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Nupur Sharma

हाथों पर काली पट्टियां और हाथ में बैनर लेकर हिंदुओं की सुरक्षा की मांग करती नजर आईं Nupur Sharma

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंदू, बौद्ध और क्रिश्चियन अल्पसंख्यकों को लगातार हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। इन हिंसक घटनाओं का उबाल भारत में भी देखने को मिल रहा है। इसके विरोध में दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर जंतर-मंतर तक हिन्दू संगठनों द्वारा नारी शक्ति मार्च निकाला गया। जिसमें भाजपा की निलंबित राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) भी नजर आई। हालांकि इस मार्च में शामिल Nupur Sharma ने कु़छ बोला नहीं, लेकिन उनका मीडिया के सामने आना अपने आप में एक संदेश है। दिल्ली के इस नारी शक्ति मार्च का आयोजन विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) और आरएसएस (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की महिला विंग द्वारा किया गया था। इस मार्च के बाद सभी महिलाएं जंतर- मंतर पर इकट्ठा हुईं, जहां पर भाजपा की सांसद बांसुरी स्वराज और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने इस मार्च में हिस्सा लेते हुए इन्हें संबोधित किया। हालांकि Nupur Sharma ने इस मार्च में शामिल होकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।   मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मार्च में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा से जुड़ी हजारों महिलाएं शामिल हुई। यह मार्च मंडी हाउस से शुरू हुआ और शहर के प्रमुख केंद्रों से होते हुए जंतर-मंतर पर समाप्त हुआ। इस दौरान मार्च में शामिल महिलाओं ने धार्मिक झंडे और विभिन्न तख्तियां दिखाकर अपने विचारों को सामने रखा। इन प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग थी कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा तत्काल बंद होना चाहिए और आरोपियों को संख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। प्रदर्शन के दौरान कुछ महिलाओं ने अपने मुंह और हाथों पर काली पट्टी बांध रखी थी। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहा खुलेआम हमला बता दें कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट होने के बाद हिंदू समुदाय समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में भारी इजाफा हुआ है। कई जगहों पर हिन्दू मंदिरों पर हमले हुए हैं और सैकड़ों हिन्दू प्रतिष्ठानों को बर्बाद कर दिया गया। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अभी तक देश के 48 जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय के 278 स्थानों पर हमलों की पुष्टि की है। हालांकी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को इससे कई गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाया गया है। जिसकी वजह से हिन्दू अब बांग्लादेश से पलायन करने को मजबूर है।  #NupurSharma #Bangladesh #ProtectionofHindusinBangladesh # Hinduism #RashtriyaSwayamsevak Sangh #RSS 

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National President

17 अगस्त को हो सकता है भाजपा के National President के नाम का खुलासा

भाजपा (BJP) के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक शनिवार को होने जा रही है। इस बैठक में आगामी चार राज्यों के विधानसभा चुनाव, पार्टी के सदस्यता अभियान और संगठनात्मक चुनावों पर विचार विमर्श करने के साथ अंतिम रूप दिया जाएगा। साथ ही इस बैठक के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष (national president) पद पर भी घोषणा हो सकती है। लोकसभा चुनाव के बाद यह भाजपा की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की पहली बैठक है। इसमें संगठन के  सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ राज्यों के सभी अध्यक्ष, संगठन मंत्री और प्रभारी भी मौजूद रहेंगे।  भाजपा की यह बैठक है बड़ी महत्वपूर्ण बैठक का मुख्य विषय आगामी विधानसभा चुनाव और संगठनात्मक होगा। इसमें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता अभियान से लेकर मंडल और राष्ट्रीय अध्यक्ष (national president) पद का चुनाव तक शामिल है। जिन राज्यों में चुनाव होना है, उनके अध्यक्ष व संगठन मंत्रियों के साथ खास योजना भी इसी बैठक में तैयार की जाएगी। भाजपा (BJP) की यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर मुहर भी इसी बैठक में लगनी है।   भाजपा कर सकती है बड़ा फैसला मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पार्टी के अंदर संगठन में कई बड़े बदलाव होने हैं। कुछ राज्यों में नए अध्यक्षों और संगठन मंत्रियों की नियुक्ति के साथ चुनावी राज्यों में व्यापक स्तर पर बदलाव हो सकते हैं। भाजपा (BJP) और आरएसएस नेतृत्व के बीच हाल में राजनाथ सिंह के घर पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में भी इस बदलाव पर विस्तार से चर्चा हुई थी। जानकारों के अनुसार इस बैठक में सबसे बड़ा फैसला नए राष्ट्रीय अध्यक्ष (national president) की नियुक्ति को लेकर होना है। जिसकी घोषणा इस बैठक के बाद की जा सकती है।  National President पद पर चुनाव भाजपा के लिए हुआ मुश्किल   भाजपा (BJP) के लिए इस समय सबसे मुश्किल काम अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष (national president) का चुनाव करना है। इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव के बाद कई बार बैठक भी कर चुकी है, लेकिन अभी तक किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई है। इस बीच कई नाम मीडिया चर्चा में आए और चले भी गए। अब कहा जा रहा है कि भाजपा जमीनी नेता की तलाश में है, जो समाजिक ढांचे में भी फिट बैठे। इस बार तो यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा किसी महिला को नेतृत्व सौंप सकता है। #NationalPresident #BJP #President #Minister #Election #Party

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Jammu-Kashmir

Jammu-Kashmir में प्रशासनिक फेरबदल, चुनावी तारीखों के ऐलान से पहले 200 अफसरों का किया गया तबादला

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है। यहां पर 18 सितंबर, 28 सितंबर और 1 अक्‍टूबर को मतदान होगा। चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले राज्य में प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल किया गया है। आचार संहिता लगने से कुछ घंटे पहले ही जम्मू कश्मीर में करीब 200 सिविल और पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया।   88 आईएएस और केएएस अधिकारियों का किया गया है ट्रांसफर मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के विभिन्न विभागों में तैनात 88 आईएएस और केएएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है। साथ ही पुलिस विभाग में आईजी और एसएसपी रैंक के अधि‍कारियों के साथ कुल 33 पुलिस अधिकारियों के पोस्टिंग में फेरबदल की गई है। इस लिस्ट में रेंज डीआईजी और आईजी सीआईडी भी शामिल हैं। इस फेरबदल से जम्मू कश्मीर के अंदर प्रशासनिक स्तर पर खलबली मची हुई है।   आईएएस अभिषेक शर्मा को किया गया राजौरी उपायुक्त नियुक्त  रिपोर्ट के अनुसार सांबा के उपायुक्त आईएएस अभिषेक शर्मा को अब राजौरी उपायुक्त नियुक्त किया गया है। इसी तरह जम्मू पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विकास कुंडल को अब जम्मू- कश्मीर पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड का प्रबंध निदेशक बनाया गया है। बांदीपोरा के डिप्टी कमिश्नर शकील यूआई रहमान राथर को पुष्प एवं उद्यान विभाग के निदेशक पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं विधिक माप विज्ञान के नियंत्रक पद पर तैनात माजिद खलील अहमद द्राबू को जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) का मिशन निदेशक बनाया गया है। इसी तरह पुलिस विभाग में भी बड़ा बदलाव किया गया है।  आज होना है विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान बता दें कि चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा कर दी है। उसके पहले बड़े पैमाने पर किया गया यह फेरबदल आयोग की सुरक्षा व्यवस्था को दिखाता है। यहां पर बीते कुछ दिनों से बाहरी आतंकियों के द्वारा लगातार हमले किये जा रहे हैं। जिसकी वजह से चुनाव आयोग ने यह बदलाव कर सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने की कोशिश की है।  370 हटने के बाद पहली बार होने जा रहा है विधानसभा चुनाव का आयोजन  बता दें कि धारा 370 हटने के बाद यहां पर पहली बार विधानसभा चुनाव का आयोजन होने जा रहा है। जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) विधानसभा में पहले सीटों की संख्या 987 थी। जिसमें से जम्मू के अंदर 37 और कश्मीर के अंदर 46 सीटें थी। मई, 2022 में चुनाव आयोग के परिसीमन के बाद अब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 90 हो गई है। इसमें जम्मू के 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। #Jammu-Kashmir #Article370 #Election #IAS #Jammu #Kashmir

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Ajit Pawar

Maharashtra Politics: एनसीपी में बड़े उलटफेर के संकेत, Ajit Pawar ने लिया यह बड़ा निर्णय 

महाराष्ट्र (Maharashtra) में चुनाव से पहले एक बड़े उलटफेर का अंदेशा जताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) चुनाव से पहले अपने चाचा शरद पवार के साथ मिलकर एनसीपी को संगठित कर सकते हैं। यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि Ajit Pawar अब चुनाव लड़ना नहीं चाहते और शरद पवार को अभी भी एनसीपी का प्रमुख मानते हैं। गुरुवार को उन्होंने कहा कि “उनके पुत्र जय पवार बारामती विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह पार्टी तय करेगी।” अब और चुनाव लड़ने में कोई नहीं है दिलचस्पी बता दें कि पिछले कई सालों से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख Ajit Pawar पुणे जिले के बारामती विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। बस बार चुनाव लड़ने पर मीडिया के पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए Ajit Pawar ने कहा कि उन्हें अब और चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है और उनके बेटे जय पवार इस बार बारामती विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह भी पार्टी तय करेगी। हालांकि राज्य राकांपा प्रमुख सुनील तटकरे ने इस बयान का डैमेज कंट्रोल करते हुए कहा कि अजित पवार ने यह किसी से भी नहीं कहा कि वह अब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, मीडिया ने उनके जवाब का गलत अर्थ निकाला।  तो जय पवार को चुनावी मैदान में उतारेंगे Ajit Pawar बता दें कि मीडिया ने Ajit Pawar से पूछा था कि क्या उनके बेटे जय पवार को इस बार बारामती सीट से मैदान में उतारा जाएगा। इसके जवाब में अजित पवार (Ajit Pawar) ने कहा, यह लोकतंत्र है, मुझे इस चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि पहले ही सात से आठ चुनाव लड़ चुका हूं। अगर कार्यकर्ता और समर्थक ऐसा सोच रहे हैं, तो (राकांपा) संसदीय बोर्ड की बैठक में इस पर चर्चा होगी। बता दें कि इससे पहले अजित के बड़े बेटे पार्थ पवार 2019 लोकसभा चुनाव में मावल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, जहां उन्हें हार मिली। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि Ajit Pawar आगामी विधानसभा चुनाव अपने चाचा के साथ मिल कर लड़ते हैं या फिर गठबंधन में बने रहते हैं। कुछ दिनों के अंदर ही राज्य की राजनीतिक तस्वीर साफ हो जाएगी। #AjitPawar #Maharashtra #Politics #Pune #JayPawar

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Yogi Adityanath

बतौर मुख्यमंत्री, Yogi Adityanath ने दर्ज किया अपने नाम एक अनोखा रिकॉर्ड

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की गिनती उन दिग्गज नेताओं में होती है, जिनके नेतृत्व में पार्टी ने प्रदेश में लगातार दूसरी बार सरकार बनाई हो। बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने जब 25 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तभी उन्होंने कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी का 37 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया था। नारायण दत्त इससे पहले यूपी के ऐसे इकलौते मुख्यमंत्री थी, जिन्होंने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सबसे लंबे समय तक लगातार कार्यकाल पूरा करने वाले बने पहले मुख्यमंत्री  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने नया राजनीतिक इितहास बनाया है। अब ये यूपी में सबसे लंबे समय तक लगातार कार्यकाल पूरा करने वाले मुख्यमंत्री बन चुके हैं। योगी आदित्यनाथ के नाम लगातार 7 साल 148 दिन तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड हो गया है। इससे पहले कांग्रेस के सीएम डॉक्टर संपूर्णानंद के नाम इस पद पर सबसे ज्यादा समय तक बने रहने का रिकॉर्ड था। हालांकि, इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती चार बार और सपा प्रमुख मुलायम सिंह तीन बार यूपी सीएम पद की शपथ ली, लेकिन फिर भी इतने समय तक लागार सीएम बने रहने का रिकॉर्ड नहीं बना पाए। नोएडा जाने से चली जाएगी कुर्सी योगी आदित्यनाथ प्रदेश के दूसरे ऐसे सीएम हैं, जो लगातार दूसरी बार प्रदेश के सीएम बनें। साथ ही लगातार सबसे ज्यादा समय तक सीएम बने रहने वाले पहले सीएम भी बन गए हैं। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पहले ऐसे सीएम भी है, जिन्होंने नोएडा जाने से सीएम की कुर्सी चली जाने का मिथक तोड़ा। योगी अपने सख्त निर्णय और कार्रवाई के लिए फेमस हो चुके हैं।   डबल इंजन सरकार में देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनी यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में यूपी अब देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इसकी जानकारी देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “यूपी अब छठी या सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से बढ़कर देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यूपी देश के सकल घरेलू उत्पाद में 9.2% का योगदान कर रहा है। यह सबकुछ संभव हों इसलिए हुआ, क्योंकि राज्य में डबल इंजन की सरकार है। सीएम ने कहा कि अब राज्य में आम जनता नहीं बल्कि अपराधी डरते हैं। #UniqueAchievement #YogiGovt #UttarPradesh #Leadership #PoliticalMilestone #IndiaPolitics #CMRecord

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BSNL

क्या सरकार के इस कदम से मिलेगी महंगे मोबाइल के रिचार्ज से राहत?

मौजूदा दौर में मोबाइल लोगों की सबसे बड़ी जरूरतों में एक है। आज डिजीटल युग में इसकी जरूरत ऐसी कि इसके बिना रह पाना असंभव है। क्या आम, क्या खास, क्या अमीर और क्या गरीब किसी का इसके बिना नहीं चलने वाला है। लोगों की इसी मजबूरी को देखते हुए टेलिकॉम कंपनियां आये दिन मोबाइल रिचार्ज में इजाफा करती रहती हैं। मार्केट में गलाकाट स्पर्धा के बावजूद टेलिकॉम कंपनियों की आपसी साठ-गांठ ऐसी कि सब साथ मिलकर ग्रहकों की जेब काटने पर आमादा हैं। ऐसे में आमजन सबसे अधिक इसका शिकार हो रहे हैं। मोबाइल की लत ऐसी कि उन्हें मजबूरन प्राइवेट कंपनियों की मनमानी सहनी पड़ रही है। ऐसे में उन्हें कहीं से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।  सरकार करने जा रही है नई पहल  खैर, लोगों की पीड़ा को देखते हुए केंद्र सरकार लोगों को राहत देने की योजना पर काम कर रही है। इसी सिलसिले में सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसे जान आपको थोड़ी बहुत राहत जरूर होगी। खबर के मुताबिक दोनों सरकारी कंपनी, BSNL और MTNL ने 10 साल के लिए एक एग्रीमेंट किया है। हालांकि पहले खबर थी कि BSNL, MTNL को ओवरटेक कर सकती है। बहरहाल, खबर यह है कि MTNL ने सर्विस को हरी झंडी दे दी है। हालांकि सरकार ने अभी अग्रीमेंट को होल्ड कर दिया है। दरअसल, सरकार की तरफ से टैक्स इम्प्लीकेशन की जांच जा रही है। इसके जरिये सरकार यह जानकारी जुटा रही है कि यह डील दोनों को कितनी महंगी पड़ेगी? सरकार यह नहीं चाहती कि दोनों कंपनियों पर अधिक बोझ पड़े।  BSNL कर रहा है अपने नेटवर्क को मजबूत हालांकि MTNL  पहले की कर्ज के बोझ तले दबी है। इसपर तकरीबन 32 हजार करोड़ का कर्ज है। इस अग्रीमेंट के पीछे BSNL का उद्देश्य यही है कि MTNL जल्द से जल्द कर्ज से उबर सके और मार्केट फिर वापसी कर सके। खैर, बात करें BSNL की तो, जिओ के प्लान महंगे होने के बाद करोड़ों ग्रहकों ने सस्ते रिचार्ज की उम्मीद में अपना नंबर BSNL में पोर्ट किया था। ग्राहकों को बेहतर इंटरनेट सर्विस देने हेतु BSNL अपने नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। बड़ी बात यह कि BSNL ने 5G नेटवर्क का ट्रायल शुरू कर दिया है। जल्दी ही मार्केट BSNL की 5G सर्विस की शुरुआत हो सकती है।  प्राइवेट कंपनियों को मजबूरन सस्ते करने होंगे प्लान बात करें प्राइवेट कंपनियों के नेटवर्क की तो वर्तमान में जिओ, एयरटेल और वोडाफोन जैसी कंपनियों का बोलबाला हो। ऐसे में कहने कि जरूरत नहीं कि BSNL की 5G सर्विस शुरू होने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं कंपनियों का होगा। निश्चित ही BSNL के सस्ते प्लान के चलते उनके ग्राहक BSNL में  बढ़-चढ़कर नंबर पोर्ट करेंगे। ऐसी स्थिति में ग्राहकों पर अपनी पकड़ बनाए रखने हेतु प्राइवेट कंपनियों को मजबूरन प्लान सस्ते करने होंगे।  #BSNL #MTNL #5G #Recharge #Government #MobileRecharge

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Atal Bihari Vajpayee

Atal Bihari Vajpayee: क्या आप जानते हैं अटल जी के जीवन से जुड़ी हुई इन बातों को?

देश के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की आज पुण्यतिथि (Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary) है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ-साथ भारतीय जनता के तमाम बड़े नेताओं ने उनके स्मारक स्थल ‘सदैव अटल’ पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और  केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने भी पूर्व प्रधानमंत्री को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।  ग्वालियर में हुआ था जन्म पंडित अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का जन्म वर्ष 1924 में ग्वालियर में हुआ था। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह कि वो पहले ऐसे गैर-कोंग्रेसी प्रधानमंत्री ने जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था। आपको बता दें कि अटलजी 16 मई 1996 से लेकर 1 जून 1996 और फिर 19 मार्च 1998 से लेकर 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। यही नहीं, उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के मंत्रिमंडल में साल 1977 से लेकर 1979 तक, बतौर भारत के विदेश मंत्री के रूप में भी कार्य किया था।  सम्पूर्ण जीवन था राष्ट्र के लिए समर्पित श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी का सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित था। कारण यही जो आजीवन वो अविवाहित रहे। स्कूली जीवन से वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ स्वयंसेवक बने और संघ की शाखाओं में भाग लेते रहे। आगे चलकर उन्होंने न सिर्फ बतौर पत्रकार काम किया बल्कि, वीर अर्जुन, राष्ट्र धर्म और पाञ्चजन्य जैसी पत्रों का संपादन भी किया। कवि ह्रदय और प्रखर वक़्त अटलजी का भाषण इतना ओजस्वी हुआ करता था कि पंडित नेहरू स्वयं उनकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाए और उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री तक करार दे दिया था। यही नहीं, आगे चलकर उनकी भविष्यवाणी सच भी साबित हुई। खैर, अटलजी भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे और लंबे समय तक उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामप्रसाद मुखर्जी जैसे महान राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम भी किया। यह अटलजी के व्यक्तित्व और हाजिरजवाबी का ही कमाल था कि विपक्षी नेताओं के साथ भी आजीवन उनके संबंध मधुर रहे। अटलजी एक विराट व्यक्तित्व के धनी थे। अटलजी ने देश को सामरिक और आर्थिक रूप से बनाया मजबूत   इस मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अटलजी (Atal Bihari Vajpayee) को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि “उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान देश को सामरिक और आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने का काम किया।”  अटल बिहारी वाजपेयी की गोद ली हुई बेटी ने भी की पुष्पांजलि अर्पित  वाजपेयीजी की (Atal Bihari Vajpayee) पुण्यतिथि पर उनकी गोद ली हुईं पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने उनके स्मारक स्तर पर पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की। उनके जन्मदिवस को सुशासन दिवस के रूप में जाता है मनाया  आपको बता दें कि उनके जन्मदिवस को सुशासन दिवस के रूप में  मनाया जाता है। वर्ष 2014 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया था। आज से 6 वर्ष पूर्व यानी 16 अगस्त 2018 के दिन दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में उनका देहांत हुआ था।  #AtalBihariVajpayee #VajpayeeDeathAnniversary #TributesToVajpayee #AtalBihariVajpayeeLegacy #PresidentMurmu

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Independence Day

Independence day: लाल किले पर तिरंगा फहराने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन प्रधानमंत्रियों को छोड़ा पीछे 

15 अगस्त, 1947 के दिन पहली बार देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से प्यारे तिरंगे को फहराया था। अहम् बात यह कि लाल किले से तिरंगा फहराने की परंपरा उनके द्वारा शुरू की थी। तब से यह परंपरा पिछले 77 वर्षों से बदस्तूर जारी है। इस तरह 15 अगस्त को प्रत्येक वर्ष हिंदुस्तान अपनी आज़ादी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाता है। देश इस बार अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। पिछले दस वर्षों से देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ध्वजारोहण करते आ रहे हैं। इस वर्ष वो 11वीं बार लाल किले की प्राचीर से तिरंगा लहरा कर देश के कई प्रधानमंत्रियों को पीछे छोड़ चुके हैं। आपको बता दें कि मोदी देश के चौथे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो 10 वर्षों से उक्त परंपरा को निभाते आ रहे हैं। 11वीं बार तिरंगा फहराने के बाद पीएम मोदी देश के तीसरे प्रधानमंत्री बन चुके हैं।  महत्वपूर्ण बात यह कि यदि प्रधानमंत्री मोदी इस बार तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जिन्हें सबसे अधिक बार ध्वजारोहण करने का मौका मिलेगा। अब आप सोच रहे होंगे कि यदि मोदी तीसरे क्रमांक पर हैं तो ऊपर के दो कौन प्रधानमंत्री हैं जिन्हें यह अवसर प्राप्त हुआ था। तो आपको बता दें कि वो दोनों प्रधानमंत्री कोई और नहीं पिता-पुत्री हैं। निश्चित ही आप समझ गए होंगे। जी हां, वो कोई और नहीं बल्कि स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी पुत्री और भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हैं। जिन्होंने सबसे अधिक ध्वजारोहण किया है।  पंडित नेहरू के नाम दर्ज है सबसे अधिक बार ध्वजारोहण करने का रिकॉर्ड दरअसल, साल 1947 से लेकर साल 1964 तक देश की बागडोर पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथ में देश की बागडोर थी। इसके चलते उन्हें लगातार 17 बार यह सौभाग्य प्राप्त हुआ था। सबसे अधिक बार तिरंगा फहराने की फेहरिस्त में नेहरू का नाम सबसे ऊपर है। खैर, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी पुत्री इंदिरा गाँधी दूसरे स्थान पर हैं। बतौर देश की पहली महिला प्रधानमंत्री उनका नाम दूसरे स्थान पर है। उन्हें 16 बार यह सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वो वर्ष 1966 से 1977 तक और फिर जनवरी 1980 से अक्टूबर 1984 तक देश की प्रधानमंत्री थीं।  11वीं बार प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से किया ध्वजारोहण साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार प्रधानमंत्री मोदी लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा लहरा रहे हैं। इस बार वो पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को पछाड़ते हुए 11वीं बार ध्वजारोहण कर रहें हैं। इसके साथ ही अब इंदिरा गांधी के बाद वो देश के तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जिनके नाम पर सर्वाधिक तिरंगा फहराने का रिकॉर्ड दर्ज होगा।  किस प्रधानमंत्री ने कितनी बार किया है ध्वजारोहण? प्रधानमंत्री मोदी के बाद डॉक्टर मनमोहन सिंह देश के चौथे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनके नाम सबसे अधिक बार ध्वजारोहण करने रिकॉर्ड दर्ज है। उन्हें 10 बार किले से तिरंगा लहराने का शुभअवसर प्राप्त हुआ था। इसके बाद नंबर आता है भूतपूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी का जिन्होंने 6 बार तिरंगा फहराया था। वाजपेयी के बाद राजीव गांधी और नरसिम्हा राव ऐसे दो प्रधानमंत्री थे जिन्हें 5-5 बार यह सौभाग्य प्राप्त हुआ।  जाने किस प्रधानमंत्री को नहीं मिला एक भी मौक़ा  देश दो ऐसे भी प्रधानमंत्री भी हुए जिन्हें एक भी बार ध्वजारोहण करने का मौका नहीं मिला। आपको बता दें कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा और चंद्र शेखर ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्हें एक बार भी यह सौभाग्य नसीब नहीं हुआ।  Flaghosting #IndependenceDay #PMModi #15thAugust #NarendraModi #RedFort

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Pakistan

Pakistan की करतूत ने जहां ली थी 30 हजार जानें, वहां 15 अगस्त को जनता के लिए खुलेगा बलिदान स्तंभ 

देश की सुरक्षा और स्‍वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले शहीदों की याद में कश्मीर के राजौरी में भव्‍य बलिदान स्तंभ स्मारक बनकर तैयार हो चुका है। इसे आम जनता के लिए 15 अगस्त को खोला जाएगा। यह जानकारी श्रीनगर नगर निगम कमिश्‍नर आयुक्त डॉ. ओवैस अहमद ने मीडिया से बातचीत के दौरान दी। डॉ. ओवैस अहमद ने कहा, “हमने इस बलिदान स्तंभ को 15 अगस्त तक तैयार रखने की प्रतिबद्धता जताई थी, जो पूरा किया। आम लोगों से निवेदन है कि वे इस स्थान पर आकर अपने महान नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।” पत्रकारों से बातचीत में ओवैस अहमद ने बताया कि इस स्थान पर आने के लिए आम लोगों को कोई प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ेगा। यह जगह जम्‍मू कश्‍मीर की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले शहीदों का बलिदान हमेशा याद दिलाता रहेगा। इस परियोजना में कुल 4.8 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। पाकिस्तान (Pakistan) ने 30 हजार निर्दोष लोगों की ली थी जान  बता दें कि यह बलिदान स्तंभ सन् 1947 में पाकिस्तान के नापाक इरादें की याद दिलाता है। 200 साल की गुलामी से आजादी मिलने के बाद जब पूरा भारत इसका जश्‍न मना रहा था, तब दो माह पहले अस्तित्व में आया पाकिस्‍तान हमारे देश पर आक्रमण का प्‍लान बना रहा था। जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह भारत में शामिल होना चाहते थे, लेकिन इसी समय पाकिस्तान के सैनिकों ने कबायलियों के साथ मिलकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। राजा हरि सिंह ने जम्‍मू कश्‍मीर को तुरंत भारत में विलय की घोषणा कर दी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। इन दरिंदों ने कश्‍मीर के अंदर तक घुस सैकड़ों कश्‍मीरी महिलाओं की अस्मत लूट ली और करीब 30 हजार निर्दोष लोगों की जान ले ली।   कबायलियों ने राजौरी में घुसते ही लोगों को उतारा मौत के घाट  राजौरी में घुसते ही इन कबायलियों ने जो भी दिखता उसे मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया और महिलाओं की इज्जत लूटने लगे। सैकड़ों कश्‍मीरियों ने अपने प्राणों की आहूति देकर इन आक्रमणकारियों का डट कर सामना किया और जब तक भारतीय सेना वहां नहीं पहुंच गई, उन्‍हें आगे बढ़ने से रोके रखा। अब उसी स्थान पर यह बलिदान स्तंभ बनकर तैयार हुआ है।  #FreedomSacrifice #IndiaRemembers #MartyrsTribute #PakistanAggression #RajouriHistory

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Chief Minister

महाराष्ट्र में क्या पक्ष, क्या विपक्ष, Chief Minister फेस को लेकर सबका फंस रहा है पेंच

महाराष्ट्र (Maharashtra) का आगामी विधानसभा चुनाव अक्टूबर में होना प्रस्तावित है। चुनाव होने को अब करीब दो माह का वक्त रह गया है, लेकिन पक्ष और विपक्ष दोनों अभी मुख्यमंत्री के चेहरे पर ही उलझे हुए हैं। भाजपा की नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन में शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी भी शामिल है। यह गठबंधन फिर से जीतकर सत्ता में आने का दावा कर रहा है, लेकिन चुनाव में मुख्यमंत्री (Chief Minister) का चेहरा कौन होगा, इस पर गठबंधन के अंदर खामोशी छाई हुई है।  मुख्यमंत्री (Chief Minister) के चेहरे पर है खामोशी यही हाल कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार के महाविकास अघाड़ी गठबंधन का है। यह गठबंधन 20 अगस्त से पूरे राज्य में संयुक्त रूप से चुनावी रैलियां शुरू करने जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री (Chief Minister) का चेहरे पर यहां भी खामोशी है। पहले दावा किया जा रहा था कि इस गठबंधन के सीएम फेस उद्धव ठाकरे होंगे, लेकिन कांग्रेस और शरद पवार की तरफ से सहमति नहीं मिली। महायुति गठबंधन के नेताओं का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद सीटों के आधार पर मुख्यमंत्री का फैसला किया जाएगा।  महायुति गठबंधन नहीं करना चाहती सीएम फेस का ऐलान  महायुति गठबंधन के घटक दलों के बीच लगातार खटपट की खबरें आम हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्यमंत्री शिंदे फिर से मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनना चाहते हैं, वहीं उप मुख्यमंत्री अजित पवार भी इस बार अपने लिए मुख्यमंत्री की मांग कर रहे हैं। उधर, भाजपा का मानना है कि शिंदे भले ही राज्य के मुख्यमंत्री हों, लेकिन देवेंद्र फडणवीस का कद उनसे ऊंचा है। ऐसे में सवाल उठता है कि महायुति गठबंधन अपना अगला मुख्यमंत्री किसे चुनेगी? हालांकि, इसके बाद भी गठबंधन 20 अगस्त से पूरे महाराष्ट्र में संयुक्त चुनावी रैलियां का आयोजन करने जा रही है। गठबंधन के नेताओं का दावा है कि इन संयुक्त रैलियों से जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि महायुति एकजुट है और हमें इसका फायदा मिलेगा।  कई चेहरों ने सीएम पद को लेकर किया दावा  विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में भी इसी परेशानी से जूझ रहा है। यहां भी सीएम चेहरे के लिए कई चेहरे सामने आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे और सीएम फेस पर सबसे ज्यादा रार है। इसलिए महाविकास अघाड़ी गठबंधन किसी निष्कर्ष पर पहुंच नहीं पा रही है। गठबंधन का मानना है कि चुनाव में जीते गए सीटों के आधार पर मुख्यमंत्री (Chief Minister) का फैसला करना सबके लिए बेहतर रहेगा। #MaharashtraAssemblyElection #ChiefMinister #Maharashtra #Elections

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