Bangladesh

Crisis in Bangladesh: बांग्‍लादेश की आपदा में अवसर की तलाश में विपक्ष, सरकार को दे डाली बड़ी चेतावनी

बांग्लादेश (Bangladesh) में 15 साल से शासन कर रही शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भागना पड़ा है। सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम के विरोध में शुरू हुआ छात्र आंदोलन जब अपने चरम पर पहुंचा तो ढाका की सड़कें खून से लाल हो गई। आगजनी, हिंसा और सैकड़ों लोगों की मौत से दहल रहा बांग्‍लादेश (Bangladesh) तब शांत हुआ जब शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के साथ ही देश छोड़ दिया। शेख हसीना ने अब भारत में शरण ले रखी है। पड़ोसी देश में फैली राजनीतिक अफरा-तफरी (Crisis in Bangladesh) पर अब भारत में भी राजनीतिक बयानबाजी सामने आने लगी है। बांग्लादेश (Bangladesh) की इस आपदा में विपक्षी दलों के नेता अपने लिए भारत में अवसर की तलाश करते हुए केंद्र सरकार को नसीहत देने में जुट गए हैं। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत और कांग्रेस नेता उदित राज ने तो भारत की विदेशी नीति को विफल बताते हुए इससे भारत को सबक लेने की सीख तक दे डाली। तानाशाही करने वालों को जनता माफ नहीं करती-संजय राउत शिवसेना नेता संजय राउत ने एक प्रेसवर्ता में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि, “बांग्लादेश में भी भारत जैसी स्थिति पैदा हो गई थी, वहां पर विपक्ष की आवाज दबाई गई, चुनाव में घोटाले हुए, विरोध करने वालों को जेल में डाला गया, कई लोगों की हत्‍या हुई, संसद में अवैध कानून पारित हुए, लोगों पर महंगाई थोपी गई। शेख हसीना ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों की आड़ में बांग्‍लादेश को तानाशाही तरीके से चलाया, जिसके कारण वो प्रधामंत्री के रूप में विफल रहीं। बांग्लादेश की इस घटना से भारत के शासकों को भी सबक लेना चाहिए। क्‍योंकि लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही करने वालों को जनता माफ नहीं करती है।” मोदी सरकार की विदेश नीति रही विफल-उदित राज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने भी बांग्लादेश के संकट पर भाजपा को घेरने की कोशिश की। उदित राज ने कहा, “ये मामला सिर्फ बांग्लादेश का नहीं, बल्कि अब पूरे विश्व का मामला बन चुका है। भाजपा के नेता कह रहे हैं कि बांग्‍लादेश में हिंदू असुरक्षित है। इस घटना के पीछे आईएसआई और चीन का हाथ है। भाजपा के नेता जो कह रहे हैं, अगर उसमें जरा भी सच्‍चाई है तो ये हमारी विदेशी नीति और इंटेलिजेंस की फेलियर है।” 

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Maharashtra Assembly Election

Maharashtra Assembly Election: राज ठाकरे ने उतारे 2 उम्‍मीदवार, भाजपा और शिवसेना को दी सीधी चुनौती 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) के तारीखों की घोषणा होने में अभी लंबा समय है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी मैदान में अपने उम्‍मीदवार उतारने अभी से शुरू कर दिए हैं। इसकी शुरुआत महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने मुंबई से कर दी है। मनसे ने मुंबई के शिवड़ी विधानसभा और पंढरपुर-मंगलवेढा विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। शिवड़ी विधानसभा क्षेत्र से मनसे ने जहां बाला नंदगांवकर को टिकट दिया है, वहीं पंढरपुर-मंगलवेढा विधानसभा सीट से दिलीप धोत्रे को चुनावी मैदान में उतारा है।  महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीट पर इस साल अक्टूबर माह में चुनाव होने की संभावना है। चुनाव की बिगुल बजने में अभी दो से तीन महीने का वक्‍त है, लेकिन उससे पहले ही मनसे ने अपने दो उम्मीदवारों की मैदान में उतार दूसरी राजनीतिक पार्टियों पर दबाव डाल दिया है। शिवड़ी विधानसभा का टिकट पाने वाले बाला नंदगांवकर यहां से साल 2009 में भी विधायक रह चुके हैं। वर्तमान में शिवड़ी विधानसभा सीट पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी का कब्जा है।  भाजपा के खिलाफ फूंका चुनावी बिगुल  दूसरी तरफ, पंढरपुर-मंगलवेढा विधानसभा सीट पर अभी भाजपा का कब्‍जा है। राज ठाकरे ने इस सीट पर अपने उम्‍मीदवार को उतार भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने का बिगुल भी बजा दिया है। इसके साथ ही अब चुनाव में महागठबंधन का विकल्प भी खत्म होता नजर आ रहा है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) में मुंबई के अंदर तिहरा मुकाबला देखने को मिल सकता है।  आदित्य ठाकरे के खिलाफ भी उतरेगा मनसे का उम्‍मीदवार  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मनसे जल्‍द ही वर्ली विधानसभा क्षेत्र से आदित्य ठाकरे के खिलाफ भी अपने उम्‍मीदवार को चुनावी मैदान में उतार सकती है। सोलापुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज ठाकरे ने कहा कि वर्ली से किस पार्टी का कौन उम्‍मीदवार खड़ा हो रहा है, इससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। हमने अपना उम्मीदवार तय कर लिया है, जल्द ही उसके नाम की घोषणा कर दी जाएगी।  बता दें कि महाराष्‍ट्र भ्रमण पर निकले राज ठाकरे ने इस बार विधानसभा में 200 से 225 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतारने का ऐलान किया है। इसीलिए राज ठाकरे राज्‍य का दौरा कर पार्टी को मजबूत बनाने में जुटे हैं। 

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Waqf Act

Waqf Act क्या है? वक्फ बोर्ड कितनी अमीर? मोदी सरकार क्या ला रही Waqf Act में 40 संशोधन?

Waqf Act में मोदी सरकार बड़ा संशोधन करने पर विचार कर रही है। बीते दिनों कैबिनेट ने Waqf Act में 40 संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इसे संसद में रखा जाएगा, जहां पर संशोधन विधेयक पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों पर लगाम लग जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इसके बाद वक्‍फ किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन आधिपत्य घोषित नहीं कर सकेगा। आईये जानते हैं कि वक्फ एक्ट क्या है और  वक्फ बोर्ड के पास कितनी जमीन है?  Waqf Act और Waqf Board है? मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन के लिए वक्फ एक्ट बनाया गया और साल 1954 में Waqf Board का गठन हुआ था। हालांकि, 1995 में कांग्रेस सरकार ने एक्‍ट में संशोधन कर वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दी थी। यह एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड किसी जमीन को अपना मानता है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के मालिक की होगी कि वो बताए कि कैसे वह जमीन उसकी है। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए सभी राज्य में Waqf Board का गठन किया गया है। यही बोर्ड वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन करता है। अगर आपकी संपत्ति को वक्फ बोर्ड ने अपना बता दिया तो आप उसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा सकते। इसका फैसला वक्फ बोर्ड ही करेगा। अगर बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आ गया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते हैं।    वक्फ बोर्ड के पास देशभर में इस समय करीब 8 लाख एकड़ भूमि पर मौजूद 8,72,292 से ज्यादा रजिस्टर्ड अचल संपत्तियां मौजूद हैं। वहीं चल संपत्तियों की संख्‍या 16,713 हैं। इन संपत्तियों को विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। वक्फ बोर्ड के पास सशस्त्र बलों और भारतीय रेलवे के बाद देश में सबसे ज्‍यादा जमीन मौजूद है। वहीं राज्‍य स्‍तर पर सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति यूपी में है। यहां पर सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2,10,239 संपत्तियां और शिया बोर्ड के पास 15, 386 संपत्तियां मौजूद हैं।

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Seat Sharing

Seat Sharing: सीट बंटवारे पर उद्धव ठाकरे और शरद पवार गुट में खींचतान 

महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। शिवसेना (UBT) ने जब से नासिक मध्य के लिए वसंत गिते और नासिक पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र के लिए सुधाकर बडगुजर को चुनावी मैदान में उतार है, तभी से गठबंधन के अंदर सीट बंटवारें (Seat Sharing) पर बहस छिड़ गई है। अब राष्ट्रवादी शरद पवार गुट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उद्धव ठाकरे की शिवसेना पर तंज कसते हुए कहा है कि ठाकरे गुट चाहे तो जिले की सभी 15 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दे, हम उनका झंडा हाथ में लेकर प्रचार करेंगे। दरअसल, राष्ट्रवादी शरद पवार गुट नासिक पश्चिम और नासिक मध्य को अपनी सीट मानता है और यहां से अपने उम्‍मीदवार उतारने की तैयारी कर रखी थी, लेकिन उद्धव ठाकरे की पार्टी द्वारा उम्‍मीदवार उतारे जाने के बाद से ही शरद पवार गुट में भारी नाराजगी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन दोनों सीटों के लिए गठबंधन के बीच खींचतान शुरू हो गई है।  सीटों के बंटवारें (Seat Sharing) पर अभी तक नहीं हुआ कोई फैसला  शरद पवार गुट के नेताओं ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया कि, महाविकास अघाड़ी में अभी तक सीटों के बंटवारें (Seat Sharing) पर कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन इसके बाद भी ठाकरे समूह शिवसेना के स्थानीय नेता एकतरफा फैसला लेकर नासिक मध्य और नासिक पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। दो सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद शरद पवार गुट के नेता तंज कस रहे हैं कि ठाकरे गुट को यहां की सभी 15 विधानसभा सीटों पर अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा कर चुनाव लड़ना चाहिए। शिवसेना ने बदली वफादारी की परिभाषा  प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ग्रुप ओबीसी सेल के छब्बू नागरे और नासिक शहर जिला महासचिव मुन्नाभाई अंसारी कहा कि ठाकरे समूह ने उम्मीदवार उतार वफादारी की परिभाषा ही बदल दी है। जिन उम्‍मीदवारों को मैदान में उतारा गया है, वे कांग्रेस, मनसे, भाजपा जैसी पार्टियों से होते हुए शिवसेना में पहुंचे हैं। ऐसे लोग कैसे महाविकास अघाड़ी के उम्‍मीदवार बन सकते हैं। शरद पवार गुट के नेताओं ने बैठककर आगे की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि पवार गुट भी जल्‍द ही चुनावी मैदान में अपने उम्‍मीदवार उतार सकता है। 

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De

 Maharashtra Assembly Elections: क्या महाराष्ट्र में राजनीतिक टकराव अब ले रहा हिंसक रूप?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) की तारीखें जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं, राजनीति‍क टकराव हिंसक रुप लेता जा रहा है। एक तरफ पक्ष-विपक्ष के नेता जहां नफरती भाषा बोलने लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ नेताओं पर हमले भी बढ़ गए हैं। बीते कुछ दिनों में ही सत्‍ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ के नेताओं पर हमले हुए हैं। इन घटनाओं ने विपक्ष को राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने का मौका दे दिया। वहीं सत्‍ता पक्ष का आरोप है कि विपक्ष जानबूझ कर राज्य की शांति भंग करने की कोशिश में जुटा है।  बता दें कि, एनसीपी विधायक अमोल मिटकरी की कार पर बीते माह अकोला में हमला हुआ था, जिसका आरोप एमएनएस कार्यकर्ताओं पर लगा। इसी तरह शरद पवार गुट के एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड की कार पर मुम्बई में हमला हुआ। इसका आरोप स्वराज संगठन के कार्यकर्ताओं पर लगा। गनीमत रही कि इन हमलों में दोनों नेता बाल-बाल बच गए। इन दोनों नेताओं पर आरोप था कि इन्‍होंने हमला करने वाले कार्यकर्ताओं के नेताओं के खिलाफ गलत बयानबाजी की थी।   विधानसभा चुनाव से पहले जुबानी जंग भी निचले स्‍तर पर  राजनैतिक जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र की राजनीति अब पहले जैसे नही रही। साल 2019 में भाजपा और शिवसेना जब से अलग हुए हैं तभी से राज्‍य में राजनीति का स्तर गिरता जा रहा है। बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का वह बयान भी सुर्खियों में रहा, जिसमें उन्होंने आरपार की भाषा का इस्तेमाल किया था। वहीं अनिल देशमुख ने उप मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए तो यहां तक ऐलान कर दिया कि महाराष्ट्र में अब या तो देवेंद्र फडणवीस रहेंगे या मैं रहूंगा?। वहीं विधानसभा स्‍तर पर चुनाव (Assembly Elections) लड़ने की तैयारी कर रहे नेताओं के बीच लड़ाई-झगड़ा अब निचले स्‍तर पर पहुंच चुका है।   विधानसभा चुनाव से पहले ही नेता एक दूसरे पर लगा रहे आरोप  इन घटनाओं पर विपक्ष का आरोप है कि राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्‍वस्‍त हो चुकी है। विपक्ष के जो नेता आवाज उठाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्‍हें डराया धमकाया जा रहा है। जबकि सत्‍ता पक्ष के नेताओं का आरोप है कि, विधानसभा चुनाव जीतने के लिए विपक्ष के नेता गंदी राजनीति कर रहे हैं। ये लोग कानून व्यवस्था से खिलवाड़ कर राज्य को असुरक्षित दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे जनता डर जाए। लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। 

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Saqib Nachan

मुंबई पर आतंकी हमले के लिए 44 ड्रोन, 50 किलोमीटर दूर पडघा में साकिब नाचन (Saqib Nachan) चला रहा था ISIS का आतंकी कैंप 

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई के बारे में वरिष्‍ठ पत्रकार पंकज प्रसून ने एक रिपोर्ट प्रकाशित कर सनसनीखेज खुलासा किया है। रिपोर्ट में दावा किया हैं कि मुंबई से महज 50 किलोमीटर दूर बैकवाटर के पडघा में आतंकी सगंठन आईएसआईएस (ISIS) अपनी आतंकी गतिविधियों को खुलेआम संचालित कर रहा था। इसका मास्टरमाइंड था साकिब नाचन (Saqib Nachan ) नाम का आतंकवादी, जिसने पडघा गांव को आईएसआईएस का सेंटर बनाने के साथ गांव का नाम बदलकर अल शाम रख दिया।  पंकज प्रसून ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि, इस आतंकी साजिश का खुलासा साल 2023 के दिसंबर माह में ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’ (NIA) द्वारा पडघा में मारे गए छापे के बाद हुआ। एनआईए (NIA) ने इस गांव से 44 ऐसे ड्रोन बरामद किए थे, जिनका प्रयोग मुंबई में हमला करने के लिए किया जाना था। इसके साथ ही इस आतंकी ठिकाने से कई कट्टरपंथी साहित्य और लाखों रुपये भी बरामद हुए थे। इनका इस्‍तेमाल लोगों को ट्रेनिंग देने के लिए हो रहा था। मुंबई के पास ऐसे आतंकी केंद्र का मिलना देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। साथ ही ऐसे खतरे को तत्‍काल खत्म करने की दिशा में कार्रवाई करने पर भी विवश करता है।  कई बम ब्‍लास्‍ट का आरोपी है आतंकी साकिब नाचन ( Saqib Nachan ) एनआईए अपनी जांच में आतंकी साकिब नाचन को भारत में आईएसआईएस का मुख्य साजिशकर्ता मान रही है। इसी साकिब पर मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर दिसंबर 2002 में हुए विस्फोट का भी आरोप था। साथ ही एक माह बाद मुंबई के विले पार्ले एरिया में हुए ब्लास्ट और मार्च 2003 में मुलुंड में हुए बम ब्‍लास्‍ट का साजिश रचने का भी यह आरोपी है। इन तीनों घटनाओं में 12 लोगों की मौत हुई थी और 100 से भी ज्‍यादा लोग घायल हुए थे।  आतंकी साकिब को पुलिस ने अप्रैल 2003 में गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद यह 7 साल तक जेल में रहा और 2011 में जमानत मिली। इसके कुछ महीने बाद उसे हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अदालत ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत साकिब को मार्च 2016 में हथियार रखने का दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। इसे नवंबर 2017 में फिर से जमानत मिल गई और यह रिहा होकर अपनी आतंकी साजिश रचने में जुट गया, लेकिन इसके नापाक मंसूबों को एनआईए ने समय रहते कुचलते हुए इसे गिरफ्तार कर लिया।

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Shiv Sena

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति के सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार!, भाजपा 150, शिवसेना (Shiv Sena) 70 और एनसीपी को 60 सीटें?

महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस समय पक्ष और विपक्ष दोनों ही सीटों का बंटवारा फाइनल करने में जुटी हैं। खबर है कि महाविकास आघाडी जहां अभी सीट बंटवारे पर मंथन कर रही है, वहीं सत्तारूढ़ महायुति ने सीट बंटवारें का फॉर्मूला तैयार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा 150, शिंदे की शिवसेना (Shiv Sena) 70 और अजित गुट एनसीपी 60 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि इस बंटवारे पर अभी अंतिम मुहर लगना बाकी है।  बता दें कि बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय करने के लिए सभी दलों के साथ कई बैठकें की हैं। रिपोर्ट्स बताते हैं कि, इन बैठकों में भाजपा ने महाराष्ट्र की 288 सीटों में से 150 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्‍ताव रखने के साथ एकनाथ शिंदे की शिवसेना (Shiv Sena) को 70 सीटें और अजित पवार की एनसीपी को 60 सीटें पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है। हालाँकि, दोनों पार्टियों ने खुद को अधिक मजबूत बताते हुए चुनाव में अधिक सीटें मांगी हैं।  एकनाथ शिंदे और अजित पवार चाहते हैं ज्‍यादा सीट  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एकनाथ शिंदे ने लोकसभा चुनाव रिजल्ट को देखते हुए भाजपा से अधिक सीटें देने की मांग की है। कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि शिंदे की शिवसेना (Shiv Sena) इस बार करीब 125 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। इसी तरह अजित पवार की एनसीपी ने भी भाजपा से 60 की जगह  80 सीटों की डिमांड की है। एनसीपी नेता और कैबिनेट मंत्री धर्मराव बाबा अत्राम ने बीते दिनों मीडिया से बात करते हुए कहा था कि महायुति गठबंधन में एनसीपी 80 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने इसके लिए राज्य भर में सर्वेक्षण भी शुरू किया है। सीट बंटवारे पर अंतिम मुहर लगाने के लिए इसी माह फिर से तीनों पार्टियों के बीच बैठक होने वाली हैं। उम्‍मीद की जा रही है कि अगस्‍त माह में ही तीनों पार्टियां सीट बंटवारे पर आपसी सहमति बना लेंगी।  बताते चलें कि, साल 2019 में भाजपा ने अविभाजित शिवसेना (Shiv Sena) के साथ मिलकर महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव लड़ा था और 105 सीटें जीती थीं। साथ ही भाजपा को 10 निर्दलीयों का भी समर्थन मिला था। 

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Maratha Reservation

मराठा आरक्षण पर बीजेपी सांसद का बड़ा बयान, महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव में बढ़ सकती हैं पार्टी की मुश्‍क‍िलें! 

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से गर्माता दिख रहा है। राज्‍य के सियासत में उथल-पुथल मचाने वाले इस मुद्दे को अबकी बार पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद भागवत कराड़ ने उठाया है। कराड़ मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) पर बोलते हुए कहा कि इस समुदाय को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। इससे ओबीसी समुदाय के हक पर असर पड़ेगा। वहीं दूसरी तरफ, मराठा आरक्षण आंदोलन का प्रमुख चेहरा मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण पर महाराष्‍ट्र सरकार को 13 अगस्‍त तक की डेडलाइन देकर पूछा है कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर उनका क्या रुख है? ओबीसी कोटा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे पाटिल के निशाने पर उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं।  पाटिल ने ऐलान किया है कि, मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) को लेकर वे जल्‍द ही महाराष्ट्र में भ्रमण शुरू कर मराठा समुदाय के बीच पहुंचेंगे। साथ ही उन्‍होंने मांग न पूरी होने पर आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने की धमकी भी दी है। राज्‍य में जल्‍द ही विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। ऐसे में बीजेपी सांसद भागवत कराड़ का मराठा आरक्षण पर बयान और मनोज जरांगे पाटिल का ऐलान शिवसेना (Shiv sena) और बीजेपी (BJP) की सरकार को मुश्किलों में डाल सकती है।  2014 में मिली थी मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) मुद्दे को हवा मराठा आरक्षण के मुद्दे को साल 2014 में हवा उस समय मिली थी, जब तत्कालीन पृथ्वीराज चव्हाण सरकार महाराष्‍ट्र के अंदर सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठों को 16% कोटा देने का अध्यादेश लेकर आई। यह अध्‍यादेश विधानसभा में पास हो गया, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा-शिवसेना राज्‍य की सत्ता में आई और यह मुद्दा ठंडा पड़ गया, लेकिन साल 2016 में अहमदनगर के कोपार्डी इलाके में एक मराठा लड़की के रेप और हत्‍या के बाद मराठा समुदाय का प्रदर्शन शुरू हो गया, साथ ही आरक्षण की मांग भी फिर से जिंदा हो गयी। साल 2018 में फडणवीस सरकार मराठा समुदाय को 16% आरक्षण देने के लिए फिर से पिछड़ा वर्ग अधिनियम लेकर आई,  लेकिन इसे भी साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही अब एक बार फिर से मराठा आरक्षण का मुद्दा महाराष्‍ट्र की राजनीति में गर्मा रहा है। 

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De

BJP National President: महाराष्ट्र के डिप्‍टी सीएम देवेंद्र फडणवीस बनेंगे बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष?

भारतीय जनता पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP National President) कौन होगा? यह सवाल बीते जून माह से भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। नई मोदी सरकार में राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद से ही इस पर मंथन चल रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने के लिए अब तक कई नाम सामने आ चुके हैं, लेकिन किसी एक नाम पर अभी तक मुहर नहीं लग पाई है। हालांकि, अब चर्चा चल रही है कि भाजपा पार्टी यह जिम्‍मेदारी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को सौंप सकती है।  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस समय पार्टी कई नामों पर मंथन कर रही है, इनमें से दो नाम महाराष्ट्र से हैं। एक- देवेंद्र फडणवीस और दूसरा-विनोद तावड़े। महाराष्‍ट्र में इस साल विधानसभा चुनाव है, ऐसे में संभावना ज्‍यादा है कि देवेंद्र फडणवीस को अध्यक्ष पद की जिम्‍मेदारी दी जाए।  फडणवीस के नाम पर आरएसएस भी है राजी राजनीति के जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में मिली हार के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी यहां पार्टी की पकड़ मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में फडणवीस को प्रेसिडेंट की कुर्सी पर बैठाकर संगठन को मजबूत बनाने पर काम किया जा सकता है। बीते दिनों देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री  मोदी से मुलाकत भी की थी। इस बैठक के बाद से ही प्रेसिडेंट के कुर्सी के दौड़ में फडणवीस का नाम सबसे आगे चल रहा है। बताया तो यह भी जा रहा है कि अध्यक्ष पद को लेकर पहले भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में मतभेद थे, लेकिन फडणवीस के नाम पर आरएसएस भी सहमत हैं। ताकि केंद्र की राजनीति में आरएसएस भी बड़ी भूमिका निभा सके। बता दें कि इसी साल महाराष्ट्र, हरियाणा झारखंड और जम्मू- कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं। संगठन को चलाने और चुनाव की तैयारियों के लिए भाजपा को भी फुल टाइम अध्यक्ष की ज़रूरत है। इसलिए पार्टी अब जल्‍द से जल्‍द नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगाना चाहती है। उम्‍मीद की जा रही है कि अगस्‍त माह में ही भाजपा को अपना नया बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP National President) मिल जाएगा। 

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यूपी की तरह अब महाराष्ट्र में भी आएगा ‘Love Jihad Law’! शिवसेना के मंत्री ने कह दी बड़ी बात 

यूपी की योगी सरकार ने लव जिहाद रोकने के लिए विधानसभा में ‘लव जिहाद बिल’ (Love Jihad Law) पास करा लिया है। इस बिल में दोषी को आजीवन कारावास तक की सजा देने का प्रावधान किया गया है। जब से यह बिल पास हुआ है, तभी से पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है। इसी बीच महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता उदय सामंत ने भी इस बिल पर बड़ा बयान दिया है। सामंत ने इस बिल को जरूरी बताते हुए कहा कि, जिस तरह का कानून यूपी सरकार ने बनाया है, उसी तरह का कानून महाराष्ट्र सरकार को भी बनाना चाहिए। इसके साथ ही सामंत ने कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जो भी कानून बनाया जाएगा, शिवसेना उसका पूरा समर्थन करेगी। बता दें कि, उदय सामंत ने इस बिल की मांग ऐसे समय में की है जब विधानसभा चुनाव नजदीक आ चुका है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना मिलकर सरकार चला रहे हैं और गृहमंत्री बीजेपी के नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस (Deputy CM Devendra Fadnavis) हैं।  यूपी में पास हुए ‘लव जिहाद बिल’ (Love Jihad Law) में क्या है? यूपी की भाजपा सरकार ने प्रदेश में लव जिहाद को रोकने के लिए विधानसभा में ‘लव जिहाद बिल’ (Love Jihad Law)  लेकर आई थी, जो भारी बहुमत से पास हो गया। नए बिल में किए गए प्रावधानों के अनुसार अगर कोई व्‍याक्ति किसी नाबालिग, दिव्यांग, मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति, महिला, अनुसूचित जनजाति का धर्म परिवर्तन कराता है, तो उस दोषी को आजीवन कारावास की सजा देने के साथ एक लाख रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है। इसी तरह, सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर भी दोषी को आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माना की सजा हो सकती है। बिल में कहा गया है कि अगर धर्मांतरण में शामिल कोई व्यक्ति किसी विदेशी या अवैध संगठन से धन लेता पाया गया, तो उसे भी 7 साल से लेकर 14 साल तक की कैद के साथ कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा। यूपी की भाजपा सरकार इससे पहले धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2021 लेकर आई थी, उस विधेयक में दोषी को एक से लेकर 10 साल तक की सजा देने का प्रावधान था। उसी विधेयक को संशोधन के जरिए सजा और जुर्माने की दृष्टि से और भी मजबूत बनाया गया है। 

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