Jammu-Kashmir

कांग्रेस-NC का JK में चुनावी गठबंधन, सीटों के बंटवारे पर यहां फंस रहा पेच

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) का ऐलान होने के साथ ही राजनीतिक जोड़तोड़ शुरू हो गई है। यहां की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने गठबंधन कर लिया है। इस गठबंधन का ऐलान नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के बीच हुई बैठक के बाद हुआ। इस गठबंधन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती सीटों का बंटवारा है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार दोनों दलों के बीच सीट बंटवारा का मुद्दा आसान नहीं होने वाला।  जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में ज्यादातर सीटों पर पहले ही बन चुकी है सहमित  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों दलों के बीच जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के अंदर ज्यादातर सीटों पर सहमित पहले ही बन चुकी है, लेकिन पीर पंजाल घाटी की सीटों पर समझौता अटका हुआ है। बताया जा रहा है कि घाटी के अंदर नेशनल कॉन्फ्रेंस की स्थिति मजबूत है, इसलिए फारूक अब्दुल्ला यहां पर अपने लिए ज्यादा सीटें मांग रहे हैं। वहीं कांग्रेस खुद के लिए जम्मू क्षेत्र में ज्यादा सीट का दावा कर रही। इस पर दोनों दल सहमत भी हैं, लेकिन पीर पंजाब की सीटों पर दोनों दलों में सहमति नहीं बन पा रही है।  40-50 फॉर्मूले के तहत सीट चाहती है कांग्रेस  पार्टी सूत्रों के आधार पर मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि, इस गठबंधन में कांग्रेस 40-50 फॉर्मूले के तहत सीट चाहती है। लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस 25 से 30 सीट से ज्यादा कांग्रेस को देने को तैयार नहीं है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के नेता अपने लिए घाटी में वो सभी सीटें मांग रहे हैं, जहां से वे पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस इसके लिए राजी नहीं हैं। सबसे ज्यादा उलझन पीर पंजाल की सीटों को लेकर है।  बात नहीं बनी तो अलग-अलग लड़ेंगे  गठबंधन के नेताओं ने दावा किया है कि ‘करीब 75% सीटों’ पर बंटवारा तय हो चुका है। बाकि बची सीटों को लेकर दोनों दलों में बातचीत चल रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सुझाव दिया कि जिन सीटों पर सहमति नहीं बनती, उन पर दोनों दल अलग-अलग लड़ सकते हैं। क्योंकि दोनों दलों का मकसद भाजपा को हराना है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस यह भी चाहती है कि इस गठबंधन में पीडीपी भी शामिल हो जाए। JammuKashmir #AssemblyElections #NCCongressAlliance #PirPanjalSeats #PoliticalAlliance

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महाराष्ट्र में भाजपा और कांग्रेस की सीटों को लेकर ताजा सर्वे में हुआ यह खुलासा

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव (assembly elections) का बिगुल जल्द ही बचने वाला है, लेकिन इससे पहले इंडिया टुडे की तरफ से किए गए मूड ऑफ द नेशन सर्वे ने राज्य की राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी हैं। इस सर्वे के अनुसार, अगर अभी लोकसभा चुनाव हो तो महाराष्ट्र में भाजपा और कांग्रेस (BJP and Congress) की सीटें बढ़ सकती हैं। इस सर्वेक्षण के अनुसार, अगर आज चुनाव हो तो महाराष्ट्र में भाजपा को तीन अधिक सीटें मिल सकती हैं। वहीं कांग्रेस को भी इस राज्य में तीन और सीटें मिल सकती हैं। जिससे भाजपा की सीटों की संख्या 12 और कांग्रेस की सीटों की संख्या 16 हो जाएगी।  राजनीतिक पार्टियां विधानसभा चुनाव में अपने-अपने जीत का कर रही हैं दावा  इंडिया टुडे ने मतदाताओं के रुझान का पता लगाने के लिए यह सर्वे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले किया है। यह सर्वेक्षण आने के बाद से ही राजनीतिक पार्टियां विधानसभा चुनाव में अपने-अपने जीत का दावा कर रही हैं। हालांकि, ध्यान रहे कि लोकसभा और विधानसभा के बीच चुनावी मुद्दे और मतदाताओं के विचार अलग-अलग होते हैं। ऐसे में यह सर्वे विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की सोच को पूरी तरह नहीं दर्शा सकता।  लोकसभा चुनावों में बीजेपी को बड़ा झटका बता दें कि, इसी साल अप्रैल-जून के बीच लोकसभा चुनाव हुए थे। इस चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को महाराष्ट्र में बड़ा झटका लगा था। यहां पर एनडीए राज्य की कुल 48 सीटों में से मात्र 17 सीटें ही जीत पाई थी। जिसमें भाजपा को 9, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 7 और अजित पवार की एनसीपी को मात्र 1 सीट मिली थी। वहीं दूसरी तरफ, इंडिया गठबंधन ने महाराष्ट्र में 30 सीटें जीतीं। जिसमें कांग्रेस को 13 सीटें, शिवसेना (यूबीटी) को 9 सीटें और शरद पवार के एनसीपी गुट को 8 सीटें मिलीं।  सर्वे में पूछे गए थे पक्ष-विपक्ष से जुड़े सवाल  इस सर्वेक्षण में पूछे गए सावाल के आधार पर 25 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने राज्य सरकार के प्रदर्शन को अच्छा बताया। 34 प्रतिशत ने मतदाताओं ने कहा कि वे कुछ हद तक संतुष्ट हैं, वहीं 33 प्रतिशत ने राज्य सरकार के प्रदर्शन को निराशाजनक बताया। इस सर्वे में विपक्ष से जुड़े सवाल पर 11 प्रतिशत उत्तरदाता ने विपक्ष के प्रदर्शन को अच्छा बताया, 21 प्रतिशत ने कुछ हद तक संतुष्ट बताया और 30 प्रतिशत ने निराशाजनक बताया।  #Election2024 #MaharashtraSurvey #PoliticalPredictions #BJPvsCongress #ElectionResults #PoliticalNews #MaharashtraElections

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क्या सच में राहुल गांधी हैं शादीशुदा, या वो सही में हैं विदेशी नागरिक? सच जान दबा लेंगे दांतों तले उंगली

कांग्रेस के इकलौते युवराज राहुल गांधी भारतीय राजनीति के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। न सिर्फ वो कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण नेता हैं बल्कि देश पर सबसे अधिक वर्षों तक राज करने वाली पार्टी के मुखिया भी रह चुके हैं। बड़ी तादात में उनकी अपनी फैन फॉलोविंग है। देश की विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उनके कार्यकर्ता उन्हें भावी प्रधानमंत्री के तौर पर देखते हैं। अक्सर उनके सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी जानकारी को लेकर मीडिया में जिज्ञासा बनी रहती है। जाहिर सी बात है उनके निजी जीवन से जुड़ी बातों को सभी जानना चाहते हैं। सभी जानना चाहते हैं कि वो महीनों की छुट्टी लेकर कहां जाते हैं, क्या करते हैं, किससे मिलते हैं? इस तरह की तमाम ऐसी बातें हैं जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ आम जनमानस में होती रहती हैं।  खैर, उनके निजी जीवन से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जिसे जान शायद आपके होश फाख्ता हो जाएं। यदि आपको पता चले कि वो शादीशुदा हैं और उनके दो बच्चें हैं। आप निश्चित ही अपनी भौहें तरेर कहेंगे, किस तरह की बेतुकी बातें कर रहें हैं आप। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एक रिपोर्ट में उनके शादीशुदा होने से लेकर कई ऐसी बातों का दावा किया गया है जिससे आप सभी अनजान हैं। दरअसल, उनके निजी जीवन से जुड़ी बातों का खुलासा किया है बांग्लादेश के एक पत्रकार Salah Uddin Shoaib Choudhury ने, जिन्होंने अपनी वेबसाइट Blitz में कई बातों को उजागर किया है। Salah Uddin Shoaib Choudhury अपनी वेबसाइट में लिखते हैं कि भारत के सबसे प्रसिद्ध राजनीतिक राजवंश के वंशज राहुल गांधी लंबे समय से अपनी सार्वजनिक भूमिका और निजी जीवन दोनों के लिए ध्यान के केंद्र में रहे हैं। जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) ने एक दूरदर्शी नेता के रूप में उनकी छवि बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन सच्चाई कहीं अधिक जटिल और परेशान करने वाली है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) नेता और गांधी वंश के वंशज, राहुल गांधी के खिलाफ कोई व्यक्तिगत प्रतिशोध नहीं है। एक पत्रकार के नाते से उन व्यक्तियों के बारे में अनकहे और अज्ञात तथ्यों को उजागर करना मेरी ज़िम्मेदारी है – भले ही वे चौंकाने वाले या काले रहस्य उजागर करते हों – जिन पर किसी देश का भविष्य बहुत अधिक निर्भर करता है, खासकर जब वह देश भारत हो, जो दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना लोकतंत्र है। एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति के रूप में, मैं मोतीलाल नेहरू की दोहरी शादी, जवाहरलाल नेहरू के ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन के साथ विवाहेतर रोमांटिक और शारीरिक संबंधों या सोनिया गांधी के कई पुरुषों के साथ पिछले संबंधों को लेकर उदासीन हूं। ये सभी को अच्छी तरह से पता है। इस लेख में मेरा ध्यान राहुल गांधी पर है। जिसमें कई सारे चौंकाने वाले और काले रहस्य हैं जिन्हें भारत के लोगों को जानना चाहिए। राहुल गांधी के बारे में, ट्रिनिटी कॉलेज के एक पूर्व सहपाठी ने साझा किया, “राहुल एक बहुत ही मिलनसार व्यक्ति हैं। हम जानते हैं कि वे स्वभाव से बेहद धर्मनिरपेक्ष हैं। उन्हें फ्राइड बेकन और बीफ स्टेक बहुत पसंद है। उनकी जीवनशैली पूरी तरह से पश्चिमी है। हमें कभी नहीं लगा कि वे हिंदू परिवार से हैं।” कम से कम चार अन्य अल्मा मेटरों ने भी इसी तरह की राय दोहराई। जबकि कई लोग राहुल गांधी के निजी जीवन, जिसमें उनके रोमांस और संभावित विवाह शामिल हैं, के बारे में भ्रमित हैं, कई देशों में फैले ब्लिट्ज़ की टीम ने इन मामलों की व्यापक जांच की है। ठोस सबूतों के आधार पर यह स्पष्ट है कि हिंदू महिलाओं का राहुल गांधी के रोमांटिक जीवन में कोई स्थान नहीं है। इसके बजाय, वह हमेशा गैर-हिंदू महिलाओं, जिनमें मुस्लिम भी शामिल हैं, की ओर आकर्षित रहे हैं। हमारी जांच में यह पता चला है कि, हालांकि राहुल गांधी के छात्र जीवन के दौरान कई ईसाई और मुस्लिम महिलाओं के साथ संक्षिप्त रोमांटिक संबंध थे, लेकिन उनका पहला ज्ञात गंभीर संबंध नोअल ज़हर नामक एक अफ़गान महिला के साथ था, जिसे राजकुमारी नोअल के नाम से भी जाना जाता है। उनके पिता, प्रिंस मुहम्मद दाउद पश्तूनयार खान, काबुल में एस्टेकलाल हाई स्कूल और मिलिट्री अकादमी में शिक्षित हुए थे। उन्हें रॉयल अफ़गान एयर फ़ोर्स में द्वितीय लेफ्टिनेंट के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में वे नागरिक विमानन पायलट बन गए। राजकुमारी नोएल की माँ, राजकुमारी फातिमा बेगम, जिन्हें फातिमा आरिफ ज़हर के नाम से भी जाना जाता है, ने 2005 से रोम में अफ़गान दूतावास में प्रथम सचिव (प्रोटोकॉल, वित्तीय मामले और जनसंपर्क) के रूप में कार्य किया और बाद में 2007 से रोम में अफ़गान चार्ज डी’एफ़ेयर के रूप में कार्य किया। वह यूएसएसआर में अफ़गानिस्तान के पूर्व राजदूत जनरल सरदार मुहम्मद आरिफ़ खान की बेटी हैं। संदेहास्पद रूप से, राजकुमारी नोएल के साथ राहुल गांधी के रोमांटिक संबंधों का विवरण देने वाले एक लेख का लिंक ITI टाइम्स द्वारा हटा दिया गया था, संभवतः एक प्रतिष्ठा प्रबंधन कंपनी के हस्तक्षेप के कारण। इसी तरह, द संडे गार्जियन द्वारा 2012 में प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट को भी हटा दिया गया था। बता दें कि राजकुमारी नोअल ज़हर अफ़गानिस्तान के राजा मोहम्मद ज़हीर शाह की पोती हैं, जिन्होंने 1933 से 1973 तक अफ़गानिस्तान पर शासन किया था। Salah Uddin Shoaib Choudhury अपनी वेबसाइट में लिखते हैं कि जब उनसे पूछा गया कि राजकुमारी नोअल के साथ राहुल गांधी का रिश्ता क्यों खत्म हुआ, तो उनके दोस्तों ने कहा, “वह उन महिलाओं के साथ ऐसा ही करते हैं जो उनसे प्यार करती हैं”। उन्होंने आगे बताया कि राजकुमारी नोअल ने अपनी शादी की तैयारी के लिए इस्लाम छोड़कर रोमन कैथोलिक ईसाई धर्म अपना लिया था, जो कैथोलिक रीति-रिवाजों का पालन करने वाली थी। राहुल गांधी अक्सर इटली में सोनिया गांधी के घर के चैपल में अपनी प्रेमिका नोअल के साथ प्रार्थना करते थे। एक अन्य स्रोत के अनुसार, राहुल और नोअल के बीच संबंध तब खराब हो गए जब वह गर्भवती हो गईं और राहुल ने जोर देकर कहा कि वह गर्भपात करा लें। इससे नोअल को बहुत दुख हुआ और उन्होंने राहुल को विश्वासघाती मानते हुए रिश्ता खत्म करने का फैसला किया।…

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Jammu Kashmir Elections

आर्टिकल 370 के बाद का पहला Jammu Kashmir Elections: जानें कांग्रेस-NC गठबंधन का क्या होगा असर?

जम्मू-कश्मीर में आने वाले विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Elections) को लेकर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इस बार चुनाव में कुछ खास है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह गठबंधन जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। आइए जानते हैं इस गठबंधन के बारे में और क्यों यह चुनाव इतना महत्वपूर्ण है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह खबर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने दी। दोनों पार्टियाँ अब यह तय कर रही हैं कि कौन कहाँ से चुनाव लड़ेगा। कांग्रेस ने कहा है कि वह कश्मीर घाटी में 12 जगहों से चुनाव लड़ना चाहती है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस को जम्मू इलाके में 12 जगहों से चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। इस गठबंधन से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। दोनों पार्टियाँ मिलकर अपनी ताकत बढ़ा सकती हैं। इससे चुनाव में मुकाबला रोचक हो सकता है। राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला की मुलाकात कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने एक साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने गठबंधन पर बात की। यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण थी। इसमें दोनों नेताओं ने तय किया कि वे मिलकर चुनाव (Jammu Kashmir Elections) की रणनीति बनाएंगे। बैठक में सबसे ज्यादा बात इस पर हुई कि कौन सी पार्टी कहाँ से चुनाव लड़ेगी। हालांकि, अभी इस बारे में आखिरी फैसला नहीं हुआ है। जल्द ही दोनों पार्टियाँ इस बारे में अंतिम फैसला लेंगी। चुनाव का ऐतिहासिक महत्व यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के लिए बहुत खास है। यह पहला बड़ा चुनाव है जो 5 अगस्त, 2019 के बाद हो रहा है। उस दिन सरकार ने आर्टिकल 370 हटा दिया था। इससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हो गया था। अब जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है। इस बदलाव के बाद होने वाला यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के भविष्य को तय करेगा। क्या लोग कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को करेंगे पसंद? सभी पार्टियाँ इस चुनाव में जीतने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं। वे चाहती हैं कि नए जम्मू-कश्मीर में उनकी अच्छी जगह हो। इसलिए यह चुनाव सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस चुनाव से यह भी पता चलेगा कि जम्मू-कश्मीर के लोग किस तरह की सरकार चाहते हैं। क्या वे कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन को पसंद करेंगे? या फिर वे किसी और पार्टी को चुनेंगे? यह सब इस चुनाव में देखने को मिलेगा। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के लिए है महत्वपूर्ण  जम्मू-कश्मीर चुनाव (Jammu Kashmir Elections)  एक नए मोड़ पर है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना रहा है। यह चुनाव न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। इससे पता चलेगा कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर की राजनीति कैसी होगी। हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि इस ऐतिहासिक चुनाव का नतीजा क्या होता है। #JammuKashmirElections #CongressNCAlliance #Article370 #RahulGandhi #FarooqAbdullah

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Rahul Gandhi

आखिर क्यों FIR तक दर्ज कराने को लेकर भड़के Rahul Gandhi? 

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के बाद देश के लोगों का गुस्सा ऐसे ही सातवें आसमान पर था कि महाराष्ट्र के बदलापुर में 3 साल की दो बच्चियों के साथ हुई दरिंदगी ने आग में घी डालने का काम किया। इसके बाद से तो देश के तमाम कोने से महिलाओं के प्रति अत्याचार की खबरें सामने आने लगी हैं। इन घटनाओं ने समूची इंसानियत को शर्मसार करने का काम किया है। पहले पश्चिम बंगाल और फिर महाराष्ट्र में हुए इस कांड की वजह से रायबरेली संसद राहुल गांधी का पारा चढ़ा हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट के जरिए महिला अपराधों के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की है।  क्या अब FIR तक दर्ज कराने के लिए करने पड़ेंगे आंदोलन? राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने X पर लिखा, “पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार के बाद महाराष्ट्र में भी बेटियों के खिलाफ शर्मनाक अपराध सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम एक समाज के तौर पर कहां जा रहे हैं? बदलापुर में दो मासूमों के साथ हुए अपराध के बाद उनको इंसाफ दिलाने के लिए पहला कदम तब तक नहीं उठाया गया जब तक जनता ‘न्याय की गुहार’ करते हुए सड़क पर नहीं आ गई। क्या अब FIR तक दर्ज कराने के लिए आंदोलन करने पड़ेंगे? आखिर पीड़ितों के लिए पुलिस थाने तक जाना भी इतना मुश्किल क्यों हो गया है?  न्याय हर नागरिक का अधिकार है राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि “न्याय दिलाने से अधिक प्रयास अपराध छिपाने के लिए किया जाता है, जिसका सबसे बड़ा शिकार महिलाएं और कमज़ोर वर्ग के लोग होते हैं। FIR दर्ज नहीं होना न सिर्फ पीड़ितों को हतोत्साहित करता है बल्कि अपराधियों का हौसला भी बढ़ाता है। सभी सरकारों, नागरिकों और राजनीतिक दलों को गंभीर मंथन करना होगा,. समाज में महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए क्या कदम उठाए जाएं। न्याय हर नागरिक का अधिकार है, उसे पुलिस और प्रशासन की ‘मर्जी का मोहताज’ नहीं बनाया जा सकता।” #RahulGandhi #X #FIR #Tweet #Politics

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Ram Madhav

क्या संघ को बीजेपी की हो रही फ़िक्र के चलते ही Ram Madhav की हुई भाजपा में पुनः वापसी?

जम्मू-कश्मीर में चुनावी बिगुल बज चुका है। चुनावी घोषणा के बाद से ही अन्य दलों के साथ ही भाजपा ने भी चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। 90 सदस्यों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीन चरणों में चुनाव होने हैं। 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोट डाले जायेंगे और 4 अक्टूबर के दिन हरियाणा सहित जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिणाम घोषित किये जायेंगे। इसके मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर राम माधव (Ram Madhav) पर विश्वास जताते हुए जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी सौंपी है। दरअसल, साल 2014 में जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी गठबंधन की सरकार बनवाने से लेकर धारा 370 हटाने की तैयारियों में राम माधव की विशेष भूमिका रही है। मतलब साफ है, बीजेपी एक बार फिर उनसे बड़ी उम्मीद कर रही है। इसलिए उन्हें इस राज्य की जिम्मेदारी सौंपी है।  गलत रणनीति बनाने के चलते भले राम माधव (Ram Madhav) को भाजपा से दिया गया था हटा   गौरतलब है कि पांच साल बाद एक बार फिर राम माधव (Ram Madhav) की बीजेपी में वापसी हो रही है। साल 2014 में मोदी सरकार की स्थापना के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में राम माधव कद तेजी से बढ़ा था। यह तो ठीक, लेकिन जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनाने का फार्मूला विफल होने के चलते उन्हें भाजपा से हटा कर आरएसएस भेज दिया गया था। गलत रणनीति बनाने के चलते भले ही राम माधव को भाजपा से हटा दिया गया था लेकिन 5 साल बाद एक बार फिर उन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। राजनीतिक पंडित इस बात के भी कयास लगा रहे हैं कि संघ को कहीं न कही बीजेपी के हार की चिंता होने लगी है।  जेपी नड्ढा के बयान ने बढ़ाई थी संघ और बीजेपी के बीच कड़वाहटें दरअसल, लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा ने संघ के सहयोग के बिना चुनाव लड़ने की बात कही थी। जिसका खामियाजा बीजेपी अच्छी तरह से भुगत चुकी है। इस बड़बोलेपन का सबसे बड़ा नुकसान यह कि बीजेपी को केंद्र में पूर्ण बहुमत के लिए अन्य दलों की बैसाखियों पर निर्भर रहने तक की नौबत आन पड़ी। खैर, जैसे-तैसे जोड़तोड़ कर केंद्र में मोदी सरकार बन तो गई, लेकिन कहीं न कहीं भाजपा के मन में इस बात की टीस है ही कि नाहक ही संघ से बैर लिया। बीजेपी राम मंदिर को लोकसभा चुनाव में भुनाना चाहती थी। उसे लगा था कि राम मंदिर निर्माण उसके लिए तुरुप का पत्ता साबित होगा। लेकिन हुआ उल्टा, नतीजतन उसे अयोध्या की सीट से भी हाथ धोना पड़ा।  आपसी तल्खियों से नुकसान छोड़ लाभ नहीं  खैर, संघ यह अच्छी तरह जानता है कि आपसी मनमुटावों से नुकसान छोड़ लाभ नहीं है। इसकी बानगी 2024 के लोकसभा चुनाव में देखी ही जा चुकी है। ऐसे में संघ यह कतई नहीं चाहेगा कि भाजपा की हार हो। भाजपा की हार से संघ को भी नुकसान ही होना है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इस चुनाव में संघ कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। बीजेपी को भी गलती का अहसास हो गया है। सो, अब वो ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहती जिससे पार्टी को नुकसान हो। कहने की जरूरत नहीं, बीजेपी की तरह संघ भी कोई भी जोखिम लेने के मूड में नहीं है। कारण यही, जो एक बार फिर दोनों आपसी तल्खियों को भुलाकर एक साथ चुनावी रणनीति की तैयारियों में जुट गए हैं। और रही बात राम माधव (Ram Madhav) की, तो यह तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे कि राम माधव बीजेपी के लिए क्या कुछ कर पाते हैं।  #JammuKashmirElections #RamMadhav #BJP #RSS #ElectionStrategy #Article370 #PoliticalCampaign #IndianPolitics #AssemblyElections #ModiGovernment

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FIR

FIR देरी से दर्ज होने पर बंगाल सरकार को Supreme Court ने लगाई लताड़

कोलकाता में महिला ट्रेनी डॉक्टर रेप मामले को लेकर पूरा देश आक्रोशित है। आलम यह है कि कई राज्यों में डॉक्टरों और आम लोगों का विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। जिसकी वजह से अस्पताल की सेवाएं भी प्रभावित चल रही हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज फिर से इस मामले पर सुनवाई हुई। सीबीआई ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट जमा करते हुए बताया कि मौका-ए-वारदात से छेड़छाड़ हुई है। आरोपियों को बचाने के लिए लीपापोती की कोशिश की गई है।  घटना से जुड़े अहम सबूत मिट जाने का है अंदेशा इस पर चीफ जस्टिस ने पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि पुलिस डायरी की एंट्री बताती है कि क्राइम सीन को पोस्टमार्टम के बाद संरक्षित किया गया, जिससे घटना से जुड़े अहम सबूत मिट जाने का अंदेश है। इस पर सिब्बल जब सफाई देने लगे तो जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि वह जो भी सफाई दे रहे हैं, वह स्वीकारने लायक नहीं है। यह डायरी बता रही है कि अननेचुरल डेथ भी रात 11.30 बजे लिखा गया।  30 साल के करियर में मैनें नहीं देखी ऐसी लापरवाही   सुनवाई के दौरान माननीय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) न्यायाधीश ने सीबीआई की जॉइंट डायरेक्टर से पूछा कि “पंचनामा कब हुआ, क्या आप हमें समझा सकती हैं कि इस रिकॉर्ड में इतना अंतर क्यों है?” इस पर सिब्बल ने दखल देने की कोशिश की तो जज ने उन्हें रोकते हुए कहा कि “आपकी पुलिस ने इस घटना में जो कानूनी प्रक्रिया अपनाई है, वह क्रिमिनल प्रोसीजर कोड से बिल्कुल अलग है। मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसी लापरवाही नहीं देखी।”  घटना का एक पहलू है बहुत परेशान करने वाला  वहीं चीफ जस्टिस ने सिब्बल से पूछा कि इस घटना का एक पहलू बहुत परेशान करने वाला है। पुलिस ने जब मौत का समय सुबह 10.10 बजे दर्ज किया तो क्राइम सीन को रात 11.30 बजे क्यों सीज किया गया। तब तक पुलिस क्या कर रही थी? सुप्रीम कोर्ट के (Supreme Court) ने कहा कि “अगली तारीख में किसी ऐसे जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को लाएं, जो हमारे सभी सवालों का जवाब दे सके।” वहीं सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि “अस्पताल से जुड़े एक व्यक्ति ने आवेदन दाखिल कर बताया है कि इस अस्पताल में लंबे समय से गड़बड़ी की जा रही थी। साल 2023 में भी इसकी शिकायत राज्य सरकार से की गई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।” #JusticeDelayed #RuleOfLaw #IndiaLaw #SupremeCourtVerdict #BengalPolitics #LegalNews #TimelyJustice

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POLAND

भारत युद्ध का नहीं, हमेशा शांति की बात करता है, दुनिया भारत को मानती है विश्व बंधु: PM मोदी

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय पोलैंड और यूक्रेन दौरे पर हैं। पोलैंड की राजधानी वारसॉ पहुंच कर पीएम मोदी (PM Modi) ने कोल्हापुर स्मारक और नवानगर स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की, साथ ही भारतीय समुदाय को भी संबोधित किया। मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि “यह युद्ध का युग नहीं है, हम विश्‍व शांति में विश्‍वास रखते हैं। जब भी दुनिया के किसी देश पर संकट आता है तो भारत उसकी मदद करने के लिए हमेशा सबसे आगे रहता है। कोविड के समय भी भारत ने कई देशों की मदद की।” मोदी ने कहा कि ‘भारत भगवान बुद्ध की विरासत वाली धरती है। इसीलिए हम युद्ध की नहीं बल्कि हमेशा शांति की बात करते हैं।” भारत हमेशा मानवता को मानता है सर्वोपरि पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा, “महाराजा जाम साहब को याद करते हुए कहा कि भारत हमेशा मानवता को सर्वोपरि मानता है। जिनको दुनिया में रहने के लिए कहीं जगह नहीं मिली, उन्‍हें भारत ने अपनी जमीन और दिल दोनों जगह बसाया। यही हमारी संस्कृति और विरासत है। हर भारतवासी को इस बात का गर्व है कि दुनिया हमें विश्व बंधु कहकर पुकारती है।” इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि “पोलैंड के 20 युवाओं को हम हर साल भारत आने के लिए आमंत्रित करेंगे। इसके लिए भारत ‘जाम साहब यूथ मेमोरियल प्रोग्राम’ शुरू करेगा।”  भारत और पोलैंड का रिश्‍ता बहुत पुराना  बता दें कि, भारत और पोलैंड का रिश्‍ता बहुत पुराना है, लेकिन इसके बावजूद कोई भारतीय प्रधानमंत्री 45 साल बाद पोलैंड का दौरा कर रहा है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब पोलैंड पर जर्मनी और सोवियत संघ ने कब्‍जा कर लिया गया था, तब पोलैंड की हजारों महिलाओं और बच्चों ने भागकर भारत में शरण ली थी। यहां पर जाम साहब और दिग्विजय सिंह रणजीत सिंह ने इनके रहने के लिए अपने महल तक खोल दिये थे। यहां पर इन शरणार्थियों के लिए कई विशेष कैंप बनाए गए थे, जिनमें वे कई साल तक रहे। पोलैंड में महाराजा जाम साहब को बापू के नाम से जाना जाता है। इनके नाम पर वहां कई स्‍मारक बने हैं। इस समय पौलैंड के अंदर करीब 25 हजार भारतीय नागरिक रह रहे, इनमें से 5 हजार छात्र हैं।  #ModiInPoland#GlobalHarmony #IndiaDiplomacy #PeacefulIndia#ModiSpeech #IndiaGlobalRole #IndiaInEurope

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Sharad Pawar

केंद्र सरकार ने Sharad Pawar को क्यों दी ‘Z प्‍लस’ की VVIP सिक्योरिटी?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेकर राज्‍य की राजनीति में हलचल मचा दी है। केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एससीपी) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) को जेड प्‍लस श्रेणी की सुरक्षा देने का ऐलान किया है। अब शरद पवार की सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सशस्त्र जवानों की सुरक्षा में रहेंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शरद पवार को यह सुरक्षा उन पर खतरे के आकलन के बाद प्रदान किया है। शरद पवार यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहने के अलावा चार बार महाराष्‍ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। अक्टूबर महीने में होगा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का ऐलान  बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों का ऐलान अक्टूबर माह में होने की उम्मीद है, लेकिन राज्‍य की राजनीति अभी से उबल रही है। महाराष्‍ट्र में इस समय सबसे बड़ा मुद्दा आरक्षण का है। इस मुद्दे को लेकर मराठा और ओबीसी समुदाय के बीच जमकर खींचतान चल रही है। नेताओं पर हमले तक हो रहे। यहां तक की उद्धव ठाकरे के काफिले पर भी मनसे कार्यकर्ता हमला कर चुके हैं। ऐसे में कई नेताओं पर खतरे का स्‍तर बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय एजेंसियों ने शरद पवार (Sharad Pawar) पर भी खतरे का अंदेशा जताते हुए सुरक्षा बढ़ाने की सिफारिश की थी। जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम को वीआईपी सुरक्षा कवर दी है।  55 जवानों की टीम देती है सुरक्षा  केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस फैसले के बाद अब सीआरपीएफ के 55 सशस्त्र जवान हमेशा शरद पवार (Sharad Pawar) के साथ रहेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीआरपीएफ की टीम ने शरद पवार को सुरक्षा घेरे में ले लिया है। शरद पवार अब देश के उन कुछ चुनिंदा नेताओं में शामिल हो गए हैं, जिन्‍हें Z प्‍लस सुरक्षा मिली है।  बता दें कि, वीआईपी सुरक्षा कवर का वर्गीकरण X से शुरू होता है और फिर Y, Z और Z प्‍लस आता है। जेड प्लस कैटेगरी में सुरक्षा देने के लिए 10 आर्म्ड स्टैटिक गॉर्ड, 6 पीएसओ, 24 जवान और 5 वाचर्स 2 शिफ्ट में तैनात होते हैं। इसके अलावा जेड प्‍लस सुरक्षा पाने वाले वीआईपी के घर पर आने-जाने वाले लोगों की स्क्रीनिंग के लिए 6 जवान हमेशा तैनात रहते हैं। साथ ही राउंड द क्लॉक ट्रेंड में 6 ड्राइवर भी ड्यूटी देते हैं। इस टीम को इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी लीड करता है।  #MaharashtraElections #SharadPawar #ZPlusSecurity #CRPF #IndianPolitics #Maharashtra #VIPSecurity #Election2024 #PoliticalTension #HomeMinistry

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Yogi Adtiyanath CM

यूपी के उपचुनाव में भाजपा के साथ संघ भी कसेगा कमर?

लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी और संघ के बीच हुई बयानबाजी का खामियाजा चुनावी नतीजों में बखूबी दिखाई दिया था। भाजपा अब किसी भी तरह का जोखिम मोल नहीं लेना चाहती। इसके चलते आगामी उपचुनाव के मद्देनजर राजधानी लखनऊ स्थित मुख्यमंत्री निवास पर संघ और भाजपा के बीच एक बैठक हुई। इस बैठक में संघ की ओर से अरुण कुमार उपस्थित थे, जो भाजपा संग समन्वय का काम देख रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की उपस्थिति में सरकार और संगठन के बीच विभिन्न विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई।  विपक्ष द्वारा फैलाये जा रहे नैरेटिव पर जताई चिंता इस बैठक में मुख्य रूप से विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ फैलाये जा रहे नैरेटिव पर चिंता जताई गई। संघ और भाजपा ने साथ मिलकर इसका काट ढूंढने पर चर्चा की। इसके अलावा संघ ने बेवजह की बयानबाजी से बचने के साथ-साथ सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बनाये रखने की भी बात पर जोर दिया। क्योंकि विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सरकार और संगठन में बेहतर तालमेल की सख्त जरूरत है।  जरूरी बातों पर दिया गया जोर प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस बैठक में कुछ मुख्य बातों पर जोर दिया गया। जिसमें, होने वाली 10 विधानसभा सीटों के चुनाव पर दलितों और ओबीसी को एकजुट करना। पार्टी की सदस्यता बढ़ने पर जोर देना। संगठन की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए सरकार का उपयोग करना। खैर, संघ और भाजपा की यह बैठक पहले जुलाई में होनी थी। लेकिन आपसी तल्खियां होने के चलते इसे कुछ दिन के लिए टाल दिया गया था। मंगलवार को दो दिन के प्रवास पर लखनऊ पहुंचे संघ के सर सहकार्यवाह अरुण कुमार ने भारती भावन में संघ के चुनिंदा पदाधिकारियों से मुलाकात की और फिर बुधवार की शाम पांच कालिदास मार्ग स्थिति मुख्यमंत्री आवास पर जाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) से भेंट की। इस मुलाकात में उन्होंने लोकसभा चुनाव में दलित और पिछड़ों के बीच भाजपा और संघ को लेकर फैलाये जा रहे भ्रम के प्रति चिंता व्यक्त की।  बीजेपी सरकार की खुलकर प्रशंसा  यह नहीं, अरुणकुमार ने भाजपा सरकार की बढ़ाई करते हुए कहा कि “भाजपा लगातार समाज के प्रत्येक वर्ग के साथ दलितों और पिछड़ों के कल्याण के लिए कर कार्य कर रही है, बावजूद इसके विपक्ष झूठा नैरेटिव फैला रहा है।” उन्होंने इसके पीछे का कारण आपसी खींचतान और कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी को बताया। लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी में जिस तरह की बयानबाजी और खींचतान मची है, उससे निश्चित ही आगे के चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में इसपर तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं की निराशा को दूर करने के लिए पुराने कार्यकर्ताओं को अधिक तरजीह देने की भी बात कही गई। इसके अलावा इस बैठक में उपचुनाव वाली सीटों को लेकर भी गहन विचार-विमर्श किया गया। मसलन, प्रत्येक सीट पर मजबूत प्रत्याशी उतारने से लेकर बूथ स्तर पर अधिक ध्यान देने तक पर चर्चा की गई।  केशवप्रसाद मौर्या के आलावा और भी गणमान्य थे मौजूद यही नहीं इस बैठक में दलितों और पिछड़ों के बीच सक्रियता बढ़ाने हेतु संघ ने भाजपा के साथ मिलकर काम करने की भी बात कही। इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) संघ के सर सहकार्यवाह अरुण कुमार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ उपमुख़्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और बृजेश पाठक के साथ अन्य गणमान्य उपस्थित थे।  #UPPolitics #ByElections2024 #ElectionStrategy #BJPvsOpposition #PoliticalAlliance #UPByElections #IndiaPolitics

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