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Jaya Kishoris luxury

Jaya Kishori’s luxury car: क्या देखी आपने जया किशोरी की चमचमाती नई गाड़ी? कीमत जानकर चौंक जाएंगे!

जया किशोरी एक ऐसी शख्सियत हैं जो आध्यात्म की दुनिया में अपना लोहा मनवा चुकी हैं। जया न सिर्फ एक मशहूर आध्यात्मिक वक्ता हैं, बल्कि एक जाने-माने मोटिवेशनल स्पीकर और लाफ कोच भी हैं। आज हम उनकी नहीं, बल्कि उनकी नई शानदार कार के बारे में बात करेंगे जो हाल ही में सुर्खियों में आई है। हाल ही में जया किशोरी को एक बेहद महंगी और शानदार कार से उतरते देखा गया। ये कार कोई और नहीं बल्कि मर्सिडीज-बेंज की G63 AMG मॉडल है। इस कार की कीमत सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। इस कार की कीमत करीब 4.5 करोड़ रुपये बताई जा रही है। आइए जानते हैं इस शानदार जया किशोरी की लग्जरी कार (Jaya Kishori’s luxury car) के बारे में कुछ दिलचस्प बातें: शानदार दिखने वाली कार मर्सिडीज-बेंज G63 AMG देखने में बेहद आकर्षक है। इसका मजबूत और ठोस डिजाइन इसे और भी खास बनाता है। जया किशोरी को इस कार से उतरते देख हर कोई हैरान रह गया। कार का रंग और चमक ऐसी है कि आंखें हटाना मुश्किल हो जाता है। ये कार सिर्फ दिखने में ही नहीं, बल्कि अपने फीचर्स में भी उतनी ही शानदार है। ताकत का खजाना इस कार में जो इंजन लगा है, वो किसी रॉकेट से कम नहीं है। 4.0 लीटर का ट्विन-टर्बो वी8 पेट्रोल इंजन इस कार को जबरदस्त ताकत देता है। ये इंजन 577 घोड़ों की ताकत पैदा करता है। इतनी ताकत के साथ ये कार सिर्फ 4.5 सेकंड में 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है। सोचिए, इतनी बड़ी और भारी कार इतनी तेजी से दौड़ती है! आराम का घर अगर आप सोच रहे हैं कि ये कार सिर्फ तेज चलने के लिए है, तो आप गलत हैं। इस कार के अंदर का हिस्सा किसी 5-स्टार होटल के कमरे से कम नहीं है। इसमें आपको ऐसे-ऐसे फीचर्स मिलेंगे जो आपको हैरान कर देंगे। जैसे कि, इसमें लगा हुआ म्यूजिक सिस्टम इतना बढ़िया है कि आपको लगेगा जैसे आप कोई लाइव कॉन्सर्ट में बैठे हों। गर्मी हो या सर्दी, कार के अंदर का तापमान हमेशा आपके हिसाब से रहेगा। और हां, सीटें इतनी आरामदायक हैं कि लंबे सफर में भी आपको थकान महसूस नहीं होगी। हर मौसम के लिए तैयार चाहे बारिश हो या बर्फीली सड़कें, ये कार हर जगह आपका साथ देगी। इसका ग्राउंड क्लियरेंस यानी जमीन से ऊंचाई 241 मिमी है, जो इसे हर तरह की सड़क पर चलने के लिए परफेक्ट बनाती है। इसका मतलब है कि आप इस कार को शहर की सड़कों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक कहीं भी ले जा सकते हैं। टेक्नोलॉजी से भरपूर आजकल की कारों में टेक्नोलॉजी का बहुत महत्व है, और इस कार में इसकी कोई कमी नहीं है। इसमें ऐसे-ऐसे फीचर्स हैं जो आपकी ड्राइविंग को आसान और मजेदार बनाते हैं। जैसे कि, अगर आप कहीं फंस गए तो कार खुद को निकालने में आपकी मदद करेगी। इसमें एक बड़ी सी स्क्रीन है जहां आप अपना फोन कनेक्ट करके गाने सुन सकते हैं। यह जया किशोरी की लग्जरी कार (Jaya Kishori’s luxury car) सिर्फ एक कार नहीं, बल्कि एक शानदार अनुभव है। इसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है। जया किशोरी जैसी मशहूर हस्ती के पास ऐसी कार का होना उनकी सफलता और लोकप्रियता को दर्शाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि अभी यह पुष्टि नहीं हुई है कि यह कार वाकई में जया किशोरी की है या नहीं। लेकिन एक बात तय है, इस कार ने सबका ध्यान खींचा है और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। #JayaKishori #LuxuryCars #MercedesBenz #SpiritualSpeaker #MotivationalCoach

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AIMIM कहीं ‘चलो मुंबई रैली’ की आड़ में आज़ाद मैदान दंगा दोहराने की साजिश तो नहीं कर रही?

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों का ऐलान होने को है। ऐसे सभी राजनीतिक पार्टियां वोटो के तुष्टिकरण और ध्रुवीकरण में लगी हुई हैं। जिसकी बानगी महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में देखी जा सकती है। रामगिरी महाराज और बीजेपी नेता नितेश राणे के खिलाफ कार्रवाई की मांग का मामला तूल पकड़ा दिख रहा है। असुदद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली ऑल-इंडिया-मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) ने औरंगाबाद से लेकर मुंबई तक शक्ति प्रदर्शन करते हुए तिरंगे के साथ संविधान रैली निकाली है। दरअसल, वो रामगिरी महाराज और बीजेपी नेता नितेश राणे के मुसलमानों को निशाना बनाने वाली कथित टिप्पणियों को लेकर भड़के हैं। मुंबई पुलिस ने कर रखे हैं पुख्ता इंतजाम औरंगाबाद के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील और कई मुस्लिम संगठनों की अगुवाई में निकली यात्रा में काफी भीड़ जुटी रही है। इस भीड़ की वजह से कई इलाकों में जाम की स्थिति भी बन गई है। हालांकि, पुलिस की कोशिश है कि वो मुंबई के अंदर न घुस सकें। इसलिए मुंबई के प्रत्येक एंट्री पॉइंट पर मुंबई पुलिस और ठाणे पुलिस ने कड़ा बंदोबस्त किया हुआ है। एहतियातन बड़ी तादाद में मुंबई पुलिस और ठाणे पुलिस के लोग मौजूद हैं और बैरिकेट लगना शुरू कर दिया गया है। बीजेपी नेता नितेश राणे हिंदू संत रामगिरी महाराज के खिलाफ चाहते हैं कार्रवाई इम्तियाज जलील की मांग है कि “महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अल्यसंख्यकों के खिलाफ बोलने वाले बीजेपी नेता नितेश राणे के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। जलील इसके अलावा हिंदू संत रामगिरी महाराज के खिलाफ भी कार्रवाई चाहते हैं।” उनका का आरोप है कि “रामगिरी महाराज ने हाल ही में इस्लाम और पैंगबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। और नितेश राणे ने भी मुसलामानों को मस्जिद में घुसकर मारने की धमकी दी थी। वैसे महाराष्ट्र में मुसलमानों को निशाना बनाकर बयान देने के चलते नितेश राणे के खिलाफ कई मामले दर्ज हो चुके हैं। आपको बता दें कि 11 सितंबर को ही इम्तियाज जलील ने 23 सितंबर के दिन मुंबई कूच का ऐलान किया था। अपने ऐलान में उन्होंने कहा था कि “वो मुंबई जाकर महायुति के नेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को संविधान की प्रतियां भेंट करेंगे।” महाराष्ट्र में मुसलमानों को खुलेआम दी जा रही हैं गालियां AIMIM के नेता इम्तियाज जलील ने कहा कि “देश कानून से चलेगा। हम चाहते हैं कि देश के अंदर कानून बने ताकि कोई भी किसी की जाति, धर्म, महापुरुष के बारे में कोई गलत बयानी न करे। इन लोगों ने नीतिश राणे जैसे लोग छोड़ रखे हैं कि वो कुछ भी बोलें, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने आगे कहा कि “सरकार जानती है कि महाराष्ट्र के अंदर जो हरकत हो रही है, वो सरकार द्वारा ही की जा रही है। महाराष्ट्र में खुलेआम मुसलमानों को गालियां दी जा रही हैं। क्या इसमें कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?” 24 घंटे के लिए पुलिसकर्मियों को छुट्टी दे दी जाए, हम अपनी ताकत दिखा देंगे आपको बता दें कि असुदद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम पहले से ही राम गिरी महाराज और राणे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ नितेश राणे भी खुलकर दो-दो हाथ करने के मूड में हैं। हाल ही में उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “ज्यादा नहीं सिर्फ 24 घंटे के लिए पुलिसकर्मियों को छुट्टी दे दी जाए। इसके बाद हम अपनी ताकत दिखा देंगे। हम उन्हें यह एहसास दिला देंगे कि हममें कितना दम है।” कहने की जरूरत नहीं इसके बाद हंगामा होना ही था। AIMIM नेता वारिस पठान ने पलटवार कहा कि “उन्होंने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं।” पाठन ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “महाराष्ट्र सरकार भड़काऊ भाषण सुनने के बाद भी कार्रवाई नहीं करना चाहती है।” उनका आरोप है कि “रामगिरी महाराज ने इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी।” अब वो चाहते हैं कि “नितेश राणे के अलावा हिंदू संत रामगिरी महाराज के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो।” साल 2012 में हुए आज़ाद मैदान दंगे को दोहराने की मंशा तो नहीं? खैर, AIMIM नेता नबी की शान में गुस्ताखी के खिलाफ मार्च कर रहे हैं। वो लब्बैक या रसूल अल्लाह, लब्बैक या रसूल अल्लाह, लब्बैक या रसूल अल्लाह के नारे लगाते हुए मुंबई की तरफ बढ़ रहे हैं। कुल-मिलाकर महत्वपूर्ण बात यह कि इतनी तादात में बाहरी लोगों को मुंबई बुलाकर आखिर AIMIM के नेता क्या साबित करना चाहते हैं? कहीं इसके पीछे उनकी मंशा साल 2012 में हुए आज़ाद मैदान दंगे को दोहराने की तो नहीं? क्योंकि असामाजिक तत्वों को भीड़ को उकसाने और उकसा कर इस तरह के दंगे करवाने में जरा भी देर नहीं लगेगी। कौन जाने कब देखते ही देखते भीड़ उग्र होकर बेकाबू हो जाये क्या पता? ऐसे में अब सारा दारोमदार राज्य सरकार पर है कि किसी भी तरह की अनहोनी न होने दे। क्योंकि देश के दुश्मन तो मौके की ताड़ में तो बैठे ही हैं। #ChaloMumbai #RiotsInMumbai #MumbaiViolence #AIMIMProtest #AzadMaidanRiots #MumbaiLawAndOrder #AzadMaidanRepeat

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Israel-Lebanon conflict

Israel-Lebanon conflict: लेबनान पर टूटा इजरायल का कहर, 492 की मौत… आखिर कब थमेगा ये विवाद!

मध्य पूर्व में एक बार फिर से युद्ध की आग भड़क उठी है। इस बार इजरायल-लेबनान संघर्ष (Israel-Lebanon conflict) ने पूरे इलाके को दहला दिया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इस संघर्ष की वजह और इसके क्या हो सकते हैं नतीजे। संघर्ष की शुरुआत: पेजर हमले से बढ़ा तनाव कुछ दिन पहले लेबनान में एक बड़ा हमला हुआ था। इस हमले में कई पेजर फटे थे, जिसमें 10 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और करीब 4000 लोग घायल हो गए। इस हमले के पीछे इजरायल का हाथ बताया गया। कहा जा रहा है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस हमले को अंजाम दिया था। इस घटना ने लेबनान की कट्टरपंथी संगठन हिजबुल्ला को गुस्सा दिला दिया और उसने बदला लेने की कसम खाई। इजरायल का जवाबी हमला: लेबनान में तबाही हिजबुल्ला की धमकी के बाद इजरायल ने भी अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी। इजरायल ने लेबनान पर मिसाइलों से हमला किया, जिसमें अब तक 492 लोगों की मौत हो चुकी है। इस हमले में कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। इजरायल का कहना है कि उसने हिजबुल्ला के आतंकवादियों को निशाना बनाया है। लेकिन इस हमले में आम नागरिकों को भी भारी नुकसान हुआ है। इजरायल ने अपने हमलों को ‘ऑपरेशन नॉर्दन एरो’ नाम दिया है। इस ऑपरेशन के तहत लेबनान के दक्षिणी इलाके में 1600 से ज्यादा जगहों पर हमले किए गए हैं। इजरायल का दावा है कि इन हमलों में कई आतंकवादी मारे गए हैं। हिजबुल्ला की प्रतिक्रिया: जवाबी कार्रवाई जारी हिजबुल्ला भी इस लड़ाई में पीछे नहीं है। उसने भी इजरायल पर कई हमले किए हैं। हिजबुल्ला का दावा है कि उसने इजरायल के पांच ठिकानों पर बमबारी की है। इस तरह से दोनों तरफ से हमले और जवाबी हमले जारी हैं, जिससे स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। इजरायल-लेबनान संघर्ष (Israel-Lebanon conflict) का मानवीय पहलू इस संघर्ष का सबसे बुरा असर आम लोगों पर पड़ रहा है। लेबनान में लोग अपने घर छोड़कर भागने को मजबूर हैं। वहां डर और दहशत का माहौल है। लोगों को खाने-पीने और रहने की चीजों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। कई परिवार अपने प्रियजनों को खो चुके हैं और कई घायल हो गए हैं। इजरायल की मुश्किलें: कई मोर्चों पर लड़ाई इस समय इजरायल की स्थिति भी आसान नहीं है। वह एक तरफ हमास से लड़ रहा है, दूसरी तरफ ईरान के साथ तनाव चल रहा है, और अब लेबनान में भी युद्ध छिड़ गया है। इससे इजरायली सेना पर बहुत ज्यादा दबाव आ गया है। हालांकि इजरायल के नेता संयुक्त राष्ट्र में जाकर शांति की बात कर रहे हैं, लेकिन गाजा में रिहायशी इलाकों पर हो रहे हमलों ने उसकी छवि को नुकसान पहुंचाया है। इजरायल-लेबनान संघर्ष एक गंभीर मोड़ पर आ गया है इजरायल-लेबनान संघर्ष (Israel-Lebanon conflict) अब एक गंभीर मोड़ पर आ गया है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है और इसके जल्दी खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर नजर रखे हुए है और शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो यह संघर्ष और भी बड़ा रूप ले सकता है, जिससे पूरे मध्य पूर्व में अशांति फैल सकती है। इस तरह हम देख सकते हैं कि इजरायल-लेबनान संघर्ष (Israel-Lebanon conflict) एक जटिल और गंभीर मुद्दा बन गया है। इसमें न सिर्फ दो देशों के बीच का तनाव शामिल है, बल्कि इसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संघर्ष का क्या रुख होता है और क्या दोनों देश शांति की राह पर लौट पाते हैं। #IsraelLebanonConflict #MiddleEastCrisis #Hezbollah #IsraeliAirstrikes #LebanonUnrest

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Badlapur Case

Badlapur Case: पुलिस का रिवाल्वर छीनकर भाग रहा था बच्चियों से रेप का आरोपी, एनकाउंटर में हुआ ढेर

महाराष्ट्र के बदलापुर (Badlapur) में स्कूल की मासूम बच्चियों से रेप का आरोपी पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस गिरफ्तार में मौजूद आरोपी अक्षय शिंदे ने एक पुलिसकर्मी की रिवाल्वर छीन गोली चलाई और भागने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए आरोपी को गोली मार दी। एनकाउंटर के बाद ठाणे पुलिस ने गंभीर हालत में आरोपी को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इस घटना पर अब राजनीतिक संग्राम शुरू हो गया है। कांग्रेस ने पूरी घटना का न्यायिक जांच कराने की मांग की है।   मामले की जांच के लिए ले जाया जा रहा था बदलापुर (Badlapur) बता दें की, पुलिस एनकाउंटर में मारा गया अक्षय शिंदे पर अगस्त माह में एक स्कूल के 4 साल और 5 साल की दो बच्चियों के रेप करने का आरोप था। पुलिस ने आरोपी को अगस्त माह में ही गिरफ्तार कर लिया था। ठाणे के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि “तलोजा जेल में बंद आरोपी अक्षय शिंदे को मामले की जांच के लिए बदलापुर (Badlapur) ले जाया जा रहा था। पुलिस की गाड़ी जैसे ही मुंब्रा बाईपास पर पहुंची, तो आरोपी शिंदे ने मौका देख एक पुलिसकर्मी की रिवॉल्वर छीन ली। साथ में मौजूद पुलिसकर्मी जब तक कुछ समझ पाते आरोपी ने एक सहायक पुलिस निरीक्षक (ASI) पर गोली चला उसे घायल कर दिया। इसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई शुरू की और गोलीबारी में आरोपी गंभीर रूप से घायल हो गया।” कांग्रेस नेता ने एनकाउंटर पर सवाल उठा की जांच की मांग  बदलापुर (Badlapur) की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, “पुलिस की कहानियां लगातार बदल रही हैं, जो शक पैदा करती हैं। पुलिस द्वारा पहले कहा गया कि आरोपी ने आत्महत्या करने की कोशिश की, फिर बयान आया कि यह एक एनकाउंटर है। अब कहा जा रहा है कि, आरोपी पुलिस पर हमला कर रहा था।” चव्हाण ने पूछा कि, “एनकाउंटर किसका होता है? एनकाउंटर अंडरवर्ल्ड के बदमाशों और आतंकवादियों का होता है। लेकिन इस मामने को देखकर ऐसा लगता है कि शायद ठाणे पुलिस उच्च पद पर बैठे किसी व्यक्ति को बचाने की कोशिश कर रही है। यह बहुत गंभीर मामला है। मुझे लगता है कि हाईकोर्ट को इस मामले का स्वत: संज्ञान लेकर इस घटना की जांच कराने का तत्काल आदेश देना चाहिए।” #PoliceEncounter #JusticeForVictims #CrimeNews #LawAndOrder #IndiaCrimeReport #PoliceAction #BreakingNewsIndia

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Pind daan

Pind daan: घर में बेटा नहीं होने पर कौन कर सकता है पितरों का श्राद्ध, जानें क्या हैं नियम?

भारतीय संस्कृति में पितृ तर्पण और श्राद्ध का महत्व अत्यधिक है। विशेषकर, जब घर में बेटा न हो, तो यह प्रश्न उठता है कि पितरों का श्राद्ध व पिंडदान (Pind daan) कौन कर सकता है और सदस्य कैसे निभा सकते हैं अपनी भूमिका? जानें गरुड़ पुराण के दिशा-निर्देश।  श्राद्ध का महत्व श्राद्ध व पिंडदान (Pind daan) कर्म का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना होता है। इसे विभिन्न विधियों के माध्यम से किया जाता है। विशेष रूप से, यह पितरों के प्रति सम्मान और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए आवश्यक है। गरुड़ पुराण के अनुसार नियम इन नियमों को ध्यान में रखें: श्राद्ध करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है। इन नियमों का ध्यान रखना अनिवार्य है, क्योंकि गलती होने पर अनुष्ठान पूरा नहीं होता। #HinduTraditions #FamilyRituals #CulturalPractices #SpiritualGuidance #PitruPaksha #ReligiousCeremonies #RespectForAncestors

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Pitru Paksha

Pitru Paksha में गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण सावधानियां, जानें क्या नहीं करना चाहिए

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का विशेष महत्व है, जिसमें पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस दौरान कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं होती हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है। खासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए इस समय कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में गर्भवती महिलाओं को कुछ ऐसे कार्य करने से बचना चाहिए, जिनसे उनके गर्भ में पल रहे शिशु को हानि पहुंच सकती है।  गर्भवती महिलाओं के लिए पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में सावधानियां: पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान मानसिक और शारीरिक शांति धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को इस समय मानसिक और शारीरिक शांति बनाए रखनी चाहिए। इस दौरान उन्हें घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाना चाहिए और नियमित ध्यान तथा प्राणायाम करना चाहिए, जिससे शिशु को सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे।   #GarbhvatiMahila #EclipsePrecautions #HealthyPregnancy #SanskariMaa #TraditionalCare #PregnancyTips #HygieneDuringShradh

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Sister Nivedita

स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता के बारे में क्या कुछ जानते हैं आप?

28 अक्टूबर 1867 को आयरलैंड में जन्मी मार्गरेट ई नोबल स्वामी विवेकानंद की शिष्या थीं, उन्हें स्वामी जी ने “भगिनी निवेदिता” नया नाम दिया, जिसका अर्थ है “ईश्वर की भेंट “। भगिनी निवेदिता की स्वामी विवेकानंद से भेंट लंदन में पिकाडिली के प्रिंसेस हाल में स्वामी विवेकानंद के व्याख्यान के समय हुई थी जब वह अमेरिका में अपना कालजयी शिकागो भाषण देकर यूरोप होते हुए स्वदेश वापस लौट रहे थे। उन्होंने स्वामी जी के व्याख्यान के दौरान उनसे जटिल प्रश्न किए और स्वामी द्वारा सबका यथोचित उत्तर पाकर वह उनकी शिष्या बन गई , उन्होंने 1898 में कलकत्ता की यात्रा की। विवेकानंद ने 25 मार्च 1898 को उनकी ब्रह्मचर्य के व्रत में प्रवेश कराया। स्वामी जी चाहते थे कि भारत की महिलाओं, विशेष रूप से कलकत्ता में, उनके स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के लिए भगिनी निवेदिता की देखरेख में कार्य किया जाए । उन्होंने अपने गुरु की इच्छाओं को बनाए रखते हुए आजीवन इस व्रत का निर्वहन किया। भगिनी निवेदिता को स्थानीय लोगों से मिलवाते हुए अपने भाषण में स्वामी विवेकानंद ने कहा था – इंग्लैंड ने हमें मिस मार्गरेट नोबल के रूप में एक उपहार भेजा है। नीचे दिए गए पीडीएफ में पढ़ें उनके जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण बातों को।

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Jammu and Kashmir merged with India

किस तरह हुआ जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय? पढ़ें इससे जुड़े रोचक तथ्यों को 

जम्मू-कश्मीर का प्रश्न कभी पेचीदा नहीं होता लेकिन इसे जानबूझकर बनाया गया। हालांकि, सभी रियासतों का अधिमिलन भारत के साथ बिना किसी जटिलता के हो गया था। इसका कोई साक्ष्य नहीं है कि महाराजा अपनी मुसलमान जनसंख्या के विरुद्ध थे। भारत में शामिल हुई अन्य कुछ रियासतों में भी इसी प्रकार की बेमेल स्थिति थी। जम्मू-कश्मीर के महाराजा, हरि सिंह की स्वतंत्र होने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी जबकि वास्तव में वे सम्पूर्ण भारत की प्रगति में दिलचस्पी रखते थे। एक गलत इस्लामिक पहचान के प्रश्न पर कुछ सांप्रदायिक एवं अराजक तत्वों के कारण राज्य के अधिमिलन में विलंब हुआ। वे राज्य में ब्रिटिश डिवाइड एंड रूल की नीति को लागू करना चाहते थे क्योंकि वहां मुसलमान बहुसंख्यक थे और शासक एक हिंदू था। नीचे दिए गए पीडीएफ में पढ़ें इससे जुड़े रोचक तथ्यों को ।

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Shankar Dev

जानिए असम के महान संत और साहित्यकार शंकर देव से जुड़ीं इन बातों को

1449ई में आश्विन शुक्ल पक्ष विजयदशमी के दिन जन्में शंकर देव असम के महान संत और साहित्यकार, आध्यात्मिक नेता और कलाकार थे। आगे चलकर उन्हे शंकरदेव के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त हुई। उन्होंने असमिया भाषा में ग्रंथों की रचना की। उनके द्वारा रचित काव्य, ग्रंथ और नाटकों में वे अद्वितीय भक्ति, संगीत और नृत्य का समृद्ध अंश सम्मिलित करने का प्रयास करते थे। शंकरदेव ने अपने जीवन को सांस्कृतिक पुनर्निर्माण के लिए समर्पित किया और उन्होंने अपने शिष्य मधुबन्ध और अपने सहकर्मी माधवदेव के साथ मिलकर असम के साहित्य और संस्कृति को बदला। उन्होंने असम में वैष्णव मत की अद्वैतिन शैली को प्रचारित किया। उन्होंने नाटक, भजन, और काव्य रचनाएँ की जिनमें उनका विशेष ध्यान भक्ति और भारतीय संस्कृति के प्रति था। नीचे दिए गए पीडीएफ में पढ़ें उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों को।

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Sant Mirabai

भारत की महान महिला संत मीराबाई का प्रेरणादायी जीवनी बहुत कुछ सिखाती है

इतिहासकारों की मानें तो मीराबाई का जन्म साल 1555-56 के आस-पास राजस्थान राज्य के मारवाड़ क्षेत्र के मेड़ता स्थित कुरखी गांव में हुआ था। मीराबाई, जिन्हें गोपिका अवतार भी माना जाता है। वो एक महान संत, हिंदू रहस्यवादी कवि और भगवान कृष्ण के भक्त के रूप में जानी जाती हैं। वह भक्तमाल काव्य मे वर्णित भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख पात्र के रुप में व्यापक रूप से विख्यात हैं। उनका जीवन इस बात की भी पुष्टि करता है कि भारत में महिलाओं का जीवन मात्र विवाह करना ,अपने घर को बसाना और पारिवारिक जीवन को समर्पित करना जैसे घरेलू दायित्वों और “कर्तव्यों” तक ही सीमित नहीं रहा है। मीराबाई का जीवन भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से भक्ति परंपरा में विषम परिस्थितियों में भी भारतीय नारी की शक्ति, भक्ति की शक्ति और उसकी अविरल रचनात्मकता की विरासत और संभावनाओं के बारे में एक अतिरिक्त अध्याय जोड़ता है। नीचे दिए गए पीडीएफ में पढ़ें उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों को।

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