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India

India में राजनीतिक विकास: एक जटिल ताना-बाना

भारत (India), एक विशाल और विविध देश है, जो लगातार विकसित हो रहा है और इसका राजनीतिक परिदृश्य कोई अपवाद नहीं है। राष्ट्रीय चुनावों से लेकर राज्य स्तरीय शासन तक, राजनीतिक विकास देश के प्रक्षेप पथ को आकार दे रहा है। ऐसे में कहने की जरूरत नहीं कि भारत का राजनीतिक परिदृश्य राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीति के धागों से बुना गया एक जटिल ताना-बाना है। इस क्षेत्र में चल रहे विकास देश के भविष्य को आकार दे रहे हैं और लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। जैसे-जैसे भारत विकसित होता जा रहा है, वैसे-वैसे देश की प्रगति को चलाने वाली शक्तियों को समझने के लिए नवीनतम राजनीतिक विकास के बारे में सूचित रहना आवश्यक है। इसी सिलसिले में एक नजर डालेंगे राष्ट्रीय राजनीति पर।  राष्ट्रीय राजनीति: सत्ता और प्रभाव का खेल राज्य-स्तरीय राजनीति: राष्ट्रीय प्रवृत्तियों का एक माइक्रोकोस्म #IndiaPolitics #NationalElections #StatePolitics #IndianGovernance #PoliticalTrends

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Mamta Government

क्‍या Mamata government को बर्खास्‍त कर लगेगा राष्‍ट्रपति शासन? 

कोलकाता के एक सरकारी अस्‍पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी से पूरा देश उबल रहा है। देशभर में पश्चिम बंगाल की ममता सरकार (Mamata government) के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं इस बर्बर घटना के बाद उसी आरजी कर अस्‍पताल में भीड़ के हमले ने राज्‍य की कानून व्‍यवस्‍था पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं। इस मामले में एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की सरकार को जमकर फटकार लगाई, वहीं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंदबोस भी सख्‍त ऐक्शन लेने के मूड में नजर आ रहे हैं।  रेप और हत्‍या की घटना के बाद ममता सरकार (Mamata government) पर उठ रहे हैं सवाल रेप और हत्‍या की इस घटना के बाद ममता सरकार (Mamta government) पर उठ रहे सवालों के बीच राज्यपाल सीवी आनंदबोस दिल्‍ली पहुंचे हैं। यहां इन्‍होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे। ऐसे में राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) लगाने पर विचार कर रही है। हालांकि इस बारे में अभी तक केंद्र की तरफ से कोई बयान नहीं दिया गया है।  राष्‍ट्रपति शासन पर यह बोले राज्यपाल बताया जा रहा है कि राज्यपाल सीवी आनंदबोस इस घटना की पूरी रिपोर्ट राष्‍ट्रपति और गृहमंत्रालय को देंगे। जिसके आधार पर फैसला लिया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्‍यपाल ने ममता सरकार (Mamata government) से इस घटना को लेकर तीन रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन राज्‍य सरकार ने अब तक राज्‍यपाल को एक ही रिपोर्ट दी है। राज्‍यपाल सीवी आनंदबोस ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, “इस निर्मम रेप और हत्‍या के विरोध में समाज का हर तबका सड़क पर उतर चुका है और न्‍याय की मांग कर रहा है। पश्चिम बंगाल के लोग डरे हुए हैं, क्‍योंकि राज्‍य में कानून व्‍यवस्‍था पूरी तरह से ध्‍वस्‍त हो चुकी है।” सोच-समझकर लिया जाएगा फैसला  वहीं राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन (President’s Rule) लागू करने पर जब सवाल किया गया तो उन्‍होंने कहा कि “जो भी फैसला लिया जाएगा बहुत सोच-समझकर और राज्य व जनता के हित में लिया जाएगा।” बता दें कि, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमीनार हॉल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। कोलकाता पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार किया है। इस मामले में पुलिस पर लीपापोती का आरोप लग रहा था, इसलिए यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया है।  #MamataGovernment #KolkataProtests #WestBengalCrisis #GovernorCVAnandbose #PresidentsRule

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Devendra Fadnavis

किस कारण से Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis ने कही राजनीति से संन्‍यास लेने की बात?

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Maharashtra Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis)  ने मराठा आरक्षण पर लग रहे आरोपों को लेकर बड़ा बयान दिया है। फडणवीस ने मराठा आरक्षण (Maratha reservation) कार्यकर्ता मनोज जरांगे के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कहते हैं कि ‘‘मराठा समुदाय को आरक्षण देने में रूकावट डाल रहा हूं तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।’’ फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “कोई भी मंत्री मुख्यमंत्री से बड़ा नहीं हो सकता है। मुख्यमंत्री के पास ही सभी अधिकार होते हैं। मुख्यमंत्री के साथ मिलकर मैं और अन्‍य मंत्री काम करते हैं।”  फडणवीस के खिलाफ लगे आरोप पूरी तरह से निराधार हैं फडणवीस ने कहा कि मैं और पूरा मंत्रिमंडल पूरी ताकत से मुख्‍यमंत्री के साथ खड़ा है। जहां तक मनोज जरांगे के आरोपों का सवाल है, मैं जरांगे से सिर्फ इतना ही कहूंगा कि, वो जो सवाल मुझसे पूछ रहे, वो सवाल सीधे मुख्यमंत्री से पूछें।” क्‍योंकि हर तरह का निर्णय मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा लिया जाता है। किसी को भी बेकार की मनगढ़ंत कहानी नहीं फैलानी चाहिए। मुख्‍यमंत्री शिंदे ने भी फडणवीस का बचाव करते हुए कहा कि, सरकार का निर्णय सामूहिक रूप से लिया जाता है। फडणवीस के खिलाफ जरांगे जो भी आरोप लगा रहे हैं, वह पूरी तरह से निराधार है।  देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के कटु आलोचक हैं जरांगे  बता दें कि, मनोज जरांगे को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) का कटु आलोचक माना जाता है। जरांगे ने फडणवीस पर मराठा समुदाय के आरक्षण में मुख्य बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया है। जरांगे कई बार कह चुके हैं कि मराठा समुदाय को आरक्षण इसलिए नहीं मिल पा रहा, क्‍योंकि फडणवीस इसे रोके बैठे हैं। जरांगे ने पिछले साल जालना के अंतरवाली सरती गांव में मराठा आरक्षण कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज का ठीकरा भी फडणवीस पर ही फोड़ा था। जरांगे ने कहा था कि पुलिस ने यह लाठीचार्ज गृह मंत्री फडणवीस के इशारे पर किया था। इन सभी आरोपों का जवाब देते हुए फडणवीस ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जरांगे का उनसे ‘‘विशेष स्नेह’’ है। जिसकी वजह से वह मेरा नाम लेते रहते हैं।  आगामी विधानसभा चुनाव में जरांगे चुनावी मैदान में उतरने की भी तैयारी कर रहे हैं। जरांगे ने बीते दिनों इसका ऐलान करते हुए राज्‍य का भ्रमण शुरू किया है। जरांगे का कहना है कि आरक्षण की मांगे पूरी कराने के लिए चुनावी मैदान में उतरना जरूरी है।  #FadnavisResignation #DeputyChiefMinister #IndianPolitics #BJP #MaharashtraGovernment #PoliticalFuture #FadnavisNews

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Haryana Assembly Elections 2024

Haryana Assembly Election 2024: भाजपा ने बनाई यह कारगर रणनीति

हरियाणा में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Election) की तैयारियां शुरू हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। पार्टी ने एक खास कमेटी बनाई है जो चुनाव के लिए वादों की लिस्ट तैयार करेगी। इस कमेटी को ‘मेनिफेस्टो समिति’ (Manifesto Committee) कहा जाता है। आइए जानें इस बारे में और क्या-क्या हो रहा है। मेनिफेस्टो समिति (Manifesto Committee) क्या है और क्यों बनाई गई? मेनिफेस्टो समिति (Manifesto Committee) एक ऐसी टीम है जो चुनाव से पहले पार्टी के वादों की लिस्ट बनाती है। भाजपा ने इस समिति का प्रमुख ओपी धनखड़ को बनाया है। वे एक बड़े नेता हैं। इस टीम में कुल 15 लोग हैं। ये सभी लोग मिलकर सोचेंगे कि हरियाणा के लोगों को क्या-क्या चाहिए और उनके लिए क्या-क्या किया जा सकता है। यह समिति इसलिए बनाई गई है ताकि पार्टी लोगों से अच्छे वादे कर सके। वे सोचेंगे कि गांवों और शहरों में क्या समस्याएं हैं और उन्हें कैसे ठीक किया जा सकता है। जैसे – बेहतर सड़कें बनाना, नए स्कूल खोलना, या फिर किसानों की मदद करना। ये सभी बातें वे अपनी लिस्ट में लिखेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में क्या हुआ था? 2019 में जब पिछला चुनाव (Assembly Election) हुआ था, तब भाजपा ने 90 में से 40 सीटें जीती थीं। लेकिन सरकार बनाने के लिए उन्हें दूसरी पार्टियों की मदद लेनी पड़ी थी। उन्होंने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। इससे पहले 2014 में भाजपा ने अकेले ही सरकार बनाई थी। उस वक्त उन्हें 47 सीटें मिली थीं। इस बार भाजपा फिर से अकेले सरकार बनाना चाहती है। इसलिए वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं। आने वाले चुनाव की तैयारी कैसे हो रही है? 1 अक्टूबर 2024 को होगा चुनाव और 4 अक्टूबर को आएंगे नतीजे अगला चुनाव 1 अक्टूबर 2024 को होगा। इसके नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे। भाजपा इस बार नए तरीके से तैयारी कर रही है। वे लोगों से बात करके जानना चाहते हैं कि उन्हें क्या चाहिए। फिर वे उन बातों को अपने वादों में शामिल करेंगे। मेनिफेस्टो समिति बनाने से यह साफ है कि भाजपा इस बार बहुत मेहनत कर रही है। वे चाहते हैं कि लोग उन पर भरोसा करें और उन्हें वोट दें। इसलिए वे ऐसे वादे करेंगे जो लोगों को पसंद आएं और जिन्हें वे पूरा कर सकें। हरियाणा के लोगों को इस बार भी अच्छे नेता और अच्छी सरकार चुननी होगी। हर पार्टी अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगी। देखते हैं कि आखिर में कौन जीतता है और हरियाणा की अगली सरकार कौन बनाता है। #AssemblyElection #HaryanaAssemblyElection2024 #AssemblyElection2024 #ManifestoCommittee

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Eknath Shinde

बाला साहेब का नाम लेकर Eknath Shinde ने फोड़ा सियासी बम, बताया- इस वजह से Raj Thackeray ने छोड़ी शिवसेना

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के ऐलान में अभी समय है, लेकिन राज्‍य में सियासी पारा अभी से चढ़ना शुरू हो गया है। पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा घेरने की कोशिश में जुटे हैं। इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शिंदे ने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ एक पॉडकास्ट में कहा कि “शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे कभी भी यह नहीं चाहते थे कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे पार्टी छोड़ें, लेकिन उद्धव ने राज ठाकरे (Raj Thackeray) को दरकिनार कर दिया।” इस पॉडकास्‍ट में सीएम शिंदे (Eknath Shinde) ने एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “राज ठाकरे बालासाहेब के साथ और उनके कहे अनुसार काम करते थे। राज ठाकरे साल 1995 से लगातार चुनावों की सभी बैठकों में शामिल होते थे। लेकिन जब पार्टी की जिम्‍मेदारियां राज ठाकरे को देने की बारी आई तो उद्धव ठाकरे खुद को सबसे आगे ले आए।”  बाला साहेब ठाकरे नहीं चाहते थे कि राज ठाकरे जाएं  सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने कहा, “उद्धव ठाकरे जैसे ही पार्टी के अध्‍यक्ष बनें राज ठाकरे को किनारे कर दिया गया। जबकी बाबा साहेब ठाकरे की इच्छा नहीं थी कि राज ठाकरे पार्टी छोड़के जाएं, लेकिन राज ठाकरे कहते थे कि वह इस कमजोर शिवसेना की विचारधारा को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी लेंगे, इसीलिए राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने पार्टी छोड़ अपनी दूसरी पार्टी बना ली।” शिंदे ने कहा कि “आज के समय में राज ठाकरे हमारे साथ हैं। पिछली लोकसभा में वे उन्‍होंने हमारे साथ मंच साझां किया था। इस बार अगर वो हमारे साथ नहीं लड़ रहे हैं तो वे हमारे खिलाफ भी नहीं हैं।”  चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरा पर अभी फैसला नहीं  इस पॉडकास्‍ट में सीएम शिंदे (Eknath Shinde) ने महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के प्रश्‍न का जवाब देते हुए कहा कि “अभी हमारा ध्यान महायुति की दोबारा सरकार बनाने पर है। हमारा गठबंधन अभी इसी दिशा में काम कर रहा है। अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसका फैसला महायुति की सरकार बनाने के बाद लिया जाएगा। हमारी सरकार ने महाराष्‍ट्र की भलाई के लिए कई ऐतिहासिक काम किये हैं, इसलिए जनता हमें दोबारा से सत्‍ता में देखना चाहती है।”  #BalasahebThackeray #MaharashtraPolitics #PoliticalBomb #RajThackerayExit #ShivSenaSplit #MNS #PoliticalRevelation

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Supreme Court

Kolkata Doctor case: Supreme Court  ने राज्‍य सरकार को जमकर लताड़ा, हुआ नेशनल टास्क फोर्स का गठन

कोलकाता में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और राज्‍य पुलिस को जमकर लताड़ लगाई है। इस मामले का स्‍वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ ने मंगलवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह आगामी गुरुवार तक जांच का स्टेटस फाइल करे। कोर्ट यह रिपोर्ट देखना चाहती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस दौरान कहा कि हम एक नैशनल टास्क फोर्स भी बनाएंगे।  इस टास्क फोर्स में 9 डॉक्‍टर और 5 ऑफिसर होंगे शामिल  इस टास्क फोर्स में 9 डॉक्‍टर और 5 ऑफिसर को शामिल किया जाएगा। यह टास्‍क कोर्ट को सेफ्टी, वर्किंग कंडिशन और डॉक्‍टरों की बेहतरी के लिए रिपोर्ट तैयार करेगा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को कहा कि “आपको हमपर ट्रस्ट करना होगा।” साथ ही कोर्ट ने डॉक्टरों को अपना प्रोटेस्ट वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा कि “अगर कोई शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहा है, तो राज्य पुलिस संजीदगी से काम ले।”  Supreme Court ने राज्‍य सरकार से पूछ कई गंभीर सवाल   सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि “पीड़िता के साथ आरोपि‍यों ने जानवर की तरह सलूक किया गया। राज्‍य सरकार मामले को छुपाने में लगी रही। वहां कानून व्‍यवस्‍था पूरी तरह से विफल हो चुकी।” मेहता ने कहा कि “कोलकाता पुलिस की जानकारी के बिना 7,000 लोगों की भीड़ आर जी कर अस्‍पताल में कैसे प्रवेश कर सकती है?” इस पर कोर्ट ने कोलकाता पुलिस की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल पर प्रश्‍नों की बौछार कर दी। कोर्ट ने पूछा कि “क्या पीड़िता के पैरेंट्स को चार घंटे तक जबरन रोक कर रखा गया? क्या पुलिस ने शुरुआत में हत्‍या का केस दर्ज नहीं किया? घटना के समय कॉलेज के प्रिंसिपल क्या कर रहे थे?” चीफ जस्टिस ने अस्पताल में भीड़ के हमले पर पूछा कि “पुलिस उस समय क्या रह रही थी? कोलकाता पुलिस ने क्राइम सीन को क्यों प्रोटेक्ट नहीं किया?”  Supreme Court ने प्रिंसिपल के इस्तीफा देने के बाद कुछ ही घंटे में दोबारा नियुक्त कर देने पर भी सवाल खड़े किये। सुप्रीम कोर्ट के इन सवालों पर कपिल सिब्बल जवाब नहीं दे पाये। सिब्बल ने कहा कि कोर्ट जो आदेश देगा उसका पालन होगा। पीड़िता की फोटो वायरल होना गंभीर विषय  Supreme Court ने पीड़िता का फोटो उजागर होने पर भी अपनी चिंता जाहिर की। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने इस मामले में कोलकाता पुलिस से सख्त लहजे में कहा कि “जिस डॉक्‍टर के साथ यह दुखद घटना हुई उसके नाम और फोटो प्रकाशित होना गंभीर चिंता का विषय है। इसके जिम्‍मेदार लोगों की तलाश कर सख्‍त कार्रवाई की जाए।” #SupremeCourt #StateGoverment #TaskForce #CBI #Rape-MurderCase

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Rajiv Gandhi

Rajiv Gandhi की वो योजनाएं, जिसने बदल दी थी देश की दिशा

आज हम भारत के एक महान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती मना रहे हैं। Rajiv Gandhi, जिन्होंने भारत को 21वीं सदी में प्रवेश दिलाया, जो उनके अमूल्य योगदान और दूरदर्शी सोच के लिए हमेशा याद किया जाता है। उनकी जयंती पर, कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।  Rajiv Gandhi का जीवन परिचय राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अपनी मां और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की। राजीव गांधी 1984 में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। उन्होंने देश में आधुनिकता, प्रौद्योगिकी, और युवाओं के सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। Rajiv Gandhi के योगदान राजीव गांधी ने कई प्रमुख योजनाओं को लागू किया, जिन्होंने देश की दिशा बदल दी। इनमें से कुछ प्रमुख योगदान हैं।  1.मतदान की आयु घटाना: उन्होंने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की, जिससे युवा पीढ़ी को राजनीति में हिस्सा लेने का अवसर मिला। 2.पंचायती राज का सशक्तिकरण: राजीव गांधी ने पंचायतों को सशक्त करने के लिए कई कदम उठाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हुआ। 3.टेलीकॉम और आईटी क्रांति: राजीव गांधी ने देश में टेलीकॉम और आईटी क्रांति की शुरुआत की, जिससे भारत एक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बन गया। राजीव गांधी की विरासत राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की असामयिक मृत्यु ने देश को गहरा धक्का पहुंचाया, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। उनकी दूरदर्शिता और आधुनिक सोच ने भारत को 21वीं सदी में प्रवेश दिलाया। आज भी उनकी नीतियों और योजनाओं का प्रभाव देश में देखा जा सकता है। राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) का जीवन और उनके योगदान हमें यह सिखाते हैं कि कैसे एक नेता देश को प्रगति और समृद्धि की ओर ले जा सकता है। उनकी जयंती पर, हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। #RajivGandhi #Architect #Yojana #21stCentury #INDIA

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Allahbad High Court

इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर तमतमाए राहुल गांधी, भाजपा को लेकर कही यह बात

इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने यूपी में निकली 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द करने का आदेश जारी किया है। जिसके बाद प्रदेश और देशभर की राजनीति गरमा चुकी है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले में बीजेपी सरकार पर सवाल उठाते हुए घेरने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्‍ट करते हुए कहा, “यूपी में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रोक का फैसला, आरक्षण व्यवस्था से खिलवाड़ कर रही भाजपा सरकार की साजिशों पर करारा प्रहार है। युवाओं की यह जीत, 5 वर्षों से हर मौसम में सड़कों पर संघर्ष कर रहे अमित मौर्या जैसे लाखों युवाओं की जीत है। यह सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ रहे हर योद्धा की जीत है।” राहुल गांधी ने भाजपा पर लगाया आरक्षण छिनने का आरोप राहुल गांधी ने अपने पोस्‍ट में कहा, “आरक्षण छीनने वाली भाजपा ने अपने जिद में हजारों निर्दोष युवाओं का भविष्य अंधकार में धकेल दिया है। पांच साल से लगातार ठोकरें खा कर बर्बाद होने के बाद, अब जिनको नई सूची के ज़रिए नौकरी मिलेगी और जिनका नाम चयनित सूची से हटा दिया जाएगा, दोनों ही तरह के युवाओं के गुनहगार सिर्फ भाजपा है। देश के इन युवाओं को लड़ाई करने पर मजबूर करने वाली भाजपा सरकार सही मायने में इनकी दुश्मन है।” इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती को रद्द कर आरक्षण व्यवस्था के साथ खिलवाड़ कर रही भाजपा सरकार की साजिशों को करारा जवाब दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने दिया दोबारा सूची जारी करने का आदेश बता दें क‍ि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने यूपी में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) 2020 के तहत 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जून 2020 में जारी सूची और पांच जनवरी 2022 को 6800 अभ्यर्थियों की चयन सूची को तत्‍काल प्रभाव से रद्द किया जाता है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार को नए सिरे से दोबारा सूची बनाने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट का यह आदेश जारी होने के बाद से ही यूपी की राजनीति में हंगामा मचा हुआ है।  #AllahabadHighCourt #UPTeacherRecruitment #RahulGandhi #BJPControversy #ReservationSystem

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Kolkata

Kolkata rape case-हत्‍या कांड पर भाजपा ने विपक्ष को घेरा, कही ये बड़ी बात

 Kolkata में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्‍या मामले में देश की राजनीति गरमाई हुई है। इस मामले में भाजपा अब ममता बनर्जी समेत पूरे विपक्ष की घेरेबंदी कर रही है। भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ल ने विपक्षी दलों के समूह एमवीए को मजहब, व्यभिचार और अपराधिक गठबंधन बताया है। प्रेम शुक्‍ल (Prem Shukla) ने राहुल गांधी, शरद पवार, सुप्रिया सुले, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे और असदुद्दीन ओवैसी पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि यह गठबंधन धर्म विशेष से जुड़े अपराधियों का खुलेआम समर्थन करता है। इस गठबंधन के संरक्षक शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे हैं। इंडिया गठबंधन के नेता साधे बैठे हैं चुप्पी  महाराष्ट्र भाजपा कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रेम शुक्ल (Prem Shukla) ने कहा कि “Kolkata के आरजी मेडिकल कालेज में मानवता को शर्मसार कर देने वाली जघन्‍य घटना हुई। लेकिन, अपराधियों को सख्त सजा दिलाने की मांग करने की जगह इंडिया गठबंधन के नेता चुप्पी साधे बैठे हैं।” शुक्‍ल ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा कि “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने दुष्कर्मियों को संरक्षण दे रखा है। वहां पर ऐसे घृणित मामले कई सालों से हो रहे, लेकिन इंडी गठबंधन के नेताओं की आवाज नहीं निकलती।”   टीएमसी धर्म विशेष अपराधियों को देती है संरक्षण  बता दें कि Kolkata के रेप और हत्‍या की इस भयावह घटना पर भाजपा लगातार तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगा रही कि वह आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही। इस घटना के विरोध में उठने वाली हर आवाज को दबा रही। ये आरोप लगाते हुए प्रेम शुक्ल (Prem Shukla) ने मीडिया के सामने पश्चिम बंगाल के कुछ धर्म विशेष से संबंध रखने वाले अपराधियों के नामों की एक सूची भी प्रस्तुत की। पश्चिम बंगाल में एक खास धर्म के लोग ही होते हैं अपराधी  प्रेम शुक्‍ल (Prem Shukla) ने कहा, “पश्चिम बंगाल में एक खास धर्म के लोग ही अपराधी होते हैं, इसलिए विपक्षी गठबंधन पीड़ितों को न्याय दिलाने की जगह दुष्कर्मियों और अपराधियों को बचाने में जुट जाता है। महाराष्ट्र में भी शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) का एमवीए गठबंधन यही काम करता है। इस गठबंधन (एमवीए) का मतलब ही मजहबी, व्यभिचारी और आपराधिक है। इसके नेता हमेशा अपराधियों को बचाने का काम करते हैं। लेकिन भाजपा इन दुष्कर्मियों और लव जिहादियों के खिलाफ हमेशा खड़ी रही है और आगे भी इनके खिलाफ लड़ती रहेगी।” #BJP #Kolkata #PremShukla #ACP #AMVA

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Jammu-Kashmir

क्यों Jammu-Kashmir में भाजपा को नहीं चाहिए पॉलिटिकल बैकग्राउंड वाले युवा?

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। यहां की 90 सीटों पर 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। चुनावी विगुल बजते ही सभी पार्टियां अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। 10 साल बाद यहां हो रहा विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा होने वाली है। इसलिए भाजपा खास रणनीति बनाने में जुटी है। कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर की ज्‍यादा से ज्‍यादा सीटें जीतने के लिए भाजपा गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले उम्‍मीदवारों को मैदान में उतारने का विचार कर रही है। ये 25 से 40 आयु वर्ग के होंगे। ऐसे उम्मीदवारों के चयन के लिए भाजपा हर विधानसभा में प्रभारी नियुक्त करेगी।  खेलकूद और कला-संस्कृति से संबंध रखने वाले युवाओं को देगी खास वरियता  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा जल्‍द ही अपने एक वरिष्‍ठ नेता को प्रत्याशियों का पैनल तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपेगी। जिसके बाद सभी विधानसभा से दो-चार ऐसे युवा उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार की जाएगी, जिनका सियासी बैकग्राउंड नहीं हो। अपने इस लिस्‍ट में भाजपा खेलकूद और कला-संस्कृति से संबंध रखने वाले युवाओं को खास वरियता देगी। भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने कश्‍मीर घाटी में ऐसे युवाओं की सूची पहले ही तैयार कर ली है, जिन्‍होंने केंद्र सरकार की योजनाओं से आम जनता को जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है। जम्मू-कश्मीर में 10 साल में हुआ है काफी बदलाव  बता दें कि, जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था। 20 दिसंबर 2018 को सरकार गिरने के बाद यहां राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।, फिर 2019 में अनुच्छेद 370 हटा दिया गया। जिसके बाद अब यहां पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। 2014 से लेकर 2024 तक 10 सालों में यहां बहुत कुछ बदल चुका है। जम्‍मू-कश्‍मीर के अंदर हैं कुल 95 सीटें  2014 के विधानसभा चुनाव में जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu-Kashmir) में 87 सीटें थीं। इसमें लद्दाख की 4 सीटें भी शामिल थी। परिसीमन के बाद लद्दाख की सीटें हटाकर 90 हो गई हैं। जिसमें 43 जम्मू संभाग में और 47 कश्मीर संभाग में हैं। वहीं लद्दाख अलग होकर अब केंद्र शासित क्षेत्र बन चुका है। परिसीमन के बाद राज्‍य में जो 7 नई विधानसभा सीटें बढ़ी हैं, उनमें से 6 जम्मू और 1 कश्मीर संभाग में हैं। इसके अलावा राज्‍यपाल को भी 5 सदस्य मनोनीत करने का अधिकार होगा। ऐसे में जम्‍मू कश्‍मीर के अंदर कुल 95 सीटें हो जाती हैं। #PoliticalStrategy #BJPYouthPolicy #JammuKashmirBJP #PoliticalBackground #YouthEmpowerment #IndianPolitics #JammuKashmirYouth

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