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राहुल गांधी धोखेबाज

राहुल गांधी धोखेबाज, खड़गे चमचा” – Akash Anand के तीखे बोल से गरमाई हरियाणा की राजनीति

हरियाणा में चुनावी माहौल गरमाने लगा है। इस बीच, बसपा नेता आकाश आनंद हरियाणा चुनाव (Akash Anand Haryana Election) के मद्देनजर अपनी पहली रैली में जमकर हल्ला बोला। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या-क्या कहा और इसका क्या असर हो सकता है। आकाश आनंद (Akash Anand) का कांग्रेस पर हमला आकाश आनंद हरियाणा चुनाव अभियान में कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आरक्षण और दलित विरोधी है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर भी निशाना साधा। आनंद ने कहा कि “खड़गे ने बी.आर. अंबेडकर के योगदान को नजरअंदाज किया है। उन्होंने खड़गे को “चमचा” यानी चापलूस कहा।” राहुल गांधी पर भी आकाश आनंद ने करारा वार किया। उन्होंने कहा कि “राहुल गांधी ने अमेरिका में जाकर कहा था कि वे आरक्षण खत्म कर देंगे।” आनंद ने राहुल को “धोखेबाज” करार दिया। बीजेपी पर भी निशाना हालांकि आकाश आनंद हरियाणा चुनाव (Akash Anand Haryana Election) रैली में बीजेपी पर भी हमला किया, लेकिन उनके तेवर पहले की तुलना में कुछ नरम थे। उन्होंने कहा कि “बीजेपी और कांग्रेस मिलकर संविधान बदलना चाहते हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार पर भी सवाल उठाए।” आनंद ने कहा कि “पिछले 10 सालों में 5000 से ज्यादा प्राइमरी स्कूल बंद हो गए हैं।” बसपा की चुनावी रणनीति बसपा हरियाणा में 37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बाकी 53 सीटें उनके सहयोगी INLD के लिए छोड़ी गई हैं। आकाश आनंद की यह रैली बसपा के लिए काफी अहम है। वे मायावती के भतीजे हैं और पार्टी में उनका कद बढ़ रहा है। क्या होगा इसका असर? आकाश आनंद हरियाणा चुनाव प्रचार की इस रैली से हरियाणा की राजनीति में हलचल मच सकती है। बसपा अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों को इस बात की चिंता होगी कि कहीं उनके वोट न कट जाएं। आने वाले दिनों में और भी दिलचस्प मोड़ देखने को मिल सकते हैं। चुनाव 5 अक्टूबर को होने वाला है। अभी से सभी पार्टियां अपनी-अपनी ताकत दिखाने में जुटी हैं। आकाश आनंद की यह रैली इसी कड़ी का एक हिस्सा है। आने वाले दिनों में और भी नेताओं के बयान सुनने को मिलेंगे। हरियाणा की जनता के सामने अब यह फैसला है कि वे किसे चुनेंगे। #AkashAnandRally #HaryanaElections2024 #BSPCampaign #DalitPolitics #CongressBJPAttack #RahulVsKharge #Congress

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One Nation One Election

कैसे काम करेगा “One Nation, One Election”, जानिए इसका सरकारों, वोटरों और विकास पर क्या होगा असर?

भारत में एक नया राजनीतिक परिदृश्य बनने जा रहा है। “एक देश, एक चुनाव” (One Nation One Election) की अवधारणा अब सिर्फ एक विचार नहीं रह गई है, बल्कि यह जल्द ही हकीकत बनने वाली है। इस नए सिस्टम के तहत, पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। आइए इस बड़े बदलाव के बारे में विस्तार से जानें। एक देश, एक चुनाव (One Nation One Election) का मतलब क्या है? एक देश, एक चुनाव का मतलब है कि पूरे भारत में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर होंगे। इसका मकसद है चुनावों पर होने वाले खर्च को कम करना और देश के विकास कार्यों को बिना रुकावट के आगे बढ़ाना। इस नई व्यवस्था के तहत, हर पांच साल में एक बार बड़े पैमाने पर चुनाव होंगे। इससे वोटरों को भी फायदा होगा क्योंकि उन्हें बार-बार वोट डालने नहीं जाना पड़ेगा। एक देश, एक चुनाव से क्या बदलेगा? जब “एक देश, एक चुनाव” (One Nation One Election) लागू होगा, तो कई राज्यों में चुनावों का समय बदल जाएगा। कुछ राज्यों में जल्दी चुनाव होंगे, तो कुछ में देर से। आइए देखें कि किन राज्यों पर क्या असर पड़ेगा: एक देश, एक चुनाव के फायदे इस नई व्यवस्था के कई फायदे हो सकते हैं: एक देश, एक चुनाव की चुनौतियां हालांकि इस नई व्यवस्था को लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं: एक देश, एक चुनाव की योजना अभी शुरुआती दौर में है। सरकार इस पर लोगों की राय ले रही है। अगले कुछ महीनों में इस पर देशभर में चर्चा होगी। फिर इसे संसद में पास कराया जाएगा। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो 2029 में पहली बार पूरे देश में एक साथ चुनाव हो सकते हैं। यह एक बड़ा बदलाव होगा जो भारत की राजनीति और चुनाव प्रणाली को नया रूप देगा। इससे देश के लोकतंत्र को और मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है।  #OneNationOneElection #IndianDemocracy #ElectoralReforms #2029Elections #PoliticalChanges

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Maharashtra assembly election के लिए सीट-दर-सीट भाजपा का रोडमैप तैयार, फडणवीस के हाथों होगी नेतृत्व की कमान!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly election) के तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियां अभी से चुनावी तैयारियों में जुट गई है। भाजपा ने तो चुनाव में जीत हासिल करने के लिए हर विधानसभा सीट का रोडमैप तैयार कर लिया है। भाजपा के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव लंबे समय से महाराष्ट्र में ही डेरा डाले हैं और भाजपा के लिए सीट-दर-सीट रणनीति बनाने में जुटे हैं।  जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद हो सकते हैं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव  भाजपा नेताओं का दावा है कि सभी सीटों का रोडमैप तैयार हो गया है, इसी राजनीतिक समीकरण के आधार पर प्रत्येक उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। बता दें कि, महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल आगामी नवंबर में पूरा होने वाला है। चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly election) कराने की बात की है। इसकी घोषणा अक्टूबर माह में संभव है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव की तैयारियां काफी पहले ही शुरू कर दी हैं। फडणवीस बनें भाजपा के चुनावी चेहरा भाजपा के लिए महाराष्ट्र में सबसे बड़ा सवाल नेतृत्व का रहा है। राज्य में अभी शिवसेना के एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री। भाजपा आधिकारिक रूप से महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly election) शिंदे, फडणवीस और अजित पवार के नेतृत्व में लड़ने को कह रही है, लेकिन अंदरखाने देवेंद्र फडणवीस को पार्टी का चेहरा बनाना चाहती है। इसकी तस्वीरें भी अब महाराष्ट्र में दिखने लगी है। भाजपा की तरफ से राज्य में केंद्र की उपलब्धियों को बताने के लिए लगाए गए पोस्टर में पीएम मोदी के साथ फडणवीस ही दिख रहे हैं। भाजपा चाहती है कि जीत मिलने पर फडणवीस के नेतृत्व में ही सरकार बनें।  वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गई चुनाव की जिम्मेदारी  इस बीच राज्य में चुनावी अभियान को तेज करने के लिए भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेतृत्व को मैदान में उतार दिया है। भाजपा ने चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और सह-प्रभारी अश्विनी वैष्णव को पूरे राज्य की चुनावी कमान सौंपी है। वहीं एमपी के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को नागपुर क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा एमपी के ही मंत्री प्रहलाद पटेल को यवतमाल वर्धा का प्रभार, मंत्री नरोत्तम मिश्रा को भंडारा-गोंदिया का प्रभार और वरिष्ठ भाजपा नेता सीटी रवि को पश्चिमी महाराष्ट्र और पुणे की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन को संभाजीनगर, गुजरात के विधायक अमित ठाकर को नासिक और वरिष्ठ नेता अनिल जैन को अहमदनगर जिले का प्रभार सौंपा गया है। #BJP2024Strategy #FadnavisLeadership #BJPSeatRoadmap #2024Elections #FadnavisForBJP #BJPVictoryPlan

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Jammu & Kashmir elections: क्या इसलिए राहुल और खरगे ने किया जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का वादा?

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का पहला दौर शुरू हो गया है। इस मौके पर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने लोगों से वोट डालने की अपील की है। साथ ही उन्होंने एक बड़ा वादा भी किया है। आइए जानते हैं इस जम्मू-कश्मीर चुनाव (Jammu & Kashmir elections) के बारे में विस्तार से। कांग्रेस का बड़ा वादा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने एक साथ आवाज उठाई है। उन्होंने कहा है कि अगर उनकी पार्टी जीतती है, तो वे जम्मू-कश्मीर को फिर से पूरा राज्य बना देंगे। यानी जो दर्जा पहले था, वही फिर से दे दिया जाएगा। खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जम्मू-कश्मीर के लोग अपने हक की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। वे चाहते हैं कि उनका इलाका तरक्की करे और फिर से पूरा राज्य बने। उन्होंने लोगों से कहा कि वे बड़ी संख्या में वोट डालें। हर वोट भविष्य बदलने की ताकत रखता है। राहुल गांधी का संदेश राहुल गांधी ने भी लोगों से बात की। उन्होंने कहा कि “देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। उन्होंने इसे लोगों के अधिकारों का अपमान बताया।” राहुल ने कहा कि “अगर लोग इंडिया गठबंधन को वोट देंगे, तो उनके अधिकार वापस मिलेंगे। नौकरियां बढ़ेंगी, महिलाएं मजबूत होंगी और जम्मू-कश्मीर फिर से खुशहाल बनेगा।” जम्मू-कश्मीर चुनाव (Jammu & Kashmir elections) की अहमियत यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया था। उसके बाद यह पहला बड़ा चुनाव है। लोगों को उम्मीद है कि इससे उनकी जिंदगी में बदलाव आएगा। वे चाहते हैं कि उनकी आवाज सुनी जाए और उनके मुद्दों पर ध्यान दिया जाए। चुनाव का शेड्यूल इस जम्मू-कश्मीर चुनाव (Jammu & Kashmir elections) में कुल तीन चरण हैं: सभी वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। उस दिन पता चलेगा कि किसकी सरकार बनेगी। लोगों की उम्मीदें जम्मू-कश्मीर के लोग इस चुनाव से बहुत उम्मीदें लगाए बैठे हैं। वे चाहते हैं कि उनके इलाके में शांति और विकास हो। नौजवानों को अच्छी नौकरियां मिलें। महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान मिले। सड़कें, अस्पताल और स्कूल बेहतर हों। कांग्रेस और दूसरी पार्टियां अपने-अपने वादे कर रही हैं। अब देखना यह है कि लोग किस पर भरोसा करते हैं। क्या वे पूर्ण राज्य के वादे पर विश्वास करेंगे या फिर कुछ और मुद्दे उनके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे। तब जाकर बदलेगी जम्मू-कश्मीर की तस्वीर  जम्मू-कश्मीर की जनता के सामने एक बड़ा फैसला है। उनका वोट तय करेगा कि आने वाले समय में उनका इलाका कैसा होगा। इसलिए हर वोट बहुत कीमती है। हर किसी को सोच-समझकर अपना फैसला लेना चाहिए। यह जम्मू-कश्मीर चुनाव (Jammu & Kashmir elections) सिर्फ एक चुनाव नहीं है। यह एक नए युग की शुरुआत हो सकता है। इसलिए हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह वोट डाले और अपनी आवाज उठाए। तभी सच्चा लोकतंत्र कायम होगा और जम्मू-कश्मीर की तस्वीर बदलेगी। #JammuKashmirElections #RestoringStatehood #CongressPromise #DemocracyInAction #VoteForChange

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PM-WANI: गली-गली में मिलेगा सस्ता इंटरनेट, सरकार लाई 5 करोड़ फ्री वाई-फाई हॉटस्पॉट की योजना

क्या आपको महंगे मोबाइल डेटा प्लान से परेशानी होती है? क्या आप चाहते हैं कि हर जगह सस्ता और तेज इंटरनेट मिले? तो खुशखबरी है! सरकार जल्द ही पूरे देश में 5 करोड़ वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाने जा रही है। इससे हर गली-मोहल्ले में सस्ता और अनलिमिटेड इंटरनेट मिलेगा। आइए जानते हैं इस योजना के बारे में विस्तार से। पीएम-वाणी क्या है? पीएम-वाणी (PM-WANI) यानी प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस एक सरकारी योजना है। इसकी शुरुआत दिसंबर 2020 में हुई थी। इस योजना का मकसद है पूरे देश में सस्ता और तेज इंटरनेट पहुंचाना। सरकार चाहती है कि हर नागरिक डिजिटल रूप से जुड़ा रहे। लेकिन महंगे मोबाइल डेटा प्लान इसमें रुकावट बन रहे थे। इसलिए सरकार ने यह नया प्लान बनाया है। लगाए जाएंगे 5 करोड़ पब्लिक वाई-फाई हॉटस्पॉट  इस योजना के तहत, देश भर में 5 करोड़ पब्लिक वाई-फाई हॉटस्पॉट लगाए जाएंगे। ये हॉटस्पॉट ऐसी जगहों पर भी लगेंगे जहां मोबाइल टावर नहीं हैं या नेटवर्क कमजोर है। इससे लोगों को सस्ते में अनलिमिटेड इंटरनेट मिलेगा। आप घर बैठे या सड़क पर चलते हुए भी इंटरनेट का मजा ले सकेंगे। पीएम-वाणी (PM-WANI) से क्या फायदे होंगे? पीएम-वाणी (PM-WANI) कैसे काम करेगा? पीएम-वाणी एक ऐसा नेटवर्क है जिसमें कई पार्टनर मिलकर काम करेंगे। इसमें शामिल हैं: जब आप किसी पीएम-वाणी (PM-WANI) हॉटस्पॉट के पास जाएंगे, तो आपको एक ऐप डाउनलोड करनी होगी। इस ऐप से आप लॉगिन करके इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगे। पेमेंट भी इसी ऐप से हो जाएगा। टेलीकॉम कंपनियों पर असर जाहिर है, इस योजना से टेलीकॉम कंपनियों को चिंता हो रही है। उन्हें लग रहा है कि उनके ग्राहक कम हो जाएंगे। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा नहीं होगा। दरअसल, पीएम-वाणी से टेलीकॉम कंपनियों को फायदा हो सकता है। वे अपना बैंडविड्थ बेचकर ज्यादा कमाई कर सकेंगी। एक अनुमान के मुताबिक, इससे उन्हें सालाना 60,000 करोड़ रुपये तक का फायदा हो सकता है। मोबाइल नेटवर्क पर लोड होगा कम  सरकार इस योजना को तेजी से आगे बढ़ाना चाहती है। इसके लिए कुछ नए बदलाव किए गए हैं। अब PDOA के बीच रोमिंग की अनुमति दी गई है। इससे यूजर्स को ज्यादा सुविधा मिलेगी। साथ ही, PDO को टेलीकॉम कंपनियों से मोबाइल डेटा ऑफलोड लेने की इजाजत दी गई है। इससे मोबाइल नेटवर्क पर लोड कम होगा। पीएम-वाणी (PM-WANI) एक बड़ा कदम है जो भारत को डिजिटल युग में आगे ले जाएगा। इससे न सिर्फ आम लोगों को फायदा होगा, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। जल्द ही, हर गली-मोहल्ले में सस्ता और तेज इंटरनेट मिलने लगेगा। तो तैयार रहिए, डिजिटल क्रांति के इस नए दौर का हिस्सा बनने के लिए! #PMWANI #DigitalIndia #AffordableInternet #WiFiForAll #InternetRevolution

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Delhi Assembly Election

Delhi Assembly Election समय से होंगे या फिर समय से पहले? क्या कहता है देश का कानून

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। पूर्व सीएम ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि “दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में वह खुद की बेगुनाही साबित करने के लिए जनता की अदालत में जाएंगे। वहां से न्याय मिलने के बाद ही वो अब सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे।” इसके साथ ही केजरीवाल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही दिल्ली विधानसभा का चुनाव (Delhi assembly election) कराने की मांग की है।  महाराष्ट्र विधानसभा सदन का 26 नवंबर तक है कार्यकाल  महाराष्ट्र विधानसभा सदन का कार्यकाल 26 नवंबर तक है, इससे पहले नए सदन का चुनाव कराना बेहद जरूरी है। वहीं, दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 तक है। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि क्या दिल्ली विधानसभा का चुनाव (Delhi assembly election) समय से पहले हो सकता है ? और इससे संबंधित कानून क्या कहता है। कौन करता है विधानसभा चुनाव कराने का फैसला? भारतीय संविधान के आर्टिकल 324 के तहत देश में चुनाव कराने का अधिकार चुनाव आयोग को दिया गया है। आयोग ही तय करता है कि किसी भी मौजूदा विधानसभा सदन का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव की प्रक्रिया कैसे पूरी की जाए। हालांकि, चुनाव आयोग किसी भी विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से 6 माह पहले चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं कर सकता। अगर कार्यकाल को खत्म होने में 6 माह बचे हैं तो आयोग चुनाव करा सकता है।  क्या केजरीवाल चाहते हैं जल्द विधानसभा चुनाव? वहीं विधानसभा को किसी भी समय भंग करने का अधिकार राज्यपाल को संविधान के आर्टिकल 174(2)(B) के तहत मिला है। मंत्रिपरिषद अगर चाहे तो सदन को भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से कर सकता है। इससे राज्यपाल को सदन भंग करने पर मजबूर होना पड़ता है। इसके बाद चुनाव कराए जा सकते हैं।  एलजी को विधानसभा भंग करने का है अधिकार राजधानी दिल्ली में दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 लागू होता है। इसकी धारा 6(2)(B) के तहत एलजी को विधानसभा भंग करने का अधिकार मिला है। अगर केजरीवाल चाहते तो विधानसभा भंग करने के लिए एलजी से सिफारिश कर सकते थे, लेकिन उन्होंने सिर्फ सीएम पद से इस्तीफा देकर जल्द चुनाव कराने की मांग की। ऐसे में यह नहीं लगता कि अरविंद केजरीवाल, दिल्ली विधानसभा का चुनाव (Delhi assembly election) जल्द कराना चाहते हैं।  #PoliticalUpdates #IndiaElections #ElectoralProcess #VotingRights# ElectionTimeline #DemocracyInIndia #CivicEngagement

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Hindu Jagran Manch

लव जिहाद के बाद अब जूस जिहाद! Hindu Jagran Manch ने गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

लव जिहाद के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन अब एक और जिहाद चर्चा में है। इसे ‘जूस जिहाद’ कहा जा रहा। यह जिहाद यूपी के गाजियाबाद में सामने आया और पूरे देश में हड़कंप मच गया। उत्तराखंड के हिंदू जागरण मंच (Hindu Jagran Manch) ने तो राज्य में जूस जिहाद शुरू होने की आशंका व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग तक कर दी है। हिन्दू जागरण मंच ने राज्य में जूस विक्रेताओं पर पहचान छिपाने और जूस में घृणित चीजें मिला कर जूस जिहाद फैलाने की आशंका व्यक्त की है।  जूस में मानव मूत्र मिलाकर लोगों को पिलाने का मामला सामने आया है बता दें कि, गाजियाबाद में कुछ दिन पहले ही खास समुदाय के जूस विक्रेता द्वारा जूस में मानव मूत्र मिलाकर लोगों को पिलाने का मामला सामने आया है। यह खुलासा होने के बाद से उत्तराखंड के हिंदू संगठन भी मुखर हो गए हैं। हिंदू जागरण मंच (Hindu Jagran Manch) ने राज्य में प्रदर्शन तक की धमकी दे दी है। मंच के प्रांत संपर्क प्रमुख चौधरी जोध सिंह पुंडीर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य में खास समुदाय के लोग पहचान छुपाकर जूस व अन्य सामान बेच रहे हैं। इस मामले की जांच की मांग हमने पूर्व में भी उठायी थी और खाद्य विभाग ने जांच भी की थी, लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई, किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।  हिन्दू जागरण मंच ने मुख्यमंत्री से की यह मांग अब गाजियाबाद में जूस जिहाद का मामला सामने आने के बाद हिंदू जागरण मंच (Hindu Jagran Manch) के प्रांत संपर्क प्रमुख चौधरी जोध सिंह पुंडीर व अन्य पदाधिकारियों ने इस बाबत मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें मंच द्वारा मांग की गई है कि जूस और अन्य खाद्य सामग्री बेचने वाले लोगों की जांच कराई जाए, जिससे उसकी असली पहचान उजागर हो सके। साथ ही जूस की सैंपलिंग करा इस तरह के घृणित कार्य को रोका जाए। मंच का आरोप है कि, राज्य में खास समुदाय के बाहरी लोग अपनी पहचान छिपाकर जूस अथवा अन्य खाद्य सामग्री बेचने का कार्य कर रहे हैं। आशंका है कि ऐसे लोग जूस में केमिकल या घृणित चीजें मिलाकर यहां जूस जिहाद फैला रहे। इससे जहां लोगों की जान को खतरा है वहीं धर्म भी भ्रष्ट हो रहा। #FoodSafetyConcerns #CivicAwareness #CommunityIssues #HinduUnity #PublicHealthDebate #SocialAwareness #CulturalControversy

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Atishi Delhi Chief Minister

Atishi Delhi Chief Minister: मुख्‍यमंत्री बनकर भी क्‍यों दुखी हैं आतिशी, क्या CM बनने के पीछे है कोई राज?

दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुना गया है। यह खबर पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। आइए जानते हैं कि आतिशी दिल्ली मुख्यमंत्री (Atishi Delhi Chief Minister) बनने की इस कहानी में क्या-क्या दिलचस्प बातें हैं। एक अनोखी यात्रा: टीचर से मुख्यमंत्री तक आतिशी का सफर बहुत रोचक रहा है। वे पहले एक शिक्षिका थीं और फिर राजनीति में आईं। AAP में शामिल होने के बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पद संभाले। वे मनीष सिसोदिया की सलाहकार रहीं और बाद में विधायक बनीं। अब वे दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। यह उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है। खुशी और गम के बीच: आतिशी की भावनाएं जब आतिशी दिल्ली मुख्यमंत्री (Atishi Delhi Chief Minister) बनने की खबर आई, तो उनकी प्रतिक्रिया दिलचस्प थी। उन्होंने कहा कि वे खुश हैं कि अरविंद केजरीवाल ने उन पर भरोसा किया। लेकिन साथ ही उन्होंने अपने दुख को भी जाहिर किया। उन्होंने कहा कि उन्हें दुख है कि केजरीवाल इस्तीफा दे रहे हैं। यह दिखाता है कि आतिशी के लिए यह एक मिली-जुली भावनाओं का पल है। राजनीतिक उथल-पुथल: BJP के आरोप और AAP का जवाब इस बीच, राजनीतिक माहौल गरम है। BJP ने AAP पर कई आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि यह फैसला मनीष सिसोदिया के दबाव में लिया गया है। वहीं AAP ने इन आरोपों को खारिज किया है। आतिशी ने खुद BJP पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि BJP पिछले दो साल से केजरीवाल के खिलाफ साजिश रच रही है। दिल्ली के लिए नई उम्मीदें अब सवाल यह है कि आतिशी दिल्ली मुख्यमंत्री (Atishi Delhi Chief Minister) के रूप में क्या नया करेंगी। उनके पास पहले से ही 13 मंत्रालय हैं। उनका फोकस शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर रहा है। क्या वे इन क्षेत्रों में और सुधार ला पाएंगी? क्या वे दिल्ली की अन्य समस्याओं को हल कर पाएंगी? ये सवाल दिल्ली के लोगों के मन में हैं। चुनौतियां और उम्मीदें आतिशी के सामने कई चुनौतियां हैं। उन्हें न सिर्फ दिल्ली की समस्याओं से निपटना है, बल्कि विरोधियों के आरोपों का भी जवाब देना है। साथ ही, उन्हें AAP की छवि को भी बेहतर बनाना होगा। लेकिन इन चुनौतियों के बीच उम्मीदें भी हैं। एक युवा और शिक्षित नेता के रूप में, आतिशी से नए विचारों और नए दृष्टिकोण की उम्मीद की जा रही है। बेशक दिल्ली की जनता अब इंतजार कर रही है कि आतिशी अपनी नई भूमिका में किस तरह का प्रदर्शन करती हैं। क्या वे दिल्ली को नई दिशा दे पाएंगी? क्या वे लोगों की उम्मीदों पर खरी उतर पाएंगी? आने वाले दिन इन सवालों के जवाब देंगे। तब तक, दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के सफर पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।  #AtishiAsDelhiCM #AAPPolitics #DelhiGovernance #WomenLeadership #IndianPolitics

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Uddhav Thackeray Chief Minister Post

Uddhav Thackeray Chief Minister Post: मुख्यमंत्री बनने की कभी नहीं थी चाहत, फिर क्यों मचा है घमासान?

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। इस बार यह हलचल उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद (Uddhav Thackeray Chief Minister Post) को लेकर है। हाल ही में, शिवसेना (UBT) के मुखिया और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें कभी भी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा नहीं थी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर मतभेद चल रहे हैं। उद्धव का दिल खोलकर बयान अहमदनगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, “मुझे नवंबर 2019 में भी मुख्यमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं थी।” उन्होंने आगे कहा, “मैं चाहे सत्ता में रहूं या न रहूं, लोगों का समर्थन मुझे ताकत देता है। मेरे पिता बालासाहेब ठाकरे कभी सत्ता में नहीं थे, लेकिन लोगों के प्यार के कारण वे बहुत शक्तिशाली थे।” इस बयान से कई सवाल उठ रहे हैं। क्या उद्धव ठाकरे सच में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद (Uddhav Thackeray Chief Minister Post) नहीं चाहते? या फिर यह सिर्फ राजनीतिक चाल है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को समझना होगा। महाविकास अघाड़ी में मतभेद महाविकास अघाड़ी में शिवसेना (UBT), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) शामिल हैं। शिवसेना (UBT) चाहती है कि चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय कर दिया जाए। लेकिन कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) इसके खिलाफ हैं। वे कहते हैं कि चुनाव के बाद जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतेगी, उसी का नेता मुख्यमंत्री बनेगा। इस मतभेद के बीच उद्धव ठाकरे का यह बयान आया है। कई लोग मान रहे हैं कि उद्धव अपने साथियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जाए। जनता का समर्थन ही मेरी ताकत उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में कहा, “जब तक आप लोग मेरा साथ देंगे, कोई मुझे रिटायर नहीं कर सकता।” इस बयान से साफ है कि उद्धव अभी भी राजनीति में सक्रिय रहना चाहते हैं। वे जनता के समर्थन को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानते हैं। लेकिन क्या जनता उद्धव के साथ है? पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र की राजनीति में काफी उथल-पुथल हुई है। शिवसेना में टूट के बाद उद्धव की पार्टी कमजोर हुई है। ऐसे में उनके लिए जनता का समर्थन बनाए रखना बड़ी चुनौती है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। ऐसे में हर पार्टी अपनी-अपनी रणनीति बना रही है। उद्धव ठाकरे का यह बयान उनकी रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है। वे अपने साथियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री पद के लिए लड़ाई नहीं करेंगे। लेकिन क्या यह रणनीति काम करेगी? क्या महाविकास अघाड़ी के अन्य साथी उद्धव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानेंगे? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे। तब तक महाराष्ट्र की राजनीति में यह खेल चलता रहेगा। एक बात तो तय है कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद (Uddhav Thackeray Chief Minister Post) को लेकर अभी और बहस होगी। महाराष्ट्र की जनता इस बहस को ध्यान से देख रही है। आखिरकार, चुनाव में फैसला करने वाली वही होगी।  Latest News in Hindi Today Hindi news हिंदी समाचार #UddhavThackeray #MaharashtraPolitics #MVA #ShivSenaUBT #MaharashtraElections #ChiefMinisterControversy #MaharashtraPolitics

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Atishi Marlena

Atishi Marlena: आतिशी होंगी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री, विधायक दल के बैठक में हुआ फैसला

राजधानी दिल्ली को अपना नया सीएम मिल गया है। दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी होंगी। आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने विधायक दल की बैठक में आतिशी मार्लेना (Atishi Marlena) के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसपर सभी विधायकों ने सहमति जताई। आज शाम को अरविंद केजरीवाल सीएम पद से इस्तीफा देंगे, जिसके बाद इसी सप्ताह आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला सीएम के तौर पर शपथ ले सकती हैं। इससे पहले दिवंगत शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज दिल्ली की महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।  बता दें कि, आप पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) की बैठक सोमवार को हुई थी। इस कमेटी ने दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी मार्लेना (Atishi Marlena) का नाम सुझाया था। इस कमेटी के सुझाव पर विचार करने के लिए आज सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में सीएम केजरीवाल ने विधायकों के सामने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा। विधायकों ने भी आतिशी के नाम का स्वागत करते हुए उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया। आतिशी इसी सप्ताह मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकती हैं। जानें, कौन हैं आतिशी (Atishi Marlena) ? आतिशी आम आदमी पार्टी की सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं। साथ ही इन्हें अरविंद केजरीवाल का बेहद करीबी भी माना जाता है। आतिशी मार्लेना ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी। जिसके बाद इन्होंने आप पार्टी के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनीं। इस समय आतिशी के पास शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, संस्कृति, महिला एवं बाल विकास और पर्यटन विभाग जैसे दिल्ली सरकार के 6 महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं।  केजरीवाल ने मजबूरी में दिया इस्तीफा!  बता दें कि, आबकारी नीति मामले में दिल्ली सीएम अरिवंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। इसके बाद सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया। इन दोनों मामलों में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देने के साथ ऑफिस न जाने और हस्ताक्षर न करने जैसी कई पाबंदियां भी लगा रखी है। कहा जा रहा है कि इसीलिए केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला किया।  #Atishi Marlena #DelhiCMAtishi Marlena #CMKejriwal #DelhiCM #AAP #AamAadmiParty

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