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BJP's new national president

कौन होगा भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP’s new national president)? इन नामों पर चर्चा तेज

भाजपा को जल्‍द ही अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP’s new national president) मिलने वाला है। इसके लिए हाल ही में भाजपा के वरिष्‍ठ नेताओं की राजनाथ सिंह के घर पर एक हाई लेवल मीटिंग हुई थी। इस बैठक में भाजपा नेताओं के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पदाधिकारी भी शामिल हुए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बैठक में अध्‍यक्ष पद के लिए गहन विचार विमर्श हुआ और कुछ नामों पर सहमति भी बनी। हालांकि भाजपा की तरफ से अभी आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। कुछ नामों पर बन चुकी है सहमति  बता दें कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (national president) जेपी नड्डा के केंद्रय मंत्री बनने के बाद से ही यह पद खाली पड़ा है। इस पद पर चुनाव के लिए भाजपा की कोर कमेटी कई बार बैठक कर चुकी है। ऐसी ही एक बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर भी हुई। जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, संगठन महासचिव बीएल संतोष के अलावा आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले और संयुक्त सरकार्यवाह अरुण कुमार भी शामिल हुए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह बैठक करीब 5 घंटे तक चली और अध्यक्ष पद के लिए कुछ नामों पर सहमति भी बनी।  आरएसएस की सहमति से बनेगा अध्‍यक्ष  कहा जा रहा है कि भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP’s new national president) के लिए ऐसे नेता की तलाश कर रही है जो जमीन से जुड़ा हो और सामाजिक ढांचे में भी फिट बैठे। अटकलें है कि पहली बार किसी महिला को भी भाजपा की कमान सौंपा जा सकती है। लेकिन इससे पहले भाजपा अपने इस फैसले पर आरएसएस की सहमति भी लेना चाहती है। कुछ मीडिया संस्‍थान दावा कर रहे हैं कि इस बार का भाजपा अध्यक्ष ओबीसी समाज से होगा।  केशव प्रसाद मौर्य के नाम की चर्चा है जोरो पर  बता दें कि भाजपा के राष्ट्रिय अध्‍यक्ष पद (BJP’s new national president) के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही है। इनमें से ही एक नाम महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का भी है। फडणवीस ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, जिसके बाद उनके नाम की चर्चा तेज हो गई थी। हालांकि फडणवीस ने इसे सिर्फ मीडिया की अटकलें ही बताया था। वहीं यूपी के उपमुख्यमंत्री और ओबीसी सामाज के नेता केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर भी चर्चा चल रही है। मौर्य बीते कुछ दिनों से लगातार दिल्ली आकर भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात भी कर रहे हैं। #AmitShah #NewBJPPresident #RajnathSingh #DevendraFadnavis #KeshavPrasadMaurya

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assembly elections

इस वजह से महाराष्ट्र और हरियाणा में हो सकते हैं समय से पहले Assembly elections

इस साल हुए लोकसभा चुनावों के बाद अब विधानसभा चुनाव (Assembly elections) की बारी है। महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा का कार्यकाल नवंबर महीने में खत्म होने को है। इसके साथ जल्द ही जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराने की कवायद की जा रही है। धारा 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराये जाने की तैयारी जोश- शोर से चल रही है। 30 सितंबर तक चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुबुगाहट तेज हो गई कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा के चुनाव करवाए जा सकते हैं।  केंद्र सरकार चाहती है कि साथ में हो चुनाव  केंद्र सरकार चाहती है कि जम्मू कश्मीर के साथ-साथ महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव (Assembly elections) भी साथ ही हो जाए। महत्वपूर्ण बात यह कि महाराष्ट्र में पहले अक्टूबर महीने में चुनाव होने थे लेकिन प्रशासनिक तैयारी को देखते हुए इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि वो सकता है जम्मू के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव करवाए जा सकते हैं।  अभी तक नहीं हुई है घोषणा   महत्वपूर्ण बात यह कि अभी चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव (Assembly elections) की तारीखों की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन चुनाव आयुक्त ने टीम के साथ जम्मू कश्मीर का दौरा कर इस बात के संकेत दे दिए हैं कि जल्द ही राज्य में चुनावी तारीखों की घोषणा किया जा सकती है। ऐसे में सभी पार्टियों ने चुनावी रण के लिए कमर कस ली है। खासतौर बीजेपी तीनों राज्यों में वोटरों को साधने की रणनीति बनाने में लग गई है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा जो उम्मीद के मुताबिक सींटे नहीं मिली थीं। अब तो आलम यह कि सभी पार्टियां न सीर्फ एक दूसरे की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाये हुए हैं बल्कि सभी दल स्थानीय स्तर पर अपना खोया हुआ जमीर भी बांचने पर जुट गई हैं।  #CentralGoverment #AssemblyElection #Election #Jummu&Kashmir

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Uddhav Thackeray

Uddhav Thackeray के काफिले पर हमला करने वाले कार्यकर्ताओं को राज ठाकरे ने दी शाबाशी

शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के काफिले पर मनसे कार्यकर्ताओं के हमले मामले में महाराष्ट्र की राजनीति उबाल पर है। एक तरफ जहां शिवसेना (यूबीटी) ने राज्‍य की कानून व्यवस्था को ध्‍वस्‍त बताते हुए गृह मंत्री का इस्‍तीफा मांगा है, वहीं दूसरी तरफ राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने अपने कार्यकर्ताओं को शाबशी देते हुए हमले की जिम्‍मेदारी ली है। मनसे ने कहा कि इस तरह की घटना की शुरुआत शिवसेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं ने की थी। उन लोगों ने राज ठाकरे के वाहन पर सुपारी फेंकी थी, जिससे मनसे कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी थी। मनसे नेता अविनाश जाधव ने चेतावनी दी है कि आगे भी किसी उकसावे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी। बता दें कि राज्‍य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के काफिले पर ठाणे में मनसे कार्यकर्ताओं ने गोबर, नारियल और चूड़ियां फेंकी थी। इस मामले में पुलिस ने मनसे के 44 कार्यकर्ताओं पर केस दर्ज कर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। इस घटना के बाद राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं को वीडियो कॉल कर उन्हें शाबाशी दी।   कानून व्यवस्था ध्वस्त, गृह मंत्री को तत्‍काल इस्तीफा दे देना चाहिए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के काफिले पर हुए इस हमले पर शिवसेना (यूबीटी) ने तीखी प्रक्रिया दी है। शिवसेना नेता आनंद दुबे ने कहा कि, हमें अब पता चला है कि राज ठाकरे और मनसे को लोग ‘सुपारीबाज’ क्यों कहते हैं। उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उन्हें Z श्रेणी की सुरक्षा मिली है, लेकिन इसके बाद भी अगर वे राज्य में सुरक्षित नहीं हैं, तो यह सरकार (महायुति सरकार) राज्‍य के आम लोगों की सुरक्षा कैसे करेगी। राज्‍य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। गृह मंत्री को तत्‍काल इस्तीफा दे देना चाहिए।   आनंद दुबे ने मीडिया से बातचीत करते हुए आगे कहा कि “देवेंद्र फडणवीस की पुलिस के सामने एकनाथ शिंदे के जिला नगर ठाणे में अगर ऐसे हमले हो रहे हैं तो इसका मतलब है कि इस हमले की सुपारी दी गई थी। अभी तक हम सिर्फ सुनते थे कि राज ठाकरे (Raj Thackeray) और उनकी पार्टी सुपारियां लेते हैं, लेकिन अब तो पूरे देश के सामने स्पष्ट हो गया है कि ये सुपारी लेकर हमले करते हैं। यह पूरी तरह से राज्‍य सरकार की नाकामी है।  #Thackeray #RajThackeray #UddhavThackeray #Politics #MaharashtraPolitics

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Farooq Abdullah

Farooq Abdullah का भारतीय सेना पर गंभीर आरोप, कही शर्मनाक बात

जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेंस के अध्‍यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने शर्मनाक बयान देते हुए भारतीय सुरक्षाबलों पर गंभीर आरोप लगाया है। अब्‍दुल्‍ला ने कहा है कि जम्‍मू कश्‍मीर को आंतकियों से बचाने के लिए यहां तैनात सुरक्षाबल उन्‍हीं आतंकियों से मिले हुए हैं। भारतीय सेना और इन आतंकवादियों के बीच मिलीभगत है। जिसकी वजह से ही एलओसी पर सैनिकों की भारी तैनाती के बाद भी आतंकवादी राज्‍य में घुसपैठ करने में कामयाब हो रहे हैं।  फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह विवादित बयान देते हुए कहा कि, ‘हमारी सरहदों पर आज की तारीख में भारतीय सेना बड़े पैमाने पर तैनात है, जो दुनिया में सबसे बड़ी डिप्लॉयमेंट में से एक है, लेकिन इसके बाद भी आतंकी हमारे देश में घुसकर मारकाट मचाते हैं और आराम से चले जाते हैं।’ अब्‍दुल्‍ला ने भारतीय सेना पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘इससे साफ पता चलता है कि ये सब (सेना और आतंकी) आपस में मिले हुए हैं। ये सभी हमारी बर्बादी चाहते हैं, इसलिए आपस में मिलकर खेल खेल रहे हैं।’  भाजपा ने की मांफी की मांग  फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के इस विवादित बयान पर भाजपा ने पटलवार किया है। भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा, “मीडिया में बने रहने के लिए फारूक अब्दुल्ला इस तरह का विवादित बयान अक्‍सर देते रहते हैं। इनकी बात को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता। यह वही फारूक अब्दुल्ला हैं जो आतंकी मकबूल भट के साथ फाटो खिंचवाते थे। इन्‍हें तत्‍काल अपना बयान वापस लेते हुए भारतीय सेना और देश से माफी मांगनी चाहिए।” निर्मल सिंह ने कहा कि “ऐसे लोगों को जम्‍मू कश्‍मीर की जनता अच्‍छी तरह पहचानती है।”  अनंतनाग एनकाउंटर के बाद आया फारूक अब्दुल्ला का शर्मनाक बयान बता दें कि फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने यह विवादित बयान अनंतनाग में चल रहे मुठभेड़ के दौरान दिया। इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के 2 जवान शहीद हो गए और 2 जवान घायल हैं, साथ में एक नागरिक की भी मौत हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खूफिया सूचना मिलने के बाद सेना, सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस ने अनंतनाग में संयुक्‍त तलाशी अभियान शुरू किया था। इस इलाके में 2 आतंकियों के छिपे होने की सूचना है।   #PoliticalDebate #SeriousAccusations #IndiaNews #NationalSecurity #PoliticalControversy #KashmirPolitics #PublicOutrage

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Hindus party meeting

Hindu को जातियों में बांटकर कमजोर करने का कहीं षड्यंत्र तो नहीं चल रहा है भारत में?

देश में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली राजनीतिक पार्टियों के मन में कहीं न कहीं इस बात का डर बना रहता है कि कहीं देश के सौ करोड़ हिंदू (Hindu) अगर एकजुट हो गए, तो उनका बंटाधार तय है। कारण यही जो कुछेक को छोड़कर देश की सभी पार्टियां यह कतई नहीं चाहती कि हिंदू एक हों। इसलिए वे हिंदुओं (Hindus) को कभी ऊँची जात तो कभी नीची जात में उलझाए रखती हैं। वोटों के ध्रुवीकरण के लिए जातियों में बाँटने का यह षड्यंत्र आज से नहीं बल्कि वर्षों से चला आ रहा है। और यह खेल आगे भी चलता रहेगा। क्योंकि हिंदू समाज जबतक सोया रहेगा तबतक इस खेल में खलल नहीं पड़ने वाला। अच्छी बात यह कि सोशल मीडिया के इस दौर में कोई भी षड्यंत्र या बात ज्यादा देर तक छुपाई नहीं जा सकती है। ऐसी ही एक साजिश सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के रूप में धड़ल्ले से वायरल हो रही है।  क्या वायरल पोस्ट में दिख रहा शख्स है राहुल का मुख्य सलाहकार? वायरल हो रही इस पोस्ट में रायबरेली संसद राहुल गांधी को कुछ लोगों के साथ देखा जा सकता है। पोस्ट के मुताबिक तस्वीर में एक शख्स के बेल्जियम नागरिक होने का दावा किया जा रहा है। जिसका नाम जीन ड्रेजी है। पोस्ट के मुताबिक इसने एक भारतीय महिला बेला भाटिया से शादी कर भारत की नागरिकता ले ली है। उसने न सिर्फ भारत की नागरिकता ले ली है बल्कि वह राहुल गांधी का मुख्य सलाहकार भी बन बैठा है। इसके अलावा दावा तो यह भी किया जा रहा है कि वो जॉर्ज सोरेस के संगठन ओपन सोर्स सोसायटी का एशिया हेड भी है। इस तस्वीर को देखने के बाद अंदेशा तो यह भी लगाया जा रहा है कि वर्तमान में राहुल गांधी हिंदुओं (Hindus) को जातियों में बांटकर जो जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं, दरअसल यह उसी बेल्जियन नागरिक के दिमाग की उपज है।  Hindu समाज के टूटे बिना सत्ता पाना नहीं है आसान  राजनीतिक महकमें में दबी जुबान में कहा तो यह भी जा रहा है कि इसी ने रायबरेली के सांसद को यह ज्ञान दिया है कि तुम्हारी पार्टी भारत में तबतक नहीं जीत सकेगी जबतक हिंदू समाज एकजुट है। संगठित हिंदुओं की वजह से मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टियां कभी चुनाव नहीं जीत सकेंगी। यदि दिल्ली पर राज करना है तो हिंदुओं (Hindus) को जातियों में बांटना ही होगा। अकेले मुस्लिम तुष्टिकरण के सहारे दिल्ली की सत्ता नहीं पाई जा सकती है। इसलिए हिंदुओं के बीच जितनी हो सके उतनी नफरत पैदा करो। वो यह समझ चुका है कि हिंदू (Hindu) समाज के बीच फुट ही जीतने का सबसे बड़ा मंत्र है।  एक और पाकिस्तान नहीं बनने देना है खैर, ऐसा नहीं है कि देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है। साल 2011 में सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना करवाई गई थी लेकिन जाति से जुड़े आंकड़ों को सार्वजानिक नहीं किया गया था। यही नहीं, साल 2015 में कर्नाटक में जातिगत जनगणना करवाई तो गई लेकिन उसके आंकड़े गुप्त ही रखे गए। सरकारी आंकड़ों की माने तो भारत में साल 1931 में हुई पहली जनगणना में देश में कुल जातियों की संख्या 4,147 थी। तो वहीं साल 2011 में हुई जाति जनगणना के बाद देश में जातियों की संख्या 46 लाख से भी ज़्यादा थी निकली। कहने का तातपर्य यह कि हिंदुओं को 46 लाख से भी अधिक टुकड़ों में बांटने की साजिश चल रही है। ऐसे में हिंदू समाज को स्वयं फैसला करना होगा कि उसे टुकड़ों रहकर बंटना है या फिर एकजुट होकर देश को अटूट रखना है। क्योंकि हिंदुओं (Hindus) के बंटने का सीधा सा अर्थ है, एक और बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान का निर्माण होना। देश में एक और पापिस्तान न बने इस लिए देश में सोने का नाटक कर रहे हिंदुओं को जागना होगा। #Hindus #Politics #RahulGandhi #Tweet #SocialMedia

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SC-ST

बाबासाहेब के संविधान के अनुसार ही रहेगा SC-ST आरक्षण, क्रीमी लेयर पर केंद्र का सुप्रीम कोर्ट को दो टूक जवाब

SC-ST कोटे में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शुरू हुई राजनीति पर केंद्र सरकार ने बड़ा बयान दिया है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट के बैठक में इसकी चर्चा की गई। जिसकी जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस बैठक में कैबिनेट ने एकमत से फैसला लिया है कि एनडीए सरकार संविधान के सभी प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध और संकल्पबद्ध है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान में SC-ST कोटे के लिए क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है। इसलिए संविधान के अनुसार ही SC-ST के आरक्षण की व्यवस्था लागू रहेगी।  बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पिछले दिनों SC-ST रिजर्वेशन में सब कैटेगरी करने पर आदेश दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि सरकार इस रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर का विकल्प भी तलाशे। यह फैसला आने के बाद सत्‍ता पक्ष के ही कई नेताओं ने नाराज होकर अपनी असहमति जताई थी। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान सहित कई अन्‍य नेताओं ने इसका विरोध किया था। जिसके बाद से ही केंद्र सरकार इस मामले में बेहद सतर्क रूप से आगे बढ़ रही थी।  सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए सुनाया था फैसला  सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अगुआई में यह परीक्षण कर रही थी कि क्या पिछड़ी जाति ऐक्ट 2006 व पंजाब अनुसूचित जाति के तहत मजहाबी सिख और वाल्मीकि को रिजर्वेशन कोटे के तहत सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दी जा सकती है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्‍य सरकारें SC-ST कोटे में उप वर्ग बनाकर रिजर्वेशन दे सकती है। कोर्ट का यह आदेश आते ही SC-ST संगठनों ने सरकार के पास अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई थी। प्रधानमंत्री ने सांसदों को दिया था आश्वासन  इस मामले में बीजेपी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पीएम मोदी से मुलाकात कर अपनी चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया था। पीएम मोदी ने भी इस मुलाकात की जानकारी अपने X अकाउंट पर देते हुए कहा था कि, SC/ST समुदायों के कल्याण और सशक्तीकरण के लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। वहीं इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल राज्यसभा सदस्य सिकंदर कुमार ने कहा, हमने प्रधानमंत्री के सामने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर चिंता व्‍यक्‍त की थी। प्रधानमंत्री ने हम सभी को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं होने देगी।  #CreamyLayer #SocialJustice #ReservationPolicy #IndiaConstitution #EqualRights #CenterResponse #AffirmativeAction

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Maharashtra

एमपी के इस ‘प्लान’ से महाराष्ट्र की महिलाओं को रिझाने में जुटी महायुति गठबंधन की सरकार 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों (Maharashtra assembly election) को लेकर सियासी पार्टियां इस समय अपनी राजनीतिक रोटियां सेट करने में जुटी हैं। पक्ष और विपक्ष दोनों ही ऐसी राजनीतिक रणनीति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे चुनाव में जीत सुनिश्चित हो सके। इसी कड़ी में भाजपा और शिवसेना की महायुति गठबंधन ने महाराष्‍ट्र की महिलाओं (women of maharashtra) को अपने पाले में लाने के लिए एक खास योजना लॉन्‍च की है। महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने मध्य प्रदेश की उस योजना को महाराष्ट्र में शुरू कर दिया है, जिसने भाजपा को मध्य प्रदेश में भारी मतों से जीत दिलाई थी।  मध्य प्रदेश की इस योजना को महाराष्‍ट्र में अपनाया गया है दरअसल, महायुति सरकार ने विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly election) में महिलाओं को लुभाने के लिए मध्य प्रदेश की लाडली बहन योजना को महाराष्‍ट्र में अपनाया है। महायुति सरकार ने यहां भी महिलाओं को हर माह 1500 रुपये देने का वादा किया है। सत्‍ता पक्ष के नेता जहां इस योजना को गेम चेंजर बता रहे हैं, वहीं उद्धव ठाकरे ने इस योजना को आड़े हाथों लेते हुए महायुति सरकार को घेरा है। उद्धव ने कहा कि महायुति सरकार जिस लाडली बहन योजना के माध्यम से महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा कर रही है, वह धोखा के अलावा कुछ नहीं है। इस सरकार के पास जब जनता को देने के लिए कुछ नहीं बचा तो, वह धोखा देने में जुट गई।   चुनावी अखाड़े में बन सकता है प्रमुख मुद्दा महाराष्ट्र की महिलाएं (women of maharashtra) इस योजना को कितना पसंद करती है यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन विपक्ष ने जिस तरीके से इस योजना को बेकार बताते हुए हमला बोला है उससे साफ पता चलता है कि यह चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनने जा रहा है। सियासी पंडित तो अभी से कहने लगे हैं कि मध्य प्रदेश की यह योजना महाराष्‍ट्र में भी गेम चेंजर बन सकती है।  विपक्षी दल भी महिलाओं को रिझाने की कर रहे हैं तैयारी कहा तो यह भी जा रहा है कि इस योजना को काउंटर करने के लिए अब विपक्षी दल भी महाराष्ट्र की महिलाओं (women of maharashtra) के लिए योजना लाने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि, इस चुनाव में हमारा खास फोकस महिलाओं और युवाओं पर रहने वाला है। उद्धव ठाकरे ने भी अपने दिल्‍ली दौरे के दौरान INDIA गठबंधन से जुड़े नेताओं के साथ इसी तरह की योजना बनाने पर चर्चा की है, जल्‍द ही बड़ी घोषणा हो सकती है।  #MaharashtraPolitics #LadliBehanYojana #PoliticalCampaign #UddhavThackeray #MadhyaPradeshScheme

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PM Awas Yojana

PM Awas Yojana के तहत मोदी सरकार का बड़ा तोहफा, बनेंगे 3 करोड़ नए घर

क्या आपने सोचा था कि आने वाले कुछ सालों में भारत में 3 करोड़ नए घर बन जाएंगे? जी हां, यह जा रहा है होने सच! पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) के नए अवतार में यह बड़ा बदलाव आने वाला है। आइए जानते हैं इस योजना के बारे में सब कुछ। तो आपको बता दें कि 9 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट मीटिंग में एक बड़ा फैसला लिया गया। इस फैसले के मुताबिक, पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत अगले 5 साल यानी 2024 से 2029 तक देश भर में 3 करोड़ नए घर बनाए जाएंगे। इन घरों के लिए सरकार कुल 3,06,137 करोड़ रुपये खर्च करेगी। आइए देखें कि ये 3 करोड़ घर कहां-कहां बनेंगे: गांवों में बनेंगे 2 करोड़ नए घर: पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत गांवों में 2 करोड़ नए घर बनाए जाएंगे। ये घर मैदानी इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों में बनेंगे। मैदानी इलाकों में हर घर के लिए सरकार 1.20 लाख रुपये की मदद देगी। वहीं पहाड़ी इलाकों जैसे कि पूर्वोत्तर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में हर घर के लिए 1.30 लाख रुपये की मदद दी जाएगी। शहरों में बनेंगे 1 करोड़ नए घर पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) के शहरी हिस्से में अगले 5 साल में 1 करोड़ नए घर बनाए जाएंगे। इसके लिए सरकार 2.30 लाख करोड़ रुपये की मदद देगी। यह पैसा नए घर बनाने, खरीदने और किराये पर लेने के लिए दिया जाएगा। पैसों का बंटवारा  इस पूरी योजना के लिए सरकार ने 3,06,137 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है। इसमें से 2,05,856 करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी और 1,00,281 करोड़ रुपये राज्य सरकारें देंगी। 31 मार्च 2024 तक जो घर अधूरे रह जाएंगे, उन्हें भी 2024-25 में पूरा कर लिया जाएगा। फायदा किसे होगा? इस योजना से करीब 10 करोड़ लोगों को फायदा होने की उम्मीद है। यानी 10 करोड़ लोगों को अपना पक्का घर मिल जाएगा। क्या है पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana)?  यह योजना 2022 तक देश के हर नागरिक को सस्ता और पक्का घर देने के लिए शुरू की गई थी। अब इसे और 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया है। इस योजना के तहत सरकार गांव और शहर दोनों जगह लोगों को पक्के घर दे रही है। #NewHomes #AffordableHousing #GovernmentInitiative #HousingForAll #HomeOwnership #IndiaHousing #HousingDevelopment

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Maharashtra Elections

Uddhav Thackeray को मुख्यमंत्री बनाने के मूड में नहीं है कांग्रेस-रांकपा?

महाराष्ट्र चुनाव की रणभेदी गूंजने में अभी दो से तीन महीने का समय है, लेकिन इससे पहले ही विपक्षी यानी गठबंधन महा विकास आघाड़ी (MVA) में तकरार शुरू हो गई है। वह भी आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर। शिवसेना (यूबीटी) चाहती है कि यह विधानसभा का चुनाव उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के चेहरे पर लड़ा जाए। जबकि कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने पहले ही साफ कर दिया है कि चुनाव में कोई भी मुख्‍यमंत्री पद का चेहरा नहीं होगा। चुनाव बाद जिस पार्टी की सीटें ज्यादा आएंगी, मुख्यमंत्री भी उसका बनेगा।  Uddhav Thackeray ने दिल्ली में की थी केंद्रीय नेताओं से बातचीत  बता दें कि, महाराष्‍ट्र चुनाव में राजनीतिक समीकरण बिठाने के लिए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) दिल्‍ली गए थे। वहां पर उन्‍होंने कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर सीट बंटवारा के साथ अन्‍य राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। माना जा रहा है कि इस दौरान उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर भी कांग्रेस से समर्थन मांगा। हालांकि अभी तक कांग्रेस के किसी भी वरिष्‍ठ नेता ने इस संबंध में कुछ भी बयान नहीं दिया है, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ता उद्धव ठाकरे को भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित करना शुरू कर चुके हैं।  कांग्रेस को मिल सकती हैं सबसे ज्यादा सीटें मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और राकांपा (शपा) प्रमुख शरद पवार से मुलाकात के दौरान सीट बंटवारे पर प्रारंभिक चर्चा हो गई है। जिसमें तय हुआ है कि विधानसभा में कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शपा) को सीटें मिलेंगी। यह फॉर्मूला हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में मिली जीत के आधार पर तय किया जा रहा है।  मुख्यमंत्री पद गठबंधन में रार  लेकिन महा विकास आघाड़ी गठबंधन में सबसे ज्‍यादा रार मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर है। शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए बिना चेहरा घोषित किए चुनाव लड़ना घातक हो सकता है। जिस तरह 2019 में महाविकास आघाड़ी ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना और ढाई साल सरकार चलाई उसी तरह अब विधानसभा चुनाव में भी उन्‍हें नेतृत्व सौंपा जाए। लेकिन कांग्रेस और रांकपा संजय राउत के इस तर्क से सहमत नहीं है। दोनों पार्टियों का मानना है कि चुनाव के बाद मुख्‍यमंत्री का फैसला किया जाएगा।  #UddhavThackeray #Maharashtra #Thackeray #Politics #Congress #Elections

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Maharashtra assembly election

Maharashtra assembly election में जीत के लिए भाजपा करेगी यह खास प्रयोग

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly election) इसी साल अक्‍टूबर माह में होने की संभावना है, लेकिन राज्‍य के सियासत में अभी से हलचल मची हुई है। चुनावी रणनीति हो या फिर टिकटों का बंटवारा, सभी पार्टियां अपना जोड़तोड़ लगाने में जुटी हैं। जिसकी वजह से वरिष्‍ठ नेता अब महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक खूब दौड़ लगा रहे हैं। इस समय जहां शिवसेना चीफ (यूबीटी) उद्धव ठाकरे दिल्‍ली में एमवीए गठबंधन के नेताओं से मिल सीट बंटवारे पर चर्चा कर रहे हैं तो वहीं महायुति गठबंधन भी उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार करने में जुटा है। इस बीच भाजपा (BJP) के उम्मीदवारों की लिस्ट को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है।  BJP तैयार कर रही है अपने उम्मीदवारों की लिस्‍ट  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भाजपा (BJP) इस समय अपने उम्मीदवारों की लिस्‍ट तैयार कर रही है, जिसे अगले सप्‍ताह तक दिल्‍ली भेजा जा सकता है। कहा जा रहा है कि भाजपा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly election) की तारीखों के ऐलान से पहले ही अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर लीड लेना चाहती है। भाजपा सूत्रों के अनुसार, पहली सूची में 30 से 40 उम्‍मीदवारों के नाम की घोषणा हो सकती है। इस सूची में सिर्फ उन सीट पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होगी, जिन सीटों पर पिछले चुनाव में भाजपा को बहुत कम मार्जिन से हार और जीत का सामना करना पड़ा था।  सफल रहा है भाजपा का यह प्रयोग  दरअसल, यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा (BJP) इस तरह का प्रयोग करने जा रही है। पार्टी ने इससे पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पिछले साल हुए चुनाव के समय भी अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा कर विपक्षी पार्टियों पर बढ़त बना ली थी। इसका नतीजा चुनाव परिणामों में भी देखने को मिला। इन तीनों राज्‍यों में भाजपा ने मजबूती के साथ सरकार बनाई। इसीलिए, भाजपा महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly election) में भी अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा पहले कर बढ़त बनाना चाहती है।  पिछले चुनाव में एनडीए को मिला था स्पष्ट बहुमत  बता दें कि, महाराष्ट्र के पिछले विधानसभा चुनाव में जनता ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत दिया था, लेकिन चुनाव बाद शिवसेना एनडीए से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिल सरकार बना ली। हालांकि ये सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चल पाई और साल 2022 में एकनाथ शिंदे ने सरकार गिराने के साथ शिवसेना को भी तोड़ दिया था। 

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