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Waqf Amendment Bill

Waqf Amendment Bill पर चर्चा के समय उद्धव के सांसद रहे नदारद

केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) संसद में पेश कर दिया गया है। इस बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा मचाते हुए इसे वापस लेने को कहा, लेकिन इस सबके बीच इंडिया गठबंधन में शामिल शिवसेना (यूबीटी) के सांसद सदन से गायब रहे, जो अब राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है। शिवसेना (यूबीटी) के सांसदों के गायब रहने पर शिंदे गुट के सांसद मिलिंद देवड़ा ने भी शिवसेना चीफ (यूबीटी) उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है। देवड़ा ने कहा कि उद्धव ठाकरे का पाखंड देश के सामने तब उजागर हो गया जब उनके सांसद वक्फ बोर्ड विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर चर्चा के दौरान संसद से गायब हो गए।  सांसद मिलिंद देवड़ा ने लगाया दोगलापन का आरोप  मिलिंद देवड़ा ने इस मामले में ट्वीट कर कहा, “आज संसद में उद्धव ठाकरे जी की उबाठा के नुमाइंदों का असली चेहरा और उनका दोगलापन बेनकाब हो गया जब वक्‍फ बोर्ड बिल पर चर्चा के दौरान सभी उबाठा के नुमाइंदे गैरहाजिर थे। मुसलमानों ने आपको वोट दिया, लेकिन बदले में खामोशी क्यों? इस सवाल का जवाब मुसलमान उबाठा के सांसदों से जरूर मांगेंगे।” देवड़ा ने आरोप लगाया कि चुनाव में महाराष्‍ट्र के मुसलमानों ने उद्धव ठाकरे की पार्टी को खूब वोट दिया, लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ चुप्पी मिली है। श्रीकांत शिंदे की मांग- वक्फ बोर्ड की जमीन पर बने स्कूल-अस्पताल  वहीं दूसरी तरफ शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) के समर्थन में कहा कि वक्फ बिल हकीकत में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए लाया गया है। विपक्ष इसलिए बिल के खिलाफ है, क्योंकि वे लोग नहीं चाहते कि मुस्लिम महिलाओं को बराबर की प्रतिनिधित्व मिले। यह विधेयक लागू होने के बाद वक्‍फ बोर्ड में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करेगा। शिंदे ने कहा कि वक्फ बोर्ड के पास हजारों एकड़ जमीन मौजूद है। इन जमीनों पर वक्फ बोर्ड अस्पताल और स्कूल बनवाकर अल्पसंख्यक समुदाय का भला क्यों नहीं करता? बिल पास होने के बाद सरकार इन जमीनों पर केंद्र सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए स्कूल-अस्पताल बनवाएगी।  संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज गया संशोधन बिल बता दें कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया। बिल का विपक्ष ने भारी विरोध किया, जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। किरेन रिजिजू ने लोकसभा को बताया कि वक्फ एक्‍ट पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन बिल लाया गया है। इससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा।  #WaqfAmendmentBill #UddhavThackeray #IndianPolitics #ParliamentDiscussion #MPSAbsent

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Rahul Gandhi

Rahul Gandhi समेत इन सात लोगों को पड़ोसी मुल्क की एम्बेसी से आया एक ख़ास तोहफा

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर बड़ा हमला बोला है। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों के 7 सांसदों को पाकिस्तानी दूतावास से आम भेजा गया है। यह दिखाता है कि विपक्ष का पाक से नापाक रिश्‍ता आज भी कायम है। भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने इस मामले में राहुल गांधी को कटघरे में खड़ा करते हुए कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।  पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्‍ठ भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर निशाना साधते हुए कहा कि “मैं एक बात मीडिया के माध्यम से पूरे देश को बताना चाहता हूं कि इन्‍हीं राहुल गांधी ने बीते दिनों कहा था कि उन्हें उत्तर प्रदेश के आमों का स्‍वाद पसंद नहीं है। अब पाकिस्तान की एंबेसी ने उन्हें आम भेजा है। इसीलिए राहुल गांधी अब पूरे देश को बताएं कि उन्‍हें पाकिस्तान के आम के साथ वहां की और कौन-कौन सी चीजें अच्छी लगती हैं। क्या राहुल गांधी अपने देश के प्रधानमंत्री को हटाने के लिए पाकिस्‍तान के साथ मिलकर कोई साजिश रच रहे हैं? पाकिस्तान से इनके नापाक रिश्ते अब जग जाहिर है।” क्या है पूरा मामला? बता दें कि, भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर दावा किया था कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के अलावा कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मोहिब्बुल्लाह नदवी, जिया उर रहमान बर्ग, अफजाल अंसारी और इकरा हसन को पाकिस्तानी उच्चायोग ने आम भेजे हैं। अमित मालवीय ने यह जानकारी देते हुए सवाल किया था कि कुछ खास लोगों को आम कौन भेजता है, इससे भी पहचाना जा सकता है। भाजपा नेता ने राहुल को भेजा लंगड़ा और चौसा आम  आम पर विवाद शुरू होने के बाद यूपी के भाजपा नेता अंकुश त्रिपाठी ने भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लंगड़ा और चौसा आम भेज दिया। सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए अंकुश त्रिपाठी ने लिखा- ” राहुल गांधी जी को बनारस का लंगड़ा और उत्तर प्रदेश का चौसा आम भेज रहा हूं। उम्मीद है ये आम उन्‍हें पसंद आएंगे। वैसे आपका पाकिस्तान के साथ प्रेम जगज़ाहिर है, फिर भी मुझे उम्‍मीद है कि हिन्‍दुस्‍तानी आम खाने से आपके भीतर थोड़ा सा देश प्रेम जागृत हो जाएगा।” #IndiaPolitics #GirirajSingh #CongressVsBJP #UPPolitics #AamAndPolitics

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Jammu-Kashmir Election

Jammu-Kashmir Election : जम्मू-कश्मीर समेत इन राज्यों में जल्द हो सकती है चुनावी तारीखों की घोषणा

धारा 370 हटने के बाद सभी के मन में लंबे समय से एक ही सवाल कौंध रहा है कि आखिर कब तक जम्मू-कश्मीर में विधान सभा के चुनाव (Jammu-Kashmir Election) होंगे? हालांकि अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन चुनाव आयोग की सक्रियता को देख इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही Jammu-Kashmir में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जा सकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय निर्वाचन आयोग (election commission of india) का एक दल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तैयारी की समीक्षा करने के उद्देश्य से राज्य के दौरे पर है।  मुख्य निर्वाचन आयुक्त स्वयं होंगे दौरे पर  महत्वपूर्ण बात यह कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार स्वयं अपने दल के साथ जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के दौरे पर हैं। खबर के अनुसार राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया लेने के उद्देश्य से यह दल शेर ए कश्मीर अंततराष्ट्रीय सभागार में सभी राजनीतिक दलों से चर्चा करेगा। निर्वाचन आयोग के सदस्यों की तीन दिवसीय यात्रा 10 अगस्त को जम्मू में समाप्त होगी और इसके बाद वो परवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर समीक्षा करेंगे।  बैठक में सभी दलों को दिया गया है आमंत्रण  9 अगस्त के दिन होने वाली इस बैठक में चुनाव आयोग ने भाजपा समेत नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कांग्रेस पार्टी सहित अन्य छोटी बड़ी और स्थानीय पार्टी के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है। सभी दलों से चर्चा कर चुनावी तैयारियों की समीक्षा की जाएंगी।  सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक का दिया गया था समय जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक का समय दिया था। जिसके चलते भारतीय चुनाव आयोग (election commission of india) समय से सीमा से पहले विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा कर रहा है। कहीं न कहीं इस दौरे को जम्मू-कश्मीर में आगामी चुनावों को निर्धारित करने की दिशा में एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।  महाराष्ट्र और हरियाणा का भी करेंगे दौरा   खबर तो यह भी है कि जम्मू कश्मीर के दौरे के बाद चुनाव आयोग 12 अगस्त को महाराष्ट्र और 13 अगस्त को हरियाणा का भी दौरा कर सकता है। चूँकि नवंबर महीने में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसके साथ ही झारखंड विधानसभा का कार्यकाल भी जनवरी के महीने में खत्म हो रहा है। सो, जल्द ही इन राज्यों में भी चुनावी तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग कर सकता है। \ #Jammu-Kashmir #Jammu #Kashmir #Election #Jammu-KashmirElection 

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Ajit Pawar

CM पद मिलता तो पूरी NCP अपने साथ ले आता: अजित पवार

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार (Ajit Pawar) का एक बयान राज्‍य की राजनीति गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। अजित ने यह कहकर राजनीतिक सनसनी मचा दी है कि अगर भाजपा और शिवसेना उन्हें सीएम पद देते तो मैं अपने साथ पूरी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)  को साथ लेकर आता। अजित जब यह बयान दे रहे थे, तब वहां पर सीएम एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे।  यह मौका था सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की जीवनी ‘योद्धा कर्मयोगी-एकनाथ संभाजी शिंदे’ बुक लॉन्‍च का। अजित ने इसी कार्यक्रम में चुटकी लेते हुए कहा कि, “मैंने भाजपा के कुछ लोगों से मजाक में कहा था कि आप लोगों ने एकनाथ शिंदे से कहा था कि वे इतने विधायक साथ लाएं और मुख्यमंत्री पद पाएं, तब आपको मुझसे भी पूछना चाहिए था। मैं आपके लिए पूरी एनसीपी पार्टी को साथ लेकर आता।” इस दौरान अजित पवार (Ajit Pawar) ने मजाक करते हुए कहा कि वो राजनीति में सीएम शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से सीनियर हैं।  अजित पवार कई बार जता चुके मुख्यमंत्री बनने की इच्‍छा बता दें कि अजित पवार (Ajit Pawar) ने 2023 में एनसीपी के संस्‍थापक अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर 40 विधायकों के साथ भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हो गए थे, जिसके बाद उन्‍हें उप मुख्‍यमंत्री बनाया गया। इसके बाद से अजित पवार कई बार मुख्यमंत्री बनने की इच्‍छा जाहिर कर चुके हैं। इस बार भी अजित पवार ने कहा कि “फडणवीस साल 1999 में और शिंदे  2004 में पहली बार विधायक बने थे, जबकि मैं 1990 में ही विधायक बन गया था। इसलिए राजनीति में मैं इन दोनों का सीनियर हूं, लेकिन यह दोनों आगे बढ़ गए और मैं इनसे पीछे रह गया।” दरअसल, फडणवीस साल 2014 से 2019 तक और 2019 में 72 घंटे के लिए दो बार मुख्‍यमंत्री बन चुके हैं और शिंदे अभी मुख्‍यमंत्री हैं। वहीं अजित पवार अभी तक मुख्‍यमंत्री नहीं बन पाए हैं।  महाराष्ट्र की राजनीति में बीते 2 साल में हुए 2 बड़े बदलाव साल 2022 में शिंदे ने शिवसेना को तोड़ा और शिवसेना के 39 विधायकों को साथ लेकर भाजपा से हाथ मिला लिया। जिसके कारण ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई और शिंदे मुख्यमंत्री बन गए। वहीं जुलाई 2023 में अजित पवार 40 विधायकों को साथ लेकर शिंदे सरकार में शामिल हो गए और गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम बन गए।  #ShindeFadnavis #PoliticalDrama #MaharashtraNews #BJPShivSena #PoliticalAmbition

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Waqf Board

Waqf Board: जानिए वक्फ बोर्ड और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

इन दिनों वक्फ (Waqf) से जुड़ी कई सारी जानकारियां पढ़ने या सुनने को मिल रही हैं। इसलिए आज इस आर्टिकल में वक्फ, इसके इतिहास और इससे जुड़े विवादों समेत कई महत्वपूर्ण जानकारियों को समझेंगे।  वक्फ क्या है? वक्फ का मतलब एक इस्लामी संस्था है, जिसमें मुसलमानों द्वारा अपने धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संपत्ति का अनुदान किया जाता है। यह संपत्ति वक्फ बोर्ड (Waqf Board) के नियंत्रण में आती है, जो इसे विभिन्न उपयोगों के लिए प्रबंधित करता है, जैसे कि मस्जिदों, मदरसों, और गरीबों की सहायता करना। वक्फ बोर्ड का इतिहास वक्फ की प्रथा इस्लामिक इतिहास में बहुत पुरानी है। इसका प्रारंभिक उल्लेख पैगंबर मुहम्मद के समय से मिलता है। भारत में, वक्फ की प्रथा मुस्लिम शासकों के समय से प्रचलित है, और अंग्रेजों के समय में भी इसे कानूनी मान्यता दी गई। वर्तमान स्थिति वर्तमान में, वक्फ बोर्ड  (Waqf Board) के तहत लाखों संपत्तियां हैं, जिनका मूल्य करोड़ों रुपये में है। इन संपत्तियों का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और इसे लेकर विभिन्न विवाद भी होते रहते हैं। संशोधन विधेयक सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत करने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना है। इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके उचित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए नए प्रावधान शामिल हैं। विवाद और मुद्दे वक्फ संपत्तियों को लेकर कई विवाद हैं, जिनमें अतिक्रमण, भ्रष्टाचार और प्रबंधन की समस्याएं शामिल हैं। वक्फ बोर्ड पर अक्सर यह आरोप लगता है कि वे अपनी संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन नहीं कर रहे हैं। वक्फ संपत्तियों का महत्व वक्फ संपत्तियां मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करती हैं। इन संपत्तियों का सही प्रबंधन समुदाय के विकास के लिए आवश्यक है। संभावित प्रभाव वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार की संभावना है। इससे न केवल संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि उनके सही उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा। भविष्य की दिशा वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार के लिए आवश्यक है कि सरकार और वक्फ बोर्ड मिलकर काम करें। इसके साथ ही, समुदाय के सदस्यों को भी जागरूक होना होगा और संपत्तियों की सुरक्षा और उपयोग में सहयोग करना होगा। वक्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए सरकार को नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए और आवश्यक सुधार करने चाहिए। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड  (Waqf Board) के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभा सकें। #Waqfboard #Waqf #Waqfact #Act #Modigovernment #Waqfboardhistory

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Uddhav Thackeray

Uddhav Thackeray ने कर दी महाराष्ट्र में 100 से अधिक सीटों की मांग, क्या बन पायेगी बात?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच मंथन शुरू हो गया है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और आदित्य ठाकरे ने इस सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है। इस बैठक में दोनों पक्षों के बीच सीट बंटवारे (seat sharing deal in maharashtra) पर चर्चा की गई। कहा जा रहा है कि बैठक में शिवसेना (यूबीटी) ने 100 से 110 विधानसभा सीटों की मांग की है।  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आगामी विधानसभा चुनावों के लिए महाविकास अघाड़ी और इंडिया गठबंधन के बीच सीट बंटवारे (seat sharing deal in maharashtra) का काम शुरू हो गया है। दावा किया जा रहा है कि इसी महीने आपसी सहमति से सीट बंटवारे का काम पूरा कर साझा घोषणापत्र तैयार कर लिया जाएगा। शिवसेना (यूबीटी) ने गठबंधन से 100 से 110 सीटों की मांग की है। उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के पार्टी का दावा है कि इन सीटों पर वह मजबूत स्थिति में है और आसानी से जीत सकती है। हालांकि उद्धव ठाकरे को इतनी सीटें मिलने की संभावना कम ही नजर आ रही है।  INDI अलायंस की बैठक जल्‍द   दिल्‍ली में हुई बैठक में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray), मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और आदित्य ठाकरे के अलावा सांसद संजय राउत और कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बैठक में उद्धव ठाकरे ने मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को जल्‍द से जल्‍द इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाने का सुझाव दिया। जिससे सीट बंटवारे में अंतिम फैसला लेकर चुनावी रणनीति को तैयार किया जा सके। बता दें कि बीते दिनों शरद पवार ने महाराष्ट्र के सीएम शिंदे से उनके वर्षा बंगले पर मुलाकात की थी, जिसके बाद से ही महाराष्‍ट्र की राजनीति गरम है। हालांकि विपक्ष एकजुटता का दावा कर रहा है।  सत्ता लोभ में कांग्रेस के सामने नतमस्‍तक हुए उद्धव- संजय निरूपम उद्धव ठाकरे का कांग्रेसी नेताओं के साथ इस मुलाकात पर शिवसेना शिंदे के नेता संजय निरुपम ने हमला बोला है। संजय ने कहा कि Uddhav Thackeray सत्ता लोभ में कांग्रेस नेताओं के सामने नतमस्‍तक हो चुके हैं। उनकी दिल्ली यात्रा इस लाचारी को दिखाती है। उद्धव ठाकरे खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में दिखाना चाहते हैं, लेकिन शरद पवार इस बार इनका समर्थन नहीं करेंगे। इसलिए अब उद्धव दूसरी छोटी पार्टियों को भी गठबंधन में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।  #UddhavThackeray #INDI #MaharashtraPolitice #ShareSeat

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Buddhadeb Bhattacharjee

11 वर्षों तक सीएम रहे बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री Buddhadeb Bhattacharjee का हुआ निधन

लंबी बीमारी के बाद वेस्ट बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री (ex cm of west bengal) और सीपीएम के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य (Buddhadeb Bhattacharjee) का निधन हो गया। वे 80 साल के थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सुबह उनका निधन कोलकाता स्थित बालीगंज के उनके पाम एवेन्यू निवास स्थान पर हुआ। बेटे सुचेतन भट्टाचार्य ने उनके मौत की पुष्टि की। बुद्धदेव सीपीएम के वरिष्ठ नेता थे और लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए थे। उनके निधन की खबर से राजनीतिक जगत में शोक की लहर छा गई है।  Buddhadeb Bhattacharjee को पिछले साल भी हुए थे बीमार  पिछले साल जुलाई में निमोनिया के चपेट में आने की वजह से बुद्धदेव भट्टाचार्य (Buddhadeb Bhattacharjee) को अस्पताल में भारतीय कराया गया था। हालांकि ठीक होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन फिर भी उनकी सेहत थी कि निरंतर गिरती ही जा रही थी। निमोनिया के इलाज के दौरन वो अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे। कलकत्ता के एक प्राइवेट अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उन्हें सांस लेने दिक्कत आ रही थी।  साल 2000 से 2011 तक रहे मुख्यमंत्री  Buddhadeb Bhattacharjee साल 2000 से 2011 तक लगातार 11 वर्षों तक बंगाल के मुख्यमंत्री पद पर रहे थे। गौरतलब है कि वो वाम मोर्च सरकार के दूसरे और अंतिम मुख्यमंत्री थे। उनका जन्म 1 मार्च 1944 को कोलकाता में हुआ था। वे सीपीएम के कद्दावर नेताओं से एक थे। बढ़ती उम्र और बीमारी के चलते पिछले कई वर्षों से उन्होंने सक्रीय राजनीति और सार्वजानिक कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी।  #BuddhadebBhattacharjee #WestBengalCM #PoliticalLeader #IndianPolitics #FormerCM

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waqf board

Maharashtra government का बड़ा ऐलान, waqf board की जमीन पर बनेगा अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम

साल 1995 में बनें waqf board को नियंत्रित करने वाले कानून को केंद्र की मोदी सरकार संशोधित करने जा रही है। इसके लिए सरकार इसी महीने संसद में एक विधेयक लाने जा रही है। केंद्र सरकार यह संसोधन waqf board के कामकाज में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ला रही है, जिससे waqf board के नजायज अतिक्रमण से नागरिक बच सकें। साथ ही बोर्ड में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी। इस बीच राज्‍य सरकार ने वक्फ बोर्ड के स्वामित्व वाले मुंबई के छत्रपति संभाजीनगर मैदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर का फुटबॉल स्टेडियम बनाने की योजना भी तैयार कर ली है।  हालांकि संसद में इस बिल के पेश होने से पहले ही विपक्षी नेताओं ने इसके विरोध में आवाजें उठानी शुरू कर दी हैं। बीते दिनों विपक्ष के कई वरिष्‍ठ नेताओं ने इस कानून का बचाव करते हुए आरोप लगाया था कि भाजपा की केंद्र सरकार समाज में विभाजन करने के लिए अब वक्फ अधिनियम में संशोधन करने का विधेयक ला रही है। वहीं भाजपा सरकार का दावा है कि उन्होंने ये बिल संसोधन लाने से पहले कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार की है।  छत्रपति संभाजीनगर का मैदान बनेगा अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महाराष्‍ट्र की सरकार ने छत्रपति संभाजीनगर में स्थित waqf board के स्वामित्व वाले मैदान को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम (International football stadium) बनाने की योजना तैयार की है। खेल विभाग के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि संरक्षक मंत्री अब्दुल सत्तार की अध्यक्षता और खेल मंत्री संजय बनसोडे की मौजूदगी में आयोजित एक बैठक में फैसला लिया गया है कि संभाजीनगर में मौजूद इस आमखास मैदान को अब अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल स्टेडियम बनाया जाएगा। इस संबंध में संरक्षक मंत्री सत्तार ने जिला कलेक्टर को निर्देश दिया है कि इस मैदान को फुटबॉल स्टेडियम में बदलने का प्रस्ताव तत्‍काल खेल विभाग को सौंपा जाए। गौरतलब हो कि यह मैदान अभी waqf board के स्वामित्व में आता है। देशभर में 8 लाख एकड़ भूमि  बता दें कि वक्‍फ एक्‍ट (waqf act) कांग्रेंस सरकार 1954 में लेकर आई थी और पहला संसोधन 1995 में और दूसरा 2013 में किया गया। वक्‍फ बोर्ड (waqf board) अगर किसी की भी संपत्ति को अपना बताती है तो उस संपत्ति का मालिक अपील करने के लिए कोर्ट में नहीं जा सकता। इसीके चलते वक्‍फ बोर्ड पर अवैध तरीके से हजारों एकड़ निजी और सरकारी संपत्ति को कब्‍जाने का आरोप है। इस समय वक्‍फ बोर्ड के पास कुछ नहीं तो तक़रीबन 8 लाख एकड़ भूमि और 8,72,292 से अधिक संपत्तियां हैं।

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Bangladesh Crisis

Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर उद्धव ठाकरे चुप क्यों?

बांग्लादेश में चल रहे सियासी संकट (Bangladesh Crisis) पर महा विकास आघाड़ी गठबंधन की चुप्‍पी पर महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता और विधायक राम कदम (Ram kadam) ने बड़ा हमला बोला है। उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि “बांग्लादेशी में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर उद्धव ठाकरे चुप क्यों चुप हैं ?, क्‍या वे हिन्‍दुओं के कत्‍लेआम पर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं?” राम कदम ने इस मौके पर संजय राउत पर भी करारा हमला बोलते हुए कहा कि “चुनाव जीतने के लिए संजय देश में दंगा देखना चाहते हैं, देश की शांति उन्हें पसंद नहीं आ रही है।”  जानें क्या कुछ कहा राम कदम ने? मीडिया से बातचीत करते हुए राम कदम ने कहा, “बांग्लादेश (Bangladesh Crisis) में जिस तरह सरेआम हिंदुओं के घर फूंके जा रहे, उनकी हत्‍या की जा रही, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, वह पूरी दुनिया देख रही है। लेकिन यह शिवसेना (यूबीटी) को नहीं दिख रहा। हम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) से पूछना चाहते हैं कि उनके मुखपत्र सामना में हर विषय पर संपादकीय लिखा जाता है, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं के कत्‍लेआम और मंदिरों को तोड़ने पर क्‍यों नहीं आया? इस विषय पर अब तक चुप क्यों हैं? क्या ठाकरे को बांग्लादेशियों का भी वोट चाहिए, क्‍या वे घुसपैठी बांग्लादेशियों के वोटों के लिए चुप हैं?”  MVA पर भी बोला हमला राम कदम (Ram kadam) ने इस मौके पर महा विकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन पर भी जमकर हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि “महाराष्‍ट्र में जब एमवीए गठबंधन का विजय जुलूस निकलता है तो उसमें पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते हैं, इसलिए इन्हें अब नकली शिवसेना कहा जाता है।” इस दौरान राम कदम ने सचिन वाजे के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि “जिस वाजे को समर्थन महा विकास आघाड़ी ने दिया था, अब वही वाजे नारको टेस्ट करने को तैयार खड़ा है। खुलेआम शरद पवार का नाम ले रहा है, ऐसे में विपक्ष की चुप्पी बताती है कि इस वसूली कांड में तीनों पार्टियों की मिली भगत थी। इन पार्टियों ने मिलकर अपने ढाई साल के कार्यकाल में राज्‍य का कोना-कोना लुटा। और कोरोना के समय खिचड़ी, कफन, टेबल फैन, सीलिंग फैन हर चीज को डबल से ज्‍यादा रेट में खरीदकर घोटाले किये गए। महाराष्‍ट्र की जनता अब इन्‍हें दोबारा लूट मचाने का मौका नहीं देगी।”

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Sushma Swaraj

Sushma Swaraj: साहस और नेतृत्व का सर्वोत्तम उदाहरण

दुनिया भले ही उन्हें सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के नाम से जानती हो लेकिन उनका असली नाम सुषमा शर्मा था। सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का जन्म 14 फरवरी, 1952 को हरियाणा के अंबाला छावनी में हुआ था। पंजाबी ब्राह्मण परिवार में पली बढ़ीं सुषमा के पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सक्रिय रूप से जुड़े थे। बचपन से ही वो एक मेधावी छात्र थीं। उन्होंने हिंदी में कई भी पुरस्कार जीते। इसके साथ संस्कृत और पोलिटिकल साइंस में उनकी गहरी पकड़ थी।  युवा अधिवक्ता से कुशल राजनीतिज्ञ तक का सफर  साल 1973 की शुरुआत में ही सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने सुप्रीम कोर्ट में बतौर अधिवक्ता काम करना शुरू कर दिया था। चूँकि राजनीति में बचपन से ही राजनीति में गहरी रुचि थी। अपनी इस रुचि के चलते वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी। और 1970 के उथल-पुथल भरे दौर में कई बड़ी भूमिकाओं को अंजाम दिया। यही नहीं, वो जॉर्ज फर्नांडिस की नागरिक सुरक्षा टीम से जुड़कर तानाशाही के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने लगीं। इसी दौरान देश में लगे आपातकाल के बाद वो भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी और कम समय में ही उन्होंने राष्ट्रिय स्तर पर अपनी पहचान बना ली।  सबसे युवा कैबिनेट मंत्री यह उनकी काबिलियत का ही कमाल था जो महज 25 की आयु में उन्हें हरियाणा सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर बना दिया गया। एक तरह से हरियाणा सरकार के इतिहास में वो सबसे कम उम्र की कैबिनेट मिनिस्टर थीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने श्रम और रोजगार, शिक्षा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी योग्यता के दम पर उन्होंने यह जता दिया कि वो न सिर्फ लोगों को प्रेरित कर सकती हैं बल्कि आवश्यक बदलाव भी दृढ़तापूर्वक कर सकती हैं।  अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान  धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। यह उनकी मेहनत और कार्य के प्रति ईमानदारी का ही कमाल था जो विदेश मंत्रालय जैसा अहम पोर्टफोलियो उन्हें सौंपा गया। विदेश मंत्रालय के कार्यभार को भी उन्होंने बखूबी निभाया और अपनी कुशल राजनितिक कूटनीति का इस्तेमाल करते हुए दुनिया के समक्ष अपनी अमिट छाप छोड़ी। यह कार्य के प्रति उनका जज्बा ही था जो साल 2015 में नेपाल में आये भूकंप के दौरान उनके किए गए अथक प्रयासों के मद्देनजर स्पेन ने उन्हें द ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ सिविल मेरिट से नवाजा था। इसके अलावा उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार प्राप्त करने वाली वो एकमात्र महिला सांसद थीं। सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) न सिर्फ एक प्रखर वक्ता थी बल्कि वरिष्ठ और कद्दावर नेता भी थीं। न सिर्फ पक्ष के बल्कि विपक्षी भी उनके भाषण के मुरीद थे।  देश ने खोया सबसे अनमोल नगीना  आखिरकार वो घड़ी आ ही गई। जी हां, 6 अगस्त 2019, इसी दिन देश सुषमा स्वराज को दिल का दौरा पड़ा था। निधन के बाद पूरे राजकीय सन्मान के साथ उनक अंतिम संस्कार किया गया। उनकी बेटी बांसुरी स्वराज में उनकी बखूबी झलक दिखती है। साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में वो संसद चुनी गईं।   सुषमा स्वराज का जीवन आज भी ताकत, नेतृत्व और अपने देश के प्रति अटूट समर्पण का एक ज्वलंत उदाहरण है।

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