इसीलिए दुनिया भर के देश इस नए हथियार को लेकर चिंतित हैं। चीन का खतरनाक ICBM DF-41 (China’s dangerous ICBM DF-41) न सिर्फ लंबी दूरी तक मार कर सकता है बल्कि यह बहुत तेज़ भी है। इसकी स्पीड इतनी ज्यादा है कि दुश्मन देश के पास इसे रोकने का वक्त बहुत कम होता है। चीन की बढ़ती ताकत इस नए मिसाइल के टेस्ट से यह साफ हो गया है कि चीन अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ है। पिछले कुछ सालों में चीन ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाई है। माना जा रहा है कि 2030 तक चीन के पास 1,000 से ज्यादा परमाणु हथियार हो सकते हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश की सेना को मजबूत करने पर खास ध्यान दिया है। उन्होंने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रॉकेट फोर्स को नया रूप दिया है। यह विभाग देश के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइलों की देखभाल करता है। दुनिया पर असर चीन का खतरनाक ICBM DF-41 का टेस्ट एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ा सकता है। इस इलाके में पहले से ही कई देशों के बीच तनाव है। उत्तर कोरिया भी हाल ही में कई मिसाइल टेस्ट कर चुका है। ऐसे में चीन का यह कदम और चिंता पैदा कर सकता है। अमेरिका इस नए हथियार को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित है। क्योंकि यह मिसाइल सीधे अमेरिका को निशाना बना सकती है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। साथ ही यह पूरी दुनिया के लिए खतरा पैदा कर सकता है।  भारत के लिए है चिंता की बात भारत के लिए भी यह एक बड़ी चुनौती है। चीन पहले से ही भारत के पड़ोसी देशों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। ऐसे में उसके पास इतना शक्तिशाली हथियार होना भारत के लिए चिंता की बात है। ICBM DF-41 का टेस्ट बताता है कि दुनिया में हथियारों की होड़ अभी खत्म नहीं हुई है। इससे शांति के प्रयासों को झटका लग सकता है। ऐसे में जरूरी है कि सभी देश मिलकर इस मुद्दे पर बात करें और तनाव कम करने की कोशिश करें। दुनिया के बड़े देशों को इस बात पर  देना होगा ध्यान दुनिया के बड़े देशों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न हो। इसके लिए सभी देशों के बीच भरोसा बढ़ाना जरूरी है। साथ ही, हथियारों पर नियंत्रण के लिए नए समझौते करने की जरूरत है। अंत में, यह कहा जा सकता है कि China’s dangerous ICBM DF-41 दुनिया के लिए एक नई चुनौती है। इससे निपटने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा। तभी हम एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण दुनिया की उम्मीद कर सकते हैं। #ChinaICBM #DF41Missile #GlobalSecurity #MilitaryTechnology #NuclearWeapons

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